Nirjala Ekadashi: प्रकृति प्रेम व पितरों के प्रति सम्मान का प्रतीक है निर्जला एकादशी व्रत
निर्जला एकादशी महज एक त्योहार ही नहीं है बल्कि यह प्रकृति के प्रति अपनी प्रेम भावना प्रदर्शित करने व अपने पूर्वजों को याद करने का भी पर्व है।
By Mangal YadavEdited By: Updated: Tue, 02 Jun 2020 04:32 PM (IST)
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। निर्जला एकादशी महज एक त्योहार ही नहीं है बल्कि यह प्रकृति के प्रति अपनी प्रेम भावना प्रदर्शित करने व अपने पूर्वजों को याद करने का भी पर्व है। विद्वानों का कहना है कि वर्ष में कुल 24 यानि 12 एकादशी कृष्ण पक्ष व 12 शुक्ल पक्ष में पड़ती हैं। इन सभी 24 एकादशियों में निर्जला एकादशी सर्वश्रेष्ठ है। मंगलवार को ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी है। मान्यता है कि इस एकादशी का व्रत रखने से सभी 24 एकादशियों का पुण्य मिलता है। इस अवसर पर भगवान विष्णु की पूजा की जाती है।
इस व्रत में जल का सबसे ज्यादा महत्व है। इसे पांडव एकादशी व भीमसैनी एकादशी भी कहते हैं। दान के लिए खरीदे मटके, फलनिर्जला एकादशी के अवसर पर दान करने के लिए सोमवार को लोगों ने बाजारों से घड़े, मटके, हाथ से बने पंखे, तरबूज, खरबूजा आदि की खरीदारी की। ओखला मंडी के बाहर सोमवार सुबह से ही लोग तरबूज व खरबूजा खरीदने के लिए आने लगे थे। गोविंदपुरी से यहां पर फल खरीदने आई मीनू प्रकाश ने बताया कि वह हर साल निर्जला एकादशी व्रत रखती हैं। यह व्रत उन्हें जरूरतमंद लोगों की मदद करने की प्रेरणा देता है। लॉकडाउन के कारण आज बहुत से लोग परेशान हैं।
भीषण गर्मी के इस मौसम में शीतलता प्रदान करने वाले फल दान करके उन्हें पुण्य प्राप्त होगा। वहीं, श्रीनिवासपुरी से आए प्रदीप ने बताया कि यह पर्व हमें अपने बुजुर्गों के प्रति सम्मान प्रकट करने का अवसर देता है। घड़ा दान करके हम किसी को ठंडा जल पीने का अवसर देते हैं। यह एक तरह से प्रकृति के प्रति हमारे लगाव को दर्शाता है। तरबूज विक्रेता रमेश ने बताया कि रविवार से ही तरबूज की बिक्री बढ़ गई थी। सोमवार को भी बड़ी संख्या में ग्राहक आए हैं। वहीं, गढ़ी गांव में मिट्टी के बर्तन बेचने वाले धर्मवीर ने बताया कि लोग दान में देने के लिए टोंटी वाले मटके व सुराही ले जा रहे हैं।
माना जाता है कि निर्जला एकादशी का व्रत रखने से दीर्घायु प्राप्त होती है। इस व्रत से मोक्ष की प्राप्ति भी होती है। इस पर्व में जल वाले फल जैसे तरबूज व खरबूजा आदि दान करने चाहिए ताकि लोगों को शीतलता प्राप्त हो सके। लोगों को पूरी श्रद्धा से दान करना चाहिए। हमें जरूरतमंद लोगों को दान करना चाहिए। वेद व्यास जी ने भी कहा है कि इस व्रत से व्यक्ति को मोक्ष प्राप्ति होती है। - आचार्य संजय शर्मा
निर्जला एकादशी व्रत करने वाला व्यक्ति पूरे दिन जल का सेवन नहीं करता है। हालांकि, जो लोग बिना जल ग्रहण किए व्रत नहीं कर सकते वे सेंधा नमक के साथ फलाहार कर सकते हैं। यह व्रत करने से पितरों का आशीर्वाद मिलता है। परिवार में सुख-शांति आती है। इसलिए इस पर्व पर दान अवश्य करें। - राम लखन तिवारी, पुजारी, गीता भवन मंदिर, मालवीय नगर
इस बार व्रत पारण बुधवार सुबह 5.23 बजे से 08.08 बजे के बीच है। यानि मंगलवार सुबह से जो लोग व्रत रखेंगे वे बुधवार सुबह इस समयावधि के दौरान व्रत खोल सकते हैं। इस व्रत से पितृदोष दूर हो जाता है। निर्जला एकादशी व्रत से 100 अश्वमेघ यज्ञ जितना पुण्य मिलता है। - डॉ. मुकेश शास्त्री
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