दिल्ली में काली होती हवा पर NGT गंभीर, कहा- AQI गिरने से रोकने में अधिकारियों से हुई चूक
एनजीटी ने दिल्ली-एनसीआर में बिगड़ती वायु गुणवत्ता पर चिंता जताई है। ट्रिब्यूनल ने कहा कि 23 अक्टूबर को दिल्ली में एक्यूआई 364 बहुत खराब श्रेणी में था। ट्रिब्यूनल ने वाहनों की आवाजाही और पार्किंग के कारण होने वाले वायु प्रदूषण को कम करने के लिए किए गए उपायों के बारे में दिल्ली पुलिस आयुक्त और यातायात के विशेष आयुक्त से जवाब मांगा है।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में लगातार खराब होती वायु गुणवत्ता की स्थिति पर गंभीर चिंता जाहिर करते हुए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने प्राधिकारियों पर सवाल उठाया है। एनजीटी चेयरमैन न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि 23 अक्टूबर को दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 364 बहुत खराब श्रेणी में था और यह दर्शाता है एनसीआर में हवा की गुणवत्ता में गिरावट को रोकने में अधिकारियों की तरफ से चूक हुई है।
एनजीटी ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) की एक रिपोर्ट पर असंतोष व्यक्त करते हुए कहा कि इसमें यह नहीं बताया गया कि ग्रेप-एक को लागू करने में औसतन कितने दिन लगते हैं।
एनजीटी ने ग्रेप-1 लागू करने की प्रक्रिया को देखा
एनजीटी (NGT) ने कहा कि रिपोर्ट में यह भी नहीं बताया गया है कि किस अवधि को पर्याप्त रूप से लंबा माना जाता है। एनजीटी ने नोट किया कि रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्रेप (GRAP) की व्यापक समीक्षा की गई थी और ग्रेप-एक तब लागू किया गया जब राष्ट्रीय राजधानी का औसत एक्यूआई (AQI) पर्याप्त लंबी अवधि के लिए 200 से अधिक था।इन उपायों पर भी करें काम- NGT
एनजीटी ने कहा कि ऐसा लगता है कि वस्तुनिष्ठ मानदंड लागू करने की जरूरत है और ग्रेप के विभिन्न चरणों को लागू करने के लिए एक पारदर्शी प्रक्रिया अपनाने की जरूरत है। उक्त टिप्पणी के साथ ही एनजीटी ने वाहनों की आवाजाही और पार्किंग के कारण होने वाले वायु प्रदूषण (Air Pollution) को कम करने के लिए किए गए उपायों के बारे में दिल्ली पुलिस आयुक्त और यातायात के विशेष आयुक्त से जवाब मांगा है।
एनजीटी ने उक्त टिप्पणी व आदेश राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में बिगड़ती वायु गुणवत्ता के मुद्दे पर सुनवाई करते हुए की।
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एनजीटी ने सरकार और एमसीडी को दिया ये निर्देश
ट्रिब्यूनल ने निर्देश दिया कि उल्लंघनों की जांच के लिए दिल्ली सरकार और दिल्ली नगर निगम (एमसीडी, MCD) द्वारा तैनात फील्ड स्टाफ और टीमों को मजबूत किया जाना चाहिए। साथ ही सक्षम अधिकारियों द्वारा निगरानी की जानी चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वे जमीनी स्तर पर प्रभावी ढंग से काम कर रहे हैं।
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