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Cyber World: लैपटाप और स्मार्टफोन का ज्यादा यूज बच्चों के लिए नुकसानदायक, रिपोर्ट में डराने वाला खुलासा

आजकल आनलाइन क्लास में हिस्सा लेना हो या फिर असाइनमेंट और होमवर्क पूरा करना हो इन सबकी वजह से बच्चों को इंटरनेट पर घंटों समय बिताना पड़ता है। मगर पीसी लैपटाप और स्मार्टफोन का अधिक उपयोग बच्चों के लिए नुकसानदायक भी है।

By GeetarjunEdited By: Updated: Fri, 05 Aug 2022 04:15 PM (IST)
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लैपटाप और स्मार्टफोन का ज्यादा यूज बच्चों के लिए नुकसानदायक, रिपोर्ट का डराने वाला खुलासा

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। आजकल आनलाइन क्लास में हिस्सा लेना हो या फिर असाइनमेंट और होमवर्क पूरा करना हो, इन सबकी वजह से बच्चों को इंटरनेट पर घंटों समय बिताना पड़ता है। मगर पीसी, लैपटाप और स्मार्टफोन का अधिक उपयोग बच्चों के लिए नुकसानदायक भी है।

खासकर जो पैरेंट्स घर से बाहर काम करते हैं, उनके लिए बच्चों की आनलाइन गतिविधियों की निगरानी करना आसान नहीं होता है। शुक्र है, आजकल आनलाइन कुछ ऐसे टूल हैं जिनका उपयोग करके अपने बच्चों पर नजर रख सकते हैं। साथ ही, उनकी इंटरनेट गतिविधियों को नियंत्रित भी कर सकते हैं।

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माता-पिता को रहता है ये भी डर

नार्टनलाइफलाक की एक रिपोर्ट के अनुसार, 71 प्रतिशत भारतीय अपने बच्चों की आनलाइन गतिविधियों पर नजर बनाए रखना चाहते हैं। उन्हें यह डर भी रहता है कि कहीं बच्चे परिवार के सदस्यों की व्यक्तिगत जानकारी आनलाइन लीक न कर दें। जानें, कैसे बच्चों की आनलाइन गतिविधियो की निगरानी की जा सकती है।

विंडोज पीसी

अगर घर में बच्चे विंडोज पीसी या लैपटाप का उपयोग करते हैं, तो फिर उनकी गतिविधियों को नियंत्रित करने के लिए पैरेंटल कंट्रोल का यहां पर उपयोग किया जा सकता है। पैरेंटल कंट्रोल चालू करने के लिए विंडोज सर्च बार पर जाएं और 'फैमिली आप्शंस ' टाइप करें। अब जो विंडो खुलेगी, उसमें बच्चों के लिए एक एकाउंट बनाना होगा।

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इसके लिए 'व्यू फैमिली सेटिंग' पर नेविगेट करें। एक बार जब उस एकाउंट को अपने फैमिली ग्रुप में जोड़ लेते हैं, तो पैरेंटल कंट्रोल को कांफिगर कर पाएंगे। आप चुन सकते हैं कि बच्चे माइक्रोसाफ्ट एज ब्राउजर पर वेब सर्फ करते समय किन वेबसाइट्स पर जा सकते हैं।

बच्चों का समय करें निर्धारित

साथ ही, यह भी निर्धारित कर सकते हैं कि बच्चे कब और कितनी देर तक पीसी का उपयोग कर सकते हैं। इतना ही नहीं, यह भी कंट्रोल कर सकते हैं कि बच्चे कौन-सा एप और गेम देख और उन्हें डाउनलोड कर सकते हैं। अच्छी बात यह है कि इसमें बच्चे की आनलाइन गतिविधियों की साप्ताहिक रिपोर्ट भी मिलती है।

इन सेटिंग्स को एक्टिव करने के लिए बच्चे को विंडोज पीसी पर लागआन करते समय अपनी आइडी का उपयोग करना होगा।

अगर घर पर मैक यानी एपल का कंप्यूटर-लैपटाप है, तो फिर मैक पर सेटिंग्स में जाएं और 'स्क्रीन टाइम' विकल्प पर क्लिक करें। फिर यहां पर 'कंटेंट ऐंड प्राइवेसी' को चुनें और उस विकल्प को चालू कर दें। यहां से आप एडल्ट वेबसाइट को सीमित कर सकते हैं या फिर 'अलाउड वेबसाइट्स ओनली' वाले आप्शन को चालू कर सकते हैं।

इसके बाद कंप्यूटर और लैपटाप पर केवल वही साइट दिखाई देंगी, जिनकी आपने अनुमति दी है। इतना ही नहीं, अगर आप चाहें, तो यहां से प्राइवेट मैसेज सर्विस और गेम सेंटर में फ्रेंड्स को जोडऩा बंद कर सकते हैं। इसके साथ एप्स, फिल्म, म्यूजिक, किताब और पाडकास्ट में एडल्ट कंटेंट को फिल्टर कर सकते हैं यानी सर्च करने पर भी बच्चों को एडल्ट कंटेंट नहीं दिखाई देगा।

ओपन डीएनएस फैमिली शील्ड

फैमिली शील्ड साफ्टवेयर भी काफी उपयोगी है। इसे पीसी के साथ मोबाइल पर भी रन किया जा सकता है। साथ ही, इसका उपयोग नेटवर्क राउटर के साथ भी कर सकते हैं, जिससे इसके जरिए आने वाले सभी ट्रैफिक को फिल्टर किया जा सकता है।

