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ग्रेटर नोएडा हादसाः ललिता पार्क जैसा न हो जाए जांच का हश्र

वर्ष 2010 में गिरी इमारत के मलबे में दबने से हुई थी 67 लोगों की मौत। 8 साल की जांच में केवल एक जूनियर इंजीनियर को दोषी मान, पेंशन में कटौती की गई थी।

By Amit SinghEdited By: Updated: Fri, 20 Jul 2018 11:36 AM (IST)
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ग्रेटर नोएडा हादसाः ललिता पार्क जैसा न हो जाए जांच का हश्र
नोएडा (प्रवीण विक्रम सिंह)। दिल्ली से सटे ग्रेटर नोएडा वेस्ट स्थित शाहबेरी गांव में धराशायी हुई छह मंजिला इमारतों के मलबे में दबने से नौ लोगों की अब तक मौत हो चुकी है। दो लोग अब भी लापता बताए जा रहे हैं। घटिया निर्माण सामग्री का प्रयोग कर बनाई गई अवैध इमारत के मामले में ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण व प्रशासन को दोषी माना जा रहा है। लोगों ने प्राधिकरण और प्रशासन से अवैध निर्माण की शिकायत की थी, लेकिन दोनों ने निर्माण को रोकने के कोई लिए कदम नहीं उठाए।

हादसे के बाद पुलिस ने मामले में 24 नामजद लोगों के खिलाफ रिपोर्ट तो दर्ज कर ली है। जांच कमेटी भी बना दी गई है। लोग खुलेआम कह रहे हैं कि शासन ने सिर्फ दिखावे के लिए जांच कमेटी बनाई है। जांच कमेटी में उन्हीं लोगों को शामिल किया गया है, जिनकी छत्र-छाया में अवैध निर्माण हुआ। लोगों को अंदेशा है कि कहीं शाहबेरी की जांच का हाल दिल्ली के ललिता पार्क में गिरी इमारत जैसा न हो जाए।

नवंबर 2010 में दिल्ली के ललिता पार्क में गिरी इमारत के मलबे में दबने से 67 लोगों की मौत हो गई थी और 77 लोग घायल हुए थे। इतने बड़े हादसे की जांच 8 वर्ष चली। 8 वर्ष बाद सिर्फ जूनियर इंजीनियर को दोषी माना गया। सजा के तौर पर इंजीनियर की पेंशन से महज पांच फीसद रकम काटने के आदेश दिए गए थे। आम तौर पर इस तरह के मामलों में छोटे कर्मचारियों को ही बली का बकरा बनाया जाता है। बड़े अधिकारी साफ बच निकलते हैं।

दिल्ली में हुई घटना के दौरान वहां रह रहे विनोद कुमार अब ग्रेटर नोएडा वेस्ट शिफ्ट हो गए है। विनोद कुमार ने बताया कि दिल्ली में जब ललिता पार्क में इमारत धराशायी हुई थी तो कई बड़े लोगों के नाम अलग-अलग माध्यम से प्रकाश में आए थे। हालांकि जांच में किसी का नाम शामिल नहीं किया गया। इसी तरह ग्रेटर नोएडा के शाहबेरी में हुए हादसे में भी कई बड़े नाम सामने आ रहे हैं। बताया जा रहा है कि नेताओं की संलिप्तता भी अवैध इमारत बनाने में रही है। प्राधिकरण के बड़े अधिकारी भी अवैध निर्माण के लिए दोषी है। उनकी मर्जी के बिना छोटे अधिकारियों की हिम्मत नहीं कि वे अवैध निर्माण पर आंख मूंद ले।

सूत्रों की मानें तो शाहबेरी गांव में जिस किसान की जमीन थी, उसको इमारत बनाने का लालच और हिस्सेदारी की बात कहकर अवैध काम में शामिल कर लिया गया था। अवैध इमारत बनाने के काम में कई ऐसे अधिकारियों की भी संलिप्तता बताई जा रही है, जो पूर्व में जिले में महत्वपूर्ण पदों पर तैनात रह चुके हैं। इनके समय अवैध इमारत को बिना नक्शा पास कराए बनाया गया। उस दौरान प्राधिकरण के अधिकारियों ने भी इस ओर ध्यान नहीं दिया, जबकि ग्रामीणों द्वारा कई बार जिला प्रशासन से अवैध इमारत बनाने की शिकायत की गई थी। बावजूद मामले में कोई कार्रवाई नहीं हुई।

नामजद आरोपितों में कई बड़े नाम शामिल

पुलिस की प्राथमिक जांच में पता चला है कि जिन 24 लोगों के खिलाफ नामजद रिपोर्ट दर्ज की गई है। उसमें कुछ आरोपित राजनीतिक पार्टी से जुड़े हैं तो कुछ हिस्ट्रीशीटर भी रह चुके है। कुछ बड़े और प्रभावशाली नाम भी सामने आ रहे हैं। पुलिस उन आरोपितों तक पहुंचने का प्रयास कर रही है।

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