चीन से नहीं मिला एक भी पैसा, फर्जी है आरोप... NewClick के संपादक ने दिल्ली HC में कहा
गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए UAPA) के तहत गिरफ्तारी और रिमांड के खिलाफ दायर याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान एक तरफ जहां न्यूजक्लिक के संस्थापक प्रबीर पुरकायस्थ आरोपों को झूठा और फर्जी बताया। वहीं दिल्ली पुलिस की तरफ से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल (एसजी) तुषार मेहता ने कहा कि यह गंभीर अपराध है और मामले की जांच अभी भी जारी है।
By Vineet TripathiEdited By: GeetarjunUpdated: Mon, 09 Oct 2023 07:36 PM (IST)
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए, UAPA) के तहत गिरफ्तारी और रिमांड के खिलाफ दायर याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान एक तरफ जहां न्यूजक्लिक के संस्थापक प्रबीर पुरकायस्थ आरोपों को झूठा और फर्जी बताया, वहीं दिल्ली पुलिस की तरफ से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल (एसजी) तुषार मेहता ने कहा कि यह गंभीर अपराध है और मामले की जांच अभी भी जारी है।
पुरकायस्थ की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने दावा किया कि सभी तथ्य झूठे हैं। चीन से एक पैसा भी नहीं आया और पूरी बात फर्जी है। यह याचिका प्रबीर पुरकायस्थ और समाचार पोर्टल के मानव संसाधन विभाग के प्रमुख अमित चक्रवर्ती ने दायर की है।
पैसे लेने का उद्देश्य देश की अखंडता को चोट पहुंचाना
सिब्बल के दावे पर सॉलिसिटर जनरल (एसजी) तुषार मेहता ने न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ के समक्ष कहा कि लगभग 75 करोड़ रुपये की जांच जारी है और मैं इसे केस डायरी से दिखा सकता हूं। उन्होंने कहा कि चीन में रहने वाले एक व्यक्ति से पैसा आया है। इसके पीछे का उद्देश्य देश की स्थिरता और अखंडता को चोट पहुंचाना है।कोर्ट ने निर्णय सुरक्षित रखा
अदालत ने दोनों पक्षों की लंबी जिरह सुनने के बाद अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया। पीठ ने कहा कि आरोपितों की आगे की रिमांड इस अदालत के आदेश के अधीन होगी।
चीनी व्यक्ति के बीच मेल का हुआ आदान-प्रदान
एसजी तुषार मेहता ने कहा कि चीन में बैठे किसी व्यक्ति के साथ आरोपित व्यक्तियों के बीच ई-मेल आदान-प्रदान होना सबसे गंभीर आरोपों में से एक है। कपिल सिब्बल ने एसजी के दावे का खंडन किया।गिरफ्तारी का नहीं बताया गया आधार
वहीं, वरिष्ठ अधिवक्ता दयान कृष्णन ने तर्क दिया कि वर्तमान मामले में उनकी गिरफ्तारी और रिमांड को कानूनी आधारों पर कायम नहीं रखा जा सकता है। उन्होंने तर्क दिया कि गिरफ्तारी के समय या आज तक गिरफ्तारी के आधार के बारे में नहीं बताया गया था।
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