पान मसाला पैकेट के आधे हिस्से पर अब लिखनी होगी वैधानिक चेतावनी, FSSAI के फैसले को हाईकोर्ट ने रखा बरकरार
अक्टूबर 2022 में एफएसएसएआई ने पान मसाला कंपनियों को निर्देश दिया था कि वह वैधानिक चेतावनी के आकार को तीन मिमी के चेतावनी आकार से बढ़ाकर लेबल के पैक के सामने के हिस्से के 50 प्रतिशत तक बढ़ाए। उनके इस आदेश को एक एक पान मसाला निर्माता ने कोर्ट में याचिका डाली थी। जिसे अब दिल्ली हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया है।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। पान मसाला पैकेटों पर स्वास्थ्य को होने वाले नुकसान के खिलाफ वैधानिक चेतावनी के आकार को तीन मिमी के चेतावनी आकार से बढ़ाकर लेबल के पैक के सामने के हिस्से के 50 प्रतिशत तक बढ़ाने के भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) के फैसले को दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने बरकरार रखा है।
एक पान मसाला निर्माता की याचिका को कोर्ट ने किया खारिज
अक्टूबर 2022 में एफएसएसएआई द्वारा इस बाबत जारी अधिसूचना को चुनौती देने वाली एक पान मसाला निर्माता की याचिका खारिज करते हुए अदालत ने कहा कि यह आदेश स्वास्थ्य में व्यापक सार्वजनिक हित की रक्षा के इरादे को प्रभावी बनाता है और सार्वजनिक हित निर्माता को होने वाले व्यक्तिगत नुकसान से कहीं ज्यादा जरूरी है।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन व न्यायमूर्ति मनमीत पीएस अरोड़ा की पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता कंपनी को अपने उत्पाद की पैकेजिंग बदलने और विनियमन का अनुपालन करने के लिए पहले ही पर्याप्त समय दिया जा चुका है। ऐसे में अदालत याचिकाकर्ता को उसके उत्पाद की पैकेजिंग की अनुमति के लिए और समय देने की इच्छुक नहीं हैं।
पैकेट के लेबल पर चेतावनी का आकार होगा 50 प्रतिशत
पान मसाला ब्रांडों के लाइसेंस प्राप्त निर्माता व व्यापारी याचिकाकर्ता धर्मपाल सत्यपाल लिमिटेड ने नई पैकेजिंग शर्त के अनुपालन के लिए पर्याप्त समय की मांग की थी। उन्होंने इस आधार पर विनियमन का विरोध किया था कि वैधानिक चेतावनी के आकार को उचित ठहराने के लिए कोई अध्ययन, डेटा या सामग्री नहीं है।
यह भी कहा था कि क्योंकि अधिसूचना अनुमान पर आधारित है, ऐसे में इसे रद किया जा सकता है। याचिकाकर्ता के तर्क को ठुकराते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि रिकार्ड के अनुसार पान मसाला के पैकेट के लेबल पर सामने चेतावनी का आकार 50 प्रतिशत तक बढ़ाने का खाद्य प्राधिकरण का निर्णय विशेषज्ञ अध्ययनों सहित प्रासंगिक सामग्री के ठोस विचार-विमर्श पर आधारित है।
हाईकोर्ट ने कहा कि रिपोर्टों से पता चला कि पान मसाला में सुपारी का उपयोग उपभोक्ताओं के लिए बेहद खतरनाक था और इसलिए सार्वजनिक जागरूकता के लिए लेबलिंग के माध्यम से चेतावनी बढ़ाने की आवश्यकता थी।
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