वायु प्रदूषण को लेकर पूछे गए सवाल पर गोल-गोल घूमते रहे अधिवक्ता, NGT ने पर्यावरण मंत्रालय पर लगाया 25 हजार का जुर्माना
जहरीली हवा के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभावाें के संबंध में उठाए गए सवालों पर अस्पष्ट जवाब देने पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तम मंत्रालय पर 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। एनजीटी ने कहा कि मामले में मंत्रालय की तरफ से अस्पष्ट और अप्रासंगिक जवाब दाखिल किया गया है। मामले पर अब अगले साल सुनवाई होगी।
विनीत त्रिपाठी, नई दिल्ली। जहरीली हवा के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभावाें के संबंध में उठाए गए सवालों पर अस्पष्ट जवाब देने पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तम मंत्रालय पर 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। एनजीटी ने कहा कि मामले में मंत्रालय की तरफ से अस्पष्ट और अप्रासंगिक जवाब दाखिल किया गया है।
मंत्रालय द्वारा जवाब में हवा में प्रदूषकों की मौजूदगी को स्वीकार किया गया था। साथ ही कहा था कि समय-समय पर विभिन्न अधिकारियों द्वारा कुछ निर्देश जारी किए गए थे। हालांकि, एनजीटी ने पाया कि मामले में कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं की गई।
उठाए गए कदम के बारे में नहीं दे पाए जवाब
मामले पर सुनवाई के दौरान न्यायिक सदस्य न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल और पर्यावरण विशेषज्ञ सदस्य डा. ए सेंथिल वेल की पीठ ने कहा कि मंत्रालय की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता से पूछा गया कि मंत्रालय द्वारा स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभाव के संबंध में क्या प्रभावी कदम उठाए गए हैं। जवाब में अधिवक्ता ने स्वीकार किया कि मंत्रालय द्वारा दिया गया जवाब इस पहलू पर स्पष्ट नहीं है। इतना ही नहीं एनजीटी द्वारा बार-बार पूछने के बावजूद भी अधिवक्ता वायु प्रदूषण पर प्रभावी नियंत्रण के लिए उठाए गए एक भी कदम के बारे में नहीं बता सके।
एनजीटी ने वायु प्रदूषण से जुड़ी एक रिपोर्ट का संज्ञान लेकर अक्टूबर माह में मंत्रालय को जवाब दाखिल करने को कहा था। वहीं, दूसरी तरफ केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने भी जवाब दाखिल कर हवा में विभिन्न धातुओं और अन्य प्रदूषकों की उपस्थिति को स्वीकार किया।
मामले की अगली सुनवाई 14 फरवरी 2023 को
हालांकि, सीपीसीबी द्वारा दाखिल किए गए जवाब में इन मापदंडों और उनके संबंधित प्रसार स्तरों से उत्पन्न वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने और रोकने के लिए क्या प्रभावी उपाय या कदम उठाए गए, इसकी जानकारी नहीं दी गई थी। सुनवाई के दौरान सीपीसीबी की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता ने आदेश पारित करने से पहले मामले में मंत्रालय से निर्देश लेने के लिए एनजीटी से समय मांगा। अनुरोध स्वीकार करते हुए एनजीटी ने सीपीसीबी को एक महीने का समय दिया। मामले की अगली सुनवाई 14 फरवरी 2023 को होगी।
पर्यावरण क्षतिपूर्ति की राशि के खर्च का ब्योरा मांगी
सुनवाई के दौरान एनजीटी ने सीपीसीबी द्वारा दाखिल किए गए जवाब को नोट किया। सीपीसीबी ने एनजीटी को बताया कि पर्यावरण संरक्षण शुल्क (ईपीसी) फंड के तहत सड़कों के निर्माण और मरम्मत के साथ-साथ मैकेनिकल रोड स्वीपर के लिए राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के शहरी स्थानीय निकायों को वित्त पोषण किया जा रहा है। एनजीटी ने यह भी नोट किया कि सीपीसीबी के पास जमा की गई पर्यावरण क्षतिपूर्ति (ईसी) की राशि को अनधिकृत उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल किया जा रहा था। इस पर एनजीटी ने सीपीसीबी को ईसी फंड का विवरण पेश करने को कहा। एनजीटी ने कहा कि 30 नवंबर 2023 तक ईसी फंड की धनराशि को कैसे खर्च किया गया है, इसका ब्योरा पेश किया जाए।