Move to Jagran APP

Arvind Kejriwal को न्यायिक हिरासत में भेजने के अलावा ऑप्शन नहीं, कोर्ट ने ऐसा क्यों कहा?

आबकारी नीति घोटाले में अदालत ने शनिवार को दिल्ली सीएम Arvind Kejriwal को 12 जुलाई तक के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया। अदालत ने कहा कि सीबीआइ रिमांड समाप्त होने के बाद अदालत के पास आरोपित को न्यायिक हिरासत में भेजने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। आरोपित प्रक्रिया के अनुसार जमानत के लिए आवेदन दायर कर सकता है।

By Jagran News Edited By: Abhishek Tiwari Updated: Sun, 30 Jun 2024 08:36 AM (IST)
Hero Image
अदालत ने केजरीवाल को 12 जुलाई तक के लिए न्यायिक हिरासत में भेजा। (फाइल फोटो)
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। आबकारी नीति घोटाला से जुड़े भ्रष्टाचार मामले में तीन दिन का रिमांड समाप्त होने बाद शनिवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को राउज एवेन्यू कोर्ट में पेश कर सीबीआई ने न्यायिक हिरासत में भेजने की मांग की। अवकाश न्यायाधीश सुनैना शर्मा के समक्ष सीबीआई ने आरोप लगाया कि रिमांड में पूछताछ के दौरान केजरीवाल सवालों से बचते रहे और उन्होंने जांच में सहयोग नहीं किया।

सीबीआई ने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री होने के नाते केजरीवाल एक प्रभावशाली व्यक्ति हैं और अगर उन्हें हिरासत में नहीं रखा गया तो वह न सिर्फ गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं, बल्कि साक्ष्यों से भी छेड़छाड़ कर सकते हैं। केजरीवाल की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता ने न्यायिक हिरासत में भेजने संबंधी सीबीआई के आवेदन के विरोध में कई तर्क दिए।

पत्नी सुनीता से मिले केजरीवाल

दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने केजरीवाल को 12 जुलाई तक के लिए न्यायिक हिरासत में भेजने का आदेश पारित किया। सुनवाई के बाद अदालत कक्ष में ही 10 मिनट के लिए पत्नी सुनीता केजरीवाल से मिलने की अनुमति देने का केजरीवाल के अधिवक्ता ने अनुरोध किया। अदालत ने अनुरोध को स्वीकार कर लिया।

सुनवाई के दौरान न्यायिक हिरासत बढ़ाने की मांग संबंधी आवेदन का केजरीवाल की तरफ से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता विक्रम चौधरी ने विरोध किया। विक्रम चौधरी ने तीन बिंदु पर अदालत के समक्ष तर्क पेश किया।

ये भी पढ़ें-

'तानाशाह का विनाश हो जाए, अब हमेशा रहेगी यही प्रार्थना...', सुनीता केजरीवाल का फूटा गुस्सा

21 मार्च को ईडी ने किया था गिरफ्तार

उन्होंने कहा कि मामले की जांच अगस्त 2022 से चल रही है और केजरीवाल को 21 मार्च को ईडी ने गिरफ्तार किया था। 10 मई को सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें अंतरिम जमानत दी थी। यह भी कहा कि सीबीआई ने आग्रह किया था कि जनवरी में केजरीवाल के खिलाफ कुछ सुबूत एकत्र किए गए थे और उन्हें अप्रैल में भ्रष्टाचार निवारण कानून के तहत अभियोजन की मंजूरी मिल गई थी।

केजरीवाल को पहले गिरफ्तार नहीं किया गया था, क्योंकि सीबीआई शीर्ष अदालत की कार्यवाही को आगे नहीं बढ़ाना चाहती थी। चौधरी ने एक आवेदन दायर कर मांग की कि सीबीआई को केस डायरी सहित मामले में केजरीवाल के खिलाफ एकत्र की गई सभी सामग्री को रिकॉर्ड पर रखने के लिए कहा जाए। उन्होंने कहा कि अदालत की सहायता के लिए आवेदन दायर किया गया है।

विक्रम चौधरी के इस आवेदन पर अदालत ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि जांच और पुलिस हिरासत के दौरान आइओ द्वारा उठाए गए कदमों की निगरानी करना अदालत का दायित्व है, लेकिन यह अदालत और आइओ के बीच है। इन सामग्रियों का ब्योरा आरोपितों को नहीं दिया जा सकता।

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।