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Terror funding case: टेरर फंडिंग मामले में पांच आरोपितों के खिलाफ आरोप तय, साक्ष्यों के अभाव में एनआइए कोर्ट ने चार अन्य को किया बरी

Terror funding case एनआइए द्वारा दाखिल दस्तावेजों में यह साफ हुआ कि नईम ने जावेद की मदद से कुल 14 करोड़ रुपये हवाला के जरिए देश के अलग-अलग स्थानों और बैंक खातों में मंगाए। नईम को 28 नवंबर 2017 उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से गिरफ्तार किया गया था।

By Pradeep ChauhanEdited By: Updated: Fri, 17 Jun 2022 05:48 PM (IST)
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Terror funding case: इस दौरान उसे साल 2017 में फास्ट ट्रैक अदालत ने दोषी करार दिया था।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। Terror funding case: टेरर फंडिंग मामले में पटियाला हाउस कोर्ट स्थित विशेष एनआइए अदालत ने पांच आरोपितों के खिलाफ आरोप तय कर दिए हैं। आरोपितों के खिलाफ आपराधिक साजिश रचने, गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम(यूएपीए) की धारा 17, 18, 20, 40 21 और पासपोर्ट एक्ट के तहत आरोप तय किए गए हैं।

कोर्ट ने शेख अब्दुल नईम, बेदार बख्त, तौसीफ अहमद मलिक, हबीब उर रहमान और जावेद के खिलाफ आरोप तय किए हैं। वहीं साक्ष्यों के अभाव में अब्दुल समद, दिनेश गर्ग, आदिश कुमार जैन और गुल नवाज को आरोप मुक्त करार दिया है। पटियाला हाउस स्थित विशेष न्यायाधीश प्रवीण कुमार की अदालत ने 10 जून को एनआइए द्वारा दाखिल आरोप पत्र पर सुनवाई करते हुए अपना आदेश सुनाया।

एनआइए ने कोर्ट को बताया कि शेख अब्दुल नईम जो कि टेरर फंडिंग मामले में मुख्य आरोपित है वह मध्यपूर्व के देशों में रहने वाले अपने साथियों के साथ संपर्क में था जो खाड़ी देशों से आने वाले रुपयों को भारत में हवाला के जरिए पहुंचा रहे थे। एनआइए ने कोर्ट को बताया कि नईम बांग्लादेश बार्डर से भारत आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए साल 2007 में आया था। इस दौरान उसे साल 2017 में फास्ट ट्रैक अदालत ने दोषी करार दिया था।

लेकिन कोर्ट से वापस बंगाल ले जाते समय नईम कोलकाता पुलिस की हिरासत से भाग कर उत्तर प्रदेश के रामपुर इलाके में आ गया था। जहां उसने अपने साथियों की मदद से खाडी देशों से आने वाली रकम को आतंकी घटनाओं में, हथियार की खरीदारी में लगाना शुरू कर दिया।

एनआइए द्वारा दाखिल दस्तावेजों में यह साफ हुआ कि नईम ने जावेद की मदद से कुल 14 करोड़ रुपये हवाला के जरिए देश के अलग-अलग स्थानों और बैंक खातों में मंगाए। नईम को , 28 नवंबर, 2017 उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से गिरफ्तार किया गया था।

जांच के दौरान, यह पता चला कि आरोपित बेदार बख्त, तौसीफ अहमद मलिक, मफूज आलम, हबीब-उर-रहनाम और अमजद ने नईम को आश्रय, रसद, मोबाइल फोन प्रदान किए थे, उसके लिए धन जुटाया था और उसे सुविधा भी दी थी। सोनू सोहेल खान के रूप में फर्जी पहचान बनाने में। जांच के दौरान आगे पता चला कि अब्दुल समद, आरोपित दिनेश गर्ग और जैन कथित तौर पर सऊदी अरब से प्राप्त धन प्राप्त करने, एकत्र करने और वितरित करने में शामिल थे।

जालसाजी और पासपोर्ट अधिनियम पर एनआइए पर तल्ख हुआ कोर्ट

अदालत ने मामले में सरकारी गवाह बने समद, गर्ग, जैन और गुल नवाज को यूएपीए की धाराओं सहित सभी अपराधों से बरी कर दिया। अदालत ने कहा कि धारा 468 (धोखाधड़ी के उद्देश्य से जालसाजी), 471 (जालसाजी) आईपीसी, पासपोर्ट अधिनियम और आधार अधिनियम की धाराओं के तहत दंडनीय अपराधों के लिए भी आरोप पत्र दायर किया गया है। इस मामले में न तो एनआइए ने कोई साक्ष्य सामने रखा है न ही कोई आरोप लगाया है। एनआइए को मामले में गंभीरता से जांच करते हुए आरोप पत्र दाखिल करना चाहिए।

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