केजरीवाल मामले में ही नहीं, 11 साल पहले भी सुप्रीम कोर्ट ने CBI को कहा था 'बंद पिंजरे का तोता'
दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को जमानत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर सीबीआई को बंद पिजरे का तोता कहा है। हालांकि यह पहली बार नहीं है जब सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई पर यह टिप्पणी की है। 11 साल पहले कोयला घोटाला मामले में भी कोर्ट ऐसी टिप्पणी कर चुका है। साल 2013 में कोर्ट तत्कालीन सीबीआई प्रमुख रंजीत सिन्हा को खरी-खोटी सुनाई थी।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सीबीआई द्वारा दर्ज मामले में जमानत दे दी। न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां ने शुक्रवार को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) पर कड़ी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि यह जरूरी है कि केंद्रीय जांच एजेंसी 'पिंजरे में बंद तोता' की धारणा को दूर करे।
केजरीवाल को जमानत देने के फैसले में एक अलग लेकिन सहमत राय लिखने वाले न्यायमूर्ति भुइयां ने कहा, "यह जरूरी है कि सीबीआई को पिंजरे में बंद तोता होने की धारणा को दूर करना चाहिए और यह धारणा बिना बंद तोते की होनी चाहिए।"
सीबीआई की निष्पक्षता दिखनी भी चाहिए: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "सीबीआई देश की एक प्रमुख जांच एजेंसी है। यह सार्वजनिक हित में है कि सीबीआई को न सिर्फ निष्पक्ष होना चाहिए, बल्कि ऐसा दिखना भी चाहिए। सीबीआई को इस धारणा को दूर करने के लिए हर संभव प्रयास किया जाना चाहिए। सीबीआई ने निष्पक्षता से मामले की जांच नहीं की और केजरीवाल की गिरफ्तारी मनमाने ढंग से और पक्षपातपूर्ण तरीके से की गई थी।"कोयला घोटाला मामले सुप्रीम कोर्ट ने की थी टिप्पणी
इससे पहले भी सुप्रीम कोर्ट ने 11 साल पहले सीबीआई को 'बंद पिजरे का तोता' कहा था। साल 2013 में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस आरएम लोढ़ा, जस्टिस मदन बी लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसेफ की बेंच ने कोयला घोटाला मामले की सुनवाई में भी इसी तरह की टिप्पणी की थी।
कोर्ट ने 9 मई 2013 को सीबीआई को पिंजरे में बंद तोता कहा था। सुप्रीम कोर्ट को कोयला घोटाले की स्टेटस रिपोर्ट किसी और को दिखाए जाने को लेकर ऐतराज था। तब यह इशारा तत्कालीन कोयला मंत्री अश्विनी कुमार की तरफ था। बाद में तत्कालीन सीबीआई प्रमुख रंजनी सिन्हा ने भी कोर्ट की टिप्पणी को सही माना था।
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