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तिहाड़ में कैदियों की मनमानी पर नहीं लग रहा 'ब्रेक', 243 मोबाइल बरामद; अब जेल प्रशासन ने उठाया सख्त कदम

तिहाड़ जेल प्रशासन ने तय किया है कि मोबाइल नेटवर्क पर रोक लगाने के लिए जेल परिसरों में लगे जैमर टावर की संख्या दोगुनी की जाएगी। इसके तहत तिहाड़ में टावर की संख्या दो से बढ़ाकर चार मंडोली में एक से बढ़ाकर दो किया जाना है। रोहिणी परिसर जहां अभी तक जैमर टावर नहीं लगे थे वहां भी दो टावर लगाए जाएंगे।

By Gautam Kumar Mishra Edited By: Sonu Suman Updated: Thu, 17 Oct 2024 08:18 PM (IST)
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देश की सबसे बड़ी जेल में कैदियों की मनमानी पर ब्रेक नहीं लग रहा है।
गौतम कुमार मिश्रा, पश्चिमी दिल्ली। देश की सबसे बड़ी जेल में कैदियों की मनमानी पर ब्रेक नहीं लग रहा है। कैदी जेल में मोबाइल का इस्तेमाल करने से बाज नहीं आ रहे हैं। दिल्ली पुलिस अपनी कई विज्ञप्तियों में इस बात का दावा करती है कि जेलों में बंद गैंगस्टर बाहर मौजूद गुर्गों से संपर्क कर बड़ी वारदात अंजाम दे रहे हैं। इधर पुलिस के दावों के बीच हर महीने बड़ी तादाद मोबाइल की बरामदगी ने जेल प्रशासन को असहज करते हुए अत्याधुनिक तकनीक की शरण में जाने को मजबूर कर दिया है।

अब जेल प्रशासन ने तय किया है कि मोबाइल नेटवर्क पर रोक लगाने के लिए जेल परिसरों में लगे जैमर टावर की संख्या दोगुनी की जाएगी। इसके तहत तिहाड़ में टावर की संख्या दो से बढ़ाकर चार, मंडोली में एक से बढ़ाकर दो किया जाना है। रोहिणी परिसर जहां अभी तक जैमर टावर नहीं लगे थे, वहां भी दो टावर लगाए जाएंगे।

हर महीने 30 से अधिक मोबाइल की बरामदगी

जेल प्रशासन से मिली जानकारी के अनुसार हर महीने 30 से अधिक मोबाइल की बरामदगी हो रही है। जुलाई और अगस्त महीने में तो यह संख्या 40 को पार कर गया। अक्टूबर महीने की बात करें तो अभी तक 17 मोबाइल बरामद किए जा चुके हैं। अप्रैल से अभी तक दिल्ली की जेलों से 243 मोबाइल बरामद किए जा चुके हैं। बहुस्तरीय सुरक्षा घेरे से लैस जेलों से इतनी बड़ी संख्या में मोबाइलों की बरामदगी से जेल प्रशासन असहज है।

मोबाइल नेटवर्क पर नकेल के लिए दो स्तरीय जैमर की व्यवस्था

जेल अधिकारी ने बताया कि नए टावर हार्मोनिक्स कॉल ब्लॉकिंग सिस्टम पर आधारित हैं। इस प्रणाली का इस्तेमाल अभी तिहाड़ सहित देश की कई जेलों में किया जा रहा है। तिहाड़ व मंडोली जेल परिसर में अभी ये जितने टावर हैं, वे जेल परिसर के पूरे नेटवर्क को रोक पाने में सक्षम साबित नहीं हो रहे हैं। इसे देखते हुए तकनीकी विशेषज्ञ से सलाह देने के बाद टावर की संख्या को दो गुना करने का फैसला लिया गया। टावर की संख्या दोगुनी होने के बाद जैमर का असर पहले के मुकाबले ज्यादा कारगर रहेगा।

टावर की जद में पूरा जेल परिसर होगा। रोहिणी परिसर अभी तक इस दायरे से बाहर था, लेकिन अब वहां भी जैमर का पहरा होगा। जैमर टावर के अलावा ऐसे इलाके जहां मोबाइल की बरामदगी आए दिन होती रहती है या फिर जहां इनके इस्तेमाल की अधिक आशंका है, वहां पोटेबल जैमर भी लगाए जाएंगे। ऐसे करीब 50 पोटेबल जैमर मशीन की खरीद की जाएगी। टावर व पोटेबल जैमर के लिए उपकरणों की व्यवस्था के लिए भारत इलेक्ट्रानिक लिमिटेड से बात चल रही है।

ज्यादा छापेमारी ज्यादा बरामदगी

जेल अधिकारी का कहना है कि इतनी बड़ी तादाद में मोबाइल की बरामदगी चिंता की बात तो है, लेकिन इतनी बड़ी तादाद हमारी निगरानी की कड़ी व्यवस्था को भी दर्शाता है। दिल्ली की सभी जेलों में रोजाना कुल 50 छापेमारी की जा रही हैं। ये छापेमारी तीन स्तरों पर हो रही हैं। पहले स्तर पर जेल की अपनी टीम, दूसरे स्तर पर वहां की क्यूआरटी और तीसरे स्तर पर केंद्रीय क्यूआरटी टीम है। जब से छापेमारी की संख्या बढ़ाई गई है, मोबाइल की बरामदगी में उछाल आया है।

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