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700 CCTV कैमरे और 150 ऑटो की जांच... दिल्ली में ऐसे हत्थे चढ़े गैंगरेप के तीन दरिंदे

Delhi Rape Case दिल्ली में फिर निर्भया जैसा कांड दोहराया गया है। तीन दरिंदों ने 34 वर्षीय युवती के साथ हैवानियत की सभी हदें पार कर दीं। पुलिस ने इस मामले में 25 दिन की कड़ी मेहनत के बाद तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है। एक नौसेना अधिकारी को युवती सड़क किनारे खून से लथपथ हालत में मिली थी। आगे विस्तार से जानिए पूरा मामला क्या है।

By Jagran News Edited By: Kapil Kumar Updated: Thu, 07 Nov 2024 01:06 PM (IST)
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दिल्ली में सामूहिक दुष्कर्म के तीन आरोपी गिरफ्तार। फाइल फोटो
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। Nirbhaya Rape Case देश की राजधानी दिल्ली में महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं। क्योंकि कदम-कदम पर दरिंदे खड़े है। यह सवाल इसलिए उठ रहा है। क्योंकि राजधानी में एक बार फिर से निर्भया कांड दोहराया गया। दक्षिण-पूर्वी दिल्ली के सराय काले खां में एक 34 वर्षीय युवती के साथ दरिंदगी की हदें पार कर दी गईं। तीन दरिंदों ने युवती के साथ बारी-बारी से सामूहिक दुष्कर्म किया।

इसके बाद उसे सड़क किनारे फेंककर आरोपी फरार हो गए। बताया गया कि गंभीर हालत में सड़क किनारे पड़ी युवती को एक ऑटो चालक ने भी राजघाट के पास ले जाकर दुष्कर्म किया। इसके बाद ऑटो चालक भी वहां से फरार हो गया। युवती के निजी अंगों से खून बहता रहा, लेकिन किसी का भी युवती को देखखर दिल नहीं पसीजा।

अब इस मामले में पुलिस ने तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है। यह घटना 11 अक्टूबर की रात की है। आइए आपको आगे बताते हैं कि इस घटना में शुरू से आखिर तक क्या-क्या हुआ?

नौसेना के अधिकारी ने युवती को पहुंचाया था अस्पताल

पुलिस के मुताबाकि, 11 अक्टूबर की रात (12 अक्टूबर तड़के) करीब साढ़े तीन बजे एक नौसेना के अधिकारी सराय काले खां रोड से गुजर रहे थे। इसी दौरान उनकी नजर एक युवती पर पड़ी। युवती बेसुध अवस्था में सड़क किनारे पड़ी थी। नौसेना अधिकी उसके पास गए तो वह खून से लथपथ थी। इसके बाद नौसेना अधिकारी ने पुलिस को सूचना दी और युवती को अस्पताल पहुंचा।

बताया गया कि युवती के निजी अंगों पर चोट के गहरे निशान मिले हैं। पुलिस के अनुसार, युवती मानसूक रूप से भी परेशान है। वहीं, पुलिस की जांच में सामने आया है कि यह युवती ओडिशा की रहने वाली है।

पुलिस की कड़ी मेहनत से दबोचे गए आरोपी

पुलिस के अनुसार, घटना के समय युवती बयान देने की स्थिति में नहीं थी। लेकिन युवती की हालत में थोड़ा सुधार होने पर पुलिस को पता चला कि वह मानसिक रूप से भी ठीक नहीं है। इस वजह से पुलिस के लिए यह केस सुलझाना और कठिन हो गया था। लेकिन पुलिस लगातार उन दरिंदों की तलाश में जुटी थी।

700 से ज्यादा कैमरे और 150 ज्यादा ऑटो की जांच की

पुलिस ने इस केस को सुलझाने के लिए 700 से ज्यादा सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली, जबकि 150 से ज्यादा ऑटो की जांच की। 21 दिनों की जांच के बाद पुलिस को कामयाबी मिली है। 

ये हुए गिरफ्तार

रामायण महतो का बेटा प्रभु महतो निवासी मकान नं. सी-459, प्रताप का मकान, गली नंबर 6, कोटला मुबारकपुर, दिल्ली। उनका स्थायी पता ग्राम गायघाट, थाना है। हरसिद्धि, जिला मोतिहारी, दिल्ली। 28 वर्षीय प्रभु परवीन सैनी ऑटो चालक (DL1RAA 9327) के रूप में कार्यरत हैं। वह दो महीने पहले आजीविका की तलाश में दिल्ली आया था और उसके सात बच्चे हैं। आरोपी प्रभु छठ पूजा की पूर्व संध्या पर दिल्ली छोड़कर बिहार जाने की योजना बना रहा था।

गुरदीन का बेटा प्रमोद उर्फ ​​बाबू निवासी 92, सेक्टर ए-6, पॉकेट-4, नरेला, नई दिल्ली। स्थायी पता ग्राम अमरतर, तहसील अकबरपुर, जिला अंबेडकर नगर, उत्तर प्रदेश।

मोहम्मद खलील का पुत्र मोहम्मद शमसुल उर्फ ​​राजू निवाली गली नंबर 5, गुरुद्वारा वाली गली, गांधी नगर, नई दिल्ली में रहता है। उसका स्थायी पता ग्राम बकरी सलोना, पी.एस. है। बकरीसलोना, जिला बेगुसराय, बिहार। 29 साल का शमसुल भीख मांगने का काम करता है। शमसुल 3-4 साल पहले आजीविका के लिए दिल्ली आया था और उसका एक बच्चा भी है।  

बहुत कठिन था यह केस सुलझाना

यह एक ऐसा मामला था, जिसमें कोई प्रारंभिक सुराग नहीं था। क्योंकि न केवल आरोपी का विवरण बल्कि घटना का सही समय और स्थान भी पुलिस को नहीं पता था। इसके अलावा पीड़िता अपनी मानसिक बीमारी के कारण जांच में सहायता नहीं कर सकती थी।

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खुलासे के लिए बनाई गई थीं 10 टीमें

इस मामले की गंभीरता को देखते हुए आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस विभाग ने केस को सुलझाने के लिए पुलिस की 10 टीमें गठित की थी। इस टीम में एसआई शुभम चौधरी, एसआई दीप्ति चौधरी, एसआई जीतेंद्र, एसआई विनोद कुमार, एसआई राजबीर सिंह, एएसआई रूप सिंह शामिल हैं।

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इनके अलावा एसई, एएसआई सुलेमुद्दीन, एएसआई शरवन, एएसआई धीर सिंह, एचसी महेंद्र, एचसी राजेश, एचसी नीरज, संगीता और सीटी देबानंद शामिल थे। इस मामले को सुलझाने की जिम्मेदारी भी राजेंद्र सिंह डागर को दी गई थी। 

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