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अर्ध-कुंभ और ट्रेन में विस्फोट करने की साजिश रचने के मामले में पांच दोषियों को NIA विशेष कोर्ट ने सुनाई सात-सात साल की सजा

एनआइए विशेष न्यायाधीश प्रवीण सिंह ने अदालत ने कहा कि दोषियों ने एक गंभीर अपराध किया है और खुद अपने गुनाह को कबूल किया है। जिस समय उन्होंने अपराध किया और गिरफ्तारी हुई उस समय वे कम उम्र के थे।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Updated: Fri, 03 Jun 2022 01:57 PM (IST)
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चार दोषियों पर लगाया 24-24 हजार का जुर्माना, एक दोषी पर लगाया 18 हजार का जुर्माना
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। हरिद्वार में वर्ष 2016 में आयोजित होने वाले अर्ध-कुंभ और वहां आने वाली ट्रेन में विस्फोट करने की साजिश रचने के मामले में गिरफ्तार किए गए पांच दोषियों को पटियाला हाउस स्थित विशेष एनआइए अदालत ने सात-सात साल की सजा सुनाई।

एनआइए विशेष न्यायाधीश प्रवीण सिंह ने अदालत ने कहा कि दोषियों ने एक गंभीर अपराध किया है और खुद अपने गुनाह को कबूल किया है। जिस समय उन्होंने अपराध किया और गिरफ्तारी हुई उस समय वे कम उम्र के थे। ऐसे में उनकी यह दलील अस्वीकार नहीं की जा सकती है कि अपरिपक्वता के कारण वे लोगों के बहकावे में आकर गलत रास्ते पर चले गए थे।

अदालत ने सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए उत्तराखंड के हरिद्वार के भगवान पुर गांव निवासी अखलाकुर रहमान उर्फ अखलाक, हरिद्वार के लंधौरा गांव निवासी मोहम्मद अजीमुशान व मोहम्मद मेराज उर्फ मोनू, हरिद्वार के जोरासी गांव निवासी मोहम्मद ओसामा उर्फ आदिल उर्फ पीर और मुंबई के मलाड वेस्ट निवासी मोहसिन इब्राहिम सय्यद को सात-सात साल की सजा सुनाई। अदालत ने कहा कि जेल के अंदर कुछ दोषियों को उनके अनुशासनहीनता पर सजा दी गई, लेकिन सभी दोषियों ने सुधार की दिशा में अपनी रूचि दिखाई है।

अदालत ने कहा कि सभी दोषी निम्न स्तर के परिवार से आते हैं और ऐसे में उन पर कम जुर्माना ही लगाना ठीक है। अदालत ने इन सभी पर 21 नवंबर 2016 को विभिन्न धाराओं के तहत आरोप तय किया गया था। हालांकि, सुनवाई के दौरान सभी दोषियों ने अदालत में आवेदन दाखिल करके अपने गुनाह स्वीकार कर लिया था। उन्होंने अदालत में अलग-अलग अपने दिए बयान में कहा था कि उक्त वारदात की योजना बनाने में उनकी भूमिका नहीं है।

विभिन्न धाराओं के तहत सुनाई सजा, लगाया जुर्माना

अदालत ने अखलाकुर, अजीमुशान, मेराज, मोहम्मद ओसामा को भारतीय दंड संहिता की धारा- 120 बी आपराधिक साजिश रचने, गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) की धारा-यूएपीए की धारा-20 (आतंकवादी गिरोह या संगठन का सदस्य होना), धारा-18 (आतंकवादी कृत्य करने की साजिश) और विस्फोटक अधिनियम की धाराओं के तहत सात साल की सजा और विभिन्न धाराओं के तहत 24-24 हजार रुपये का जुर्माना लगाया। वहीं, इब्राहिम पर 18 हजार रुपये का जुर्माना लगाया। इब्राहिम पर विस्फोटक अधिनियम नहीं लगाया गया था। अदालत ने इस मामले में सभी आरोपितों को 22 मई को दोषी करार दिया था।

सात से आठ महीने में बाहर आ जाएंगे चार दोषी

हालांकि, मामले में दोषी करार दिए गए अखलाकुर, अजीमुशान, मेराज, मोहम्मद ओसामा पहले ही छह साल से अधिक की सजा जेल में काट चुके हैं।ऐसे में सात से आठ महीने की सजा के बाद रिहा हो जाएंगे। वहीं, फरवरी 2016 में गिरफ्तार किया गया इब्राहिम फरवरी-2023 में सजा पूरी होगी। हालांकि, यूएपीए के एक अन्य मामले में मुंबई की एक अदालत ने आठ साल की सजा पाया इब्राहिम जेल में ही रहेगा। अभियोजन ने सख्त सजा की मांगमामले में जिरह के दौरान लोक अभियोजक विशाल द्विवेदी ने दलील दी थी कि दोषियों ने एक गंभीर अपराध किया है और अपने जुर्म को कबूल भी किया है। उन्होंने दलील दी थी कि यह जिस तरह का अपराध है इसके परिवार भयावह हो सकते थे।

उन्होंने कहा कि दोषियों ने 65 किलो माचिस का पाउडर एकत्रित किया था और वे आइईडी बनाने की योजना बना रहे थे ताकि हरिद्वार में होने वाले अर्धकुंभ में विस्फोट करके तबाही मचा सकें।उन्होंने कहा कि अगर दोषी अपने मंसूबे में कामयाब हो जाते तो बड़ी संख्या में लोगों की जान जा सकती थी। उन्होंने दलील दी थी कि क्योंकि दोषियों ने अपने गुनाह को कबूल कर लिया है, इसलिए उनके साथ कोई रियायत नहीं बरती जानी चाहिए और उन्हें सख्त सजा दी जानी चाहिए।

पहला है दोषियों का अपराध, दी जाए कम सजा

वहीं, दोषियों की तरफ से पेश हुई अधिवक्ता उम्मे सलमा ने दलील दी थी कि सभी दोषी युवा और छात्र हैं।दोषियों ने पहली बार अपराध किया है और उनका किसी अन्य अपराध में कोई भूमिका नहीं है और वे सुधार करना चाहते हैं। ऐसे में उन्हें कम से कम सजा दी जाए। दोषी इब्राहिम की तरफ से अधिवक्ता कौसर खान ने दलली दी कि इब्राहिम नौवीं पास है और और वह सुधार करना चाहता है। वह अब दोबारा इस तरह की गतिविधि नहीं करेगा।

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