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RIP Deepak Nirula: कभी दिलवालों की दिल्ली पर राज करता था निरूला का फास्ट फूड, Hot Chocolate Fudge आज भी मशहूर

RIP Deepak Nirula 1934 में लक्ष्मी चंद निरूला और मदन गोपाल निरूला नाम के दो भाईयों ने नई दिल्ली के कनाट प्लेस में 12 कमरों के एक छोटे से होटल में एक स्टार्टअप की शुरुआत की थी। तब स्टार्टअप शब्द शायद ही आज की तरह प्रचलित होता होगा।

By Aditi ChoudharyEdited By: Updated: Fri, 07 Oct 2022 07:27 AM (IST)
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80 और 90 के दशक मेंं निरूला ने अपने जायके से लोगों को बनाया दिवाना (तस्वीर साभार- Nirula's)
नई दिल्ली, जागरण डिजिटल डेस्क। RIP Deepak Nirula: कुछ ब्रांड किसी शहर की संस्कृति और विकास की अभिव्यक्ति होते हैं। समय के साथ-साथ वह ब्रांड शहर के लोगों का आभिमान भी बन जाता है। ऐसे में कई बार उस जगह की कहानी ब्रांड के जिक्र के बिना अधूरी रहती है।

80-90 दशक में दिल्ली पर छाया था निरूला

ठीक इसी तरह राजधानी दिल्ली का जिक्र निरूला के बिना अधूरा है। एक ब्रांड जो न सिर्फ 80 और 90 के दशक में मशहूर हुआ, बल्कि इसका जिक्र ही दिल्ली की पहचान बन गया। दिल्ली में देसी फास्ट फूड की पहली श्रृंखला की शुरुआत करने वाले दीपक निरूला के निधन के साथ ही इस ब्रांड से जुड़ी यादें दिल्ली वालों के जहन में एक बार फिर ताजा हो गई हैं।

लक्ष्मी और मदन गोपाल ने शुरू किया था स्टार्टअप

1934 में लक्ष्मी चंद निरूला और मदन गोपाल निरूला नाम के दो भाइयों ने नई दिल्ली के कनाट प्लेस में 12 कमरों के एक छोटे से होटल में एक स्टार्टअप की शुरुआत की थी। तब स्टार्टअप शब्द शायद ही आज की तरह प्रचलित होता होगा, मगर अनिश्चिचतताओं के साथ दोनों भाई दिल्ली वालों के लिए कुछ नया लाने के प्रयास में थे।

दोनों भाइयों ने शहर को लगा दी अपने स्वाद की लत

देसी अंदाज में उन्होंने दिल्ली के लोगों को पिज्जा और बर्गर का स्वाद चखाया। फिर शहर के लोगों को मानों निरूला की लत लग गई। देखते ही देखते निरूला के फास्ट फूड पूरे दिल्ली में मशहूर हो गए। शहर के कोने कोने से यहां लोगों की भीड़ लगने लगी।

खानेपीने के शौकीनों को फेवरेट बन गया था निरूला कार्नर

कनाट प्लेस में फोटोग्राफी की दुकान चलाने वाले दोनों भाइयों ने 1942 में निरूला कार्नर हाउस नामक एक रेस्तरां की स्थापना की। बैंड, कैबरे, मैजिक शो और फ्लेमेंको डांसर्स के साथ  यहां पर वह सबकुछ था, जिसके कारण यह जगह दिल्ली के युवाओं का फेवरेट स्पाट  बन गया।

लोगों में बढ़ने लगा था आकर्षण

वर्ष 1950 तक राजधानी दिल्ली में निरूला के 'ला बोहेम' एक आस्ट्रो-हंगेरियन रेस्तरां,  'गुफा' एक भारतीय रेस्तरां और 'चीनी कक्ष' नाम के तीन लोकप्रिय थीम रेस्तरां खुल चुके थे। इसके साथ लोगों का आकर्षण भी बढ़ने लगा था।

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होटल और रेस्तरां में भी आजमाया हाथ

समय गुजरने के साथ ही लक्ष्मी चंद और मदन गोपाल द्वारा शुरू किया गया होटल और रेस्तरां का नेतृत्व कार्नेल यूनिवर्सिटी से पढ़े उनके बेटे ललित और दीपक करने लगे। वर्ष 1977 में दोनों ने दिल्ली में पहली क्विक सर्विस रेस्तरां की नींव रखी। कुछ समय के भीतर ही यहां का आइसक्रीम के लोग दीवाने हो गए। निरूला के हाट चाकलेट फज, पिज्जा, फुटलान्ग और आइसक्रीम सोडा आज भी बाजार में लोगों को भाती है।

70 वर्षीय दीपक निरूला के निधन के साथ ही उस युग का अंत हो गया, जिन्होंने न सिर्फ दिल्ली बल्कि पूरे उत्तर भारत में ब्रांड का विस्तार किया। साल 2006 में नेविस कैपिटल पार्टनर्स ने निरूला को खरीद लिया और निरूला परिवार ने ब्रांड नाम का स्वामित्व बंद कर दिया, मगर निरूला के खाने के शौकीनों के लिए पुराने दिनों की यादें आज भी ताजा हैं और सालों तक रहेंगी।

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नई पीढ़ी रह गई पुराने स्वाद से महरूम

चाणक्यपुरी और डिफेंस कालोनी में निरूला के प्रसिद्ध आउटलेट आज भी अपने गौरवपूर्ण अतीत की याद दिलाते हैं। मगर फास्ट फूड से पटे बाजार में आज की नई पीढ़ी निरूला के पुराने स्वाद को नहीं समझ पाएगी।

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