बच्चे किस साइट या गेम को एक्सेस कर रहे हैं, पैरेंट्स इस पर नजर रख सकते हैं। यह फ्री पैरेंटल कंट्रोल टूल है। यहां पर फ्री में एकाउंट बना सकते हैं। यह फ्री टूल फिशिंग और मालवेयर कैटेगरी के अंतर्गत आने वाली अन्य वेबसाइट्स को ब्लाक करने के लिए पहले से ही कांफिगर किया गया है।

चूंकि इसकी यूआरएल की सूची चौबीसों घंटे अपडेट की जाती है, इसलिए आपकी सुरक्षा हमेशा अपडेट रहती है। आप ओपनडीएनएस का उपयोग होम राउटर, कंप्यूटर और यहां तक कि स्मार्टफोन और टैबलेट पर भी कर सकते हैं। अगर आप वायरलेस राउटर पर इंस्टाल कर लेते हैं, तो फिर वहां से यह न केवल आपके बच्चे के कंप्यूटर पर, बल्कि गेम कंसोल और मोबाइल डिवाइस सहित इससे कनेक्ट होने वाले सभी गैजेट्स पर एडल्ट सामग्री आदि को ब्लाक किया जा सकता है।

किडलागर

किडलागर विंडोज, मैक और एंड्रायड के साथ काम करता है। एक फ्री एकाउंट से आपको पांच डिवाइस पर निगरानी की सुविधा मिलती है। यह फ्री पैरेंटल कंट्रोल साफ्टवेयर है, जो न सिर्फ बच्चों द्वारा टाइप किए गए की-वर्ड को ट्रैक करता है, बल्कि कौन-सी वेबसाइट विजिट कर रहे हैं, किस गेम या प्रोग्राम का उपयोग कर रहे हैं, उसका भी रिकार्ड रखता है।

बच्चे कितनी देर तक पीसी पर काम कर रहे हैं, किस एप्स का उपयोग कर रहे हैं और किसके साथ कम्युनिकेट कर रहे हैं, इस तरह की सभी गतिविधियों पर किडलागर से नजर रखी जा सकती है। इसमें वेब हिस्ट्री मानिटरिंग, टाइम ट्रैकिंग, यूएसबी ड्राइव्स, सीडी/डीवीडी यूजेज, किस्ट्रोक्स रिकार्ड, स्क्रीनशाट, फाइल-फोल्डर यूजेज, मैसेज मानिटरिंग आदि जैसी सुविधाएं हैं। यह पांच दिनों तक लाग हिस्ट्री को सहेज कर रखता है।

साथ ही, आप क्रोम, फायरफाक्स और ओपेरा ब्राउजर पर भी इसकी मदद से आनलाइन गतिविधियों की निगरानी कर पाएंगे। यह गेम पर बिताए गए समय को सीमित करता है और एप्स को ब्लाक करने की सुविधा भी देता है। यदि पेड एकाउंट को चुनते हैं, तो फिर इसमें बहुत सारे एक्स्ट्रा फीचर्स भी मिलते हैं।

क्यूसटोडियो

यह भी बेहद उपयोगी पैरेंटल कंट्रोल साफ्टवेयर है। इसकी मदद से पैरेंट्स बच्चों की आनलाइन गतिविधियों पर नजर रख पाएंगे। वैसे, देखा जाए, तो अधिकतर पैरेंटल कंट्रोल साफ्टवेयर विंडोज को ही सपोर्ट करते हैं, लेकिन इसमें मैक, एंड्रायड, आइओएस, किंडल, नूक आदि के लिए सपोर्ट दिए गए हैं। इसमें एडल्ट कंटेंट को ब्लाक करने के साथ ऐसे कंटेंट का एक्सेस बंद कर सकते हैं, जो बच्चों के अनुकूल न हो। इसकी मदद से बच्चों की आनलाइन गतिविधियों को मैनेज करना आपके लिए आसान हो जाएगा। इसमें फिल्टरिंग फीचर काफी मजबूत है, जो खतरनाक कंटेंट को खुद ही ब्लाक कर देता है। यहां पर आप फ्री में एकाउंट बना सकते हैं। फिर इस साफ्टवेयर को बच्चों के डिवाइस पर भी इंस्टाल करना होगा।

उसके बाद बच्चों की हर आनलाइन गतिविधि को मानीटर कर पाएंगे। हालांकि यह फ्री और पेड दोनों ही वर्जन में उपलब्ध है। फ्री वर्जन में आपको बेसिक फीचर मिलेंगे, जिसमें आप कुछ नियम व टाइमटेबल सेट कर सकते हैं। पेड एकाउंट से 15 स्क्रीन पर नजर रखी जा सकती है।

कैसे करें अपने बच्चों की सुरक्षा

आज के दौर में बच्चों को इंटरनेट मीडिया के उपयोग के बारे में शिक्षित करना बेहद जरूरी है, उन्हें यह बताना जरूरी है कि यहां पर क्या सही और क्या गलत है। इंटरनेट नेटवकिंग सभी उम्र के लोगों के बीच जानकारी आदि को शेयर करने का एक शानदार तरीका है, लेकिन इसमें कुछ गंभीर जोखिम भी शामिल हैं। इंटरनेट मीडिया एकाउंट बनाने में बच्चों की मदद करें।

साथ ही, उनके साथ बैठें और इंटरनेट मीडिया के विभिन्न पहलुओं से उन्हें अवगत कराएं। बताएं कि इंटरनेट मीडिया कैसे काम करता है और वेब को सुरक्षित रूप से कैसे एक्सप्लोर किया जा सकता है। यहां बड़ी बात यह है कि आज का बच्चा अधिक संवेदनशील है और बाहरी दुनिया से अधिक जुड़ा हुआ है। ऐसी स्थिति में पैरेंट्स को बेहद सावधानी से उनकी इंटरनेट गतिविधियों को सीमित करना होगा।

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