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कबाड़ बेचकर उत्तर रेलवे ने करोड़ों रुपये कमाई कर बनाया रिकार्ड, जानिए पिछले वर्ष कितना मिला था राजस्व

उत्तर रेलवे के महाप्रबंधक आशुतोष गंगल ने कहा कि पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष अबतक कबाड़ बेचकर 146 फीसद अधिक राजस्व हासिल किया गया है। पिछले वर्ष इस अवधि में मात्र 92.49 करोड़ रुपये का राजस्व मिला था।

By Mangal YadavEdited By: Published: Fri, 01 Oct 2021 09:09 PM (IST)Updated: Fri, 01 Oct 2021 09:09 PM (IST)
कबाड़ से कमाई में उत्तर रेलवे सबसे आगे

नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो। रेल पटरियों के किनारे और रेल परिसरों में पड़े हुए कबाड़ को साफ कर रेलवे राजस्व अर्जित कर रहा है। उत्तर रेलवे इस मामले में अन्य क्षेत्रीय रेलवे से आगे है। इस वित्त वर्ष में अभी तक उत्तर रेलवे ने कबाड़ बेचकर 227.71 करोड़ रुपये का राजस्व हासिल किया है। यह अबतक का रिकार्ड है। आने वाले दिनों में इस काम में और तेजी लाने की तैयारी है। रेलवे की निर्माण योजनाओं, रेल लाइनों की मरम्मत, पुराने हो गए कोच, दुर्घटनाओं में क्षतिग्रस्त कोच से बड़े पैमाने पर कबाड़ एकत्र हो जाते हैं। इन्हें दोबारा इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। रेलवे इस तरह के कबाड़ का निस्तारण करता है।

पिछले वर्ष भारतीय रेलवे ने कबाड़ बेचकर कुल 4573 करोड़ रुपये की कमाई की थी। इस वर्ष इससे ज्यादा कबाड़े बेचे जाने की उम्मीद है। उत्तर रेलवे के महाप्रबंधक आशुतोष गंगल ने कहा कि पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष अबतक कबाड़ बेचकर 146 फीसद अधिक राजस्व हासिल किया गया है। पिछले वर्ष इस अवधि में मात्र 92.49 करोड़ रुपये का राजस्व मिला था और इस वर्ष यह बढ़कर 227.71 करोड़ रुपये हो गए हैं। यह अन्य क्षेत्रीय रेलवे से ज्यादा है। रेलवे बोर्ड ने उत्तर रेलवे को इस वर्ष 370 करोड़ रुपये के कबाड़ बिक्री का लक्ष्य दिया है।

उन्होंने कहा कि रेलवे लाइन के निकट रेल पटरी के टुकडों, स्ली पर जैसे कबाड़ से दुर्घटना की आशंका रहती है। इसी प्रकार पानी की टंकियों, उपयोग नहीं आने वाले रेलवे कैबिन, क्वार्टर व अन्य इमारतों के दुरुपयोग की संभावना रहती है। इसे ध्यान में रखकर कबाड़ हटाने की प्रक्रिया में तेजी लाई जा रही है। उत्तर रेलवे की कोशिश शून्य कबाड़ का दर्जा हासिल करने की है।


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