'जहां सीएम की मौजूदगी में मुख्य सचिव पर उठ सकता है हाथ, वहां अन्य की क्या बिसात'
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि मुख्य सचिव इस मामले को तूल नहीं देते, अगर सबकुछ बातचीत तक रहा होता। दुखद यह रहा कि उन पर हाथ उठाया गया।
नई दिल्ली [जेएनएन]। मुख्य सचिव अंशु प्रकाश के साथ की गई मारपीट व बदसलूकी के बाद भड़की विरोध की चिंगारी घटना के दो सप्ताह बाद भी शांत नहीं हुई है। आलम यह है कि जब-तब नौकरशाहों में इस प्रकरण पर चर्चा शुरू हो जाती है। चर्चा छिड़ते ही उनकी भृकुटियां तन जाती हैं।
कड़वाहट बढ़ गई है
19 फरवरी की रात मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सरकारी निवास पर आम आदमी पार्टी (आप) के विधायकों द्वारा मुख्य सचिव के साथ किए गए दुर्व्यवहार के बाद से सरकार एवं अधिकारियों के बीच रिश्ते में कड़वाहट बढ़ गई है।
दुखद यह रहा कि हाथ उठाया गया
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि मुख्य सचिव इस मामले को तूल नहीं देते, अगर सबकुछ बातचीत तक रहा होता। दुखद यह रहा कि उन पर हाथ उठाया गया। बतौर अधिकारी, मुख्य सचिव उस रात जब मुख्यमंत्री आवास से निकलने लगे तो विधायक अमानतुल्लाह खान व प्रकाश जारवाल ने उन्हें खींचते हुए जबरदस्ती वापस बैठने को विवश किया और उनकी गर्दन के पीछे सात बार पंच मारे। इससे उनकी गर्दन में सूजन आ गई थी।
...तो विवाद इतना आगे नहीं बढ़ता
एक अन्य अधिकारी ने कहा कि मुख्य सचिव इससे भी बहुत आहत हैं कि यह सारी घटना मुख्यमंत्री की मौजूदगी में हुई, लेकिन उन्हीं का रवैया निहायत शर्मनाक रहा है। अगर वह सच्चाई स्वीकार कर इस पर खेद जता देते तो शायद यह विवाद इतना आगे नहीं बढ़ता।
अराजकता को बढ़ावा मिल रहा है
अधिकारियों के मुताबिक मुख्य सचिव के साथ मारपीट की घटना के बाद उत्तम नगर के विधायक नरेश बाल्यान ने अधिकारियों को पीटने का बयान दिया। इस मामले में भी मुख्यमंत्री चुप्पी साधे रहे। इससे तो दिल्ली में अराजकता को बढ़ावा मिल रहा है। ऐसे माहौल में अधिकारी काम कर ही नहीं पाएंगे।
उपराज्यपाल सचिवालय के अधिकारी भी खफा
मुख्य सचिव के साथ मारपीट की घटना से उपराज्यपाल सचिवालय के अधिकारी भी खफा हैं। नाम नहीं छापने की शर्त पर एक अधिकारी ने कहा कि जिस सरकार में मुख्यमंत्री की मौजूदगी में मुख्य सचिव पर हाथ उठ सकता है, वहां अन्य अधिकारियों की क्या बिसात। इस मामले में पुलिस गंभीरता से अपनी कार्रवाई कर रही है, उपराज्यपाल भी पूरे प्रकरण पर निगाह रखे हुए हैं।
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