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NGT ने दिल्ली सरकार से मांगा 900 करोड़ का हर्जाना, पीठ ने कहा- नागरिक आपातकालीन स्थिति का नहीं कर सकते सामना

नगर निगम के कचरे के अनुचित प्रबंधन के लिए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने दिल्ली सरकार को यह कहते हुए 900 करोड़ रुपये का पर्यावरण मुआवजा देने का निर्देश दिया कि सरकार की नाकामी के कारण नागरिक आपातकालीन स्थिति का सामना नहीं कर सकते हैं।

By Jagran NewsEdited By: GeetarjunUpdated: Wed, 12 Oct 2022 10:36 PM (IST)
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NGT ने दिल्ली सरकार से मांगा 900 करोड़ का हर्जाना
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। नगर निगम के कचरे के अनुचित प्रबंधन के लिए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने दिल्ली सरकार को यह कहते हुए 900 करोड़ रुपये का पर्यावरण मुआवजा देने का निर्देश दिया कि सरकार की नाकामी के कारण नागरिक आपातकालीन स्थिति का सामना नहीं कर सकते हैं। न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि गाजीपुर, भलस्वा और ओखला में तीन डंप साइटों पर लगभग 80 प्रतिशत कचरे का निस्तारण नहीं किया गया था।

तीन डंप साइटों पर कचरे की मात्रा 300 लाख मीट्रिक टन थी। गोयल के साथ न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल और विशेषज्ञ सदस्य ए सेंथिल वेल और अफरोज अहमद की पीठ ने कहा कि मुख्य सचिव की अध्यक्षता में पहले से गठित 13 सदस्यीय निगरानी समिति किसी भी अन्य संबंधित विभागों के साथ समन्वय कर सकती है।

जनवरी 2023 तक मांगी रिपोर्ट

साथ ही कार्य योजना की तुरंत तैयारी और निष्पादन के लिए किसी अन्य विशेषज्ञ या संस्थानों से मदद ले सकती है। एनजीटी ने निर्देश दिया कि 31 दिसंबर 2022 तक अनुपालन की स्थिति प्रदान करने वाली एक अंतरिम प्रगति रिपोर्ट 15 जनवरी 2023 तक पेश की जाए। साथ ही मुख्य सचिव को अगली सुनवाई पर वर्चुअल तरीके से पेश होने का निर्देश दिया।

दुर्लभ और महंगी भूमि वापस हासिल करने की जरूरत

पीठ ने कहा कि लंबे समय से जमा और अवैज्ञानिक रूप से संग्रहित कचरे के पहाड़ के खतरनाक परिणामों को दोहराने की जरूरत नहीं है। दुर्लभ और महंगी सार्वजनिक भूमि पर कचरा डंप साइटों का कब्जा है। 152 एकड़ का क्षेत्र है और इसकी कीमत सर्कल रेट पर 10,000 करोड़ रुपये से अधिक है। इस प्रकार इसे लाभकारी सार्वजनिक उपयोग के लिए दोबार हासिल करने की आवश्यकता है।

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वर्तमान परिदृश्य राष्ट्रीय राजधानी की एक गंभीर तस्वीर और पर्यावरण आपातकाल की स्थिति पेश करता है। भूजल प्रदूषण के साथ-साथ मीथेन और अन्य हानिकारक गैसों का लगातार उत्सर्जन हो रहा है। यहां तक कि बार-बार आग लगने की घटना को लेकर न्यूनतम सुरक्षा उपाय को अपनाया गया। नागरिकों के अधिकारों का गंभीर उल्लंघन हो रहा है।

संबंधित अधिकारी पर्यावरण और सार्वजनिक स्वास्थ्य की रक्षा में विफल हैं। पीठ ने कहा कि अब तक उठाए गए कदम कानून के आदेश को पूरा नहीं करते हैं और गंभीर तथ्यात्मक आपातकालीन स्थिति के अनुरूप नहीं हैं जो लगातार नागरिकों और पर्यावरण की सुरक्षा और स्वास्थ्य के लिए खतरा हैं। स्थिति को सुधारने के लिए मिशन मोड में एक नए और संवेदनशील दृष्टिकोण के साथ आपातकालीन उपायों की आवश्यकता है।

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