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Coaching Center Incident: छात्रों की मौत का कारण बनने का कोई इरादा नहीं था, जमानत याचिका पर आरोपियों की दलील

Rao IAS Study Circle Coaching Centre राव कोचिंग सेंटर में तीन यूपीएससी के तीन छात्रों की मौत मामले में आरोपियों की जमानत याचिका पर कोर्ट में सुनवाई। जमानत याचिका पर दलील दी कि उनका छात्रों की मौत का कारण बनने का कोई इरादा नहीं था। कोर्ट में मामले की अगली सुनवाई 17 अगस्त को होगी। वहीं छात्र ने शिकायत की थी बेसमेंट में कोई सुरक्षा उपाय नहीं है।

By Ritika Mishra Edited By: Geetarjun Updated: Wed, 14 Aug 2024 04:07 PM (IST)
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छात्रों की मौत का कारण बनने का कोई इरादा नहीं था, जमानत याचिका पर आरोपियों की दलील।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। Old Rajendra Nagar Incident: ओल्ड राजेंद्र नगर स्थित कोचिंग सेंटर राव आईएएस स्टडी सर्किल के बेसमेंट के चार सह-मालिकों ने अपनी जमानत याचिका पर दलील दी कि उनका छात्रों की मौत का कारण बनने का कोई इरादा नहीं था। मामले की सुनवाई के दौरान राउज एवेन्यू कोर्ट की प्रधान जिला और सत्र न्यायाधीश अंजू बजाज चांदना ने सवाल किया कि नगर निगम ने कोचिंग सेंटर को कारण बताओ नोटिस दिए जाने के बाद कोई कार्रवाई क्यों नहीं की?

कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में सुरक्षा उपायों को लेकर एक छात्र ने दिल्ली सरकार के पोर्टल पर राव आईएएस स्टडी सर्किल के मालिक के खिलाफ शिकायत की थी। छात्र ने शिकायत की थी बेसमेंट में कोई सुरक्षा उपाय नहीं है, जिससे भविष्य में बड़ा हादसा हो सकता है।

कारण बताओ नोटिस पर कोई कार्रवाई नहीं

हालांकि, कारण बताओ नोटिस पर कोचिंग सेंटर की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई और न ही निगम की ओर से कोई कार्रवाई की गई। अदालत ने सह-मालिकों से सवाल किया कि आपकी जमीन पर बेसमेंट में पुस्तकालय चल रहा था। क्या किरायेदार ने आपको इस बारे में सूचित नहीं किया। यह चिंता का विषय है।

48 घंटे में भी नहीं किया बंद

अदालत ने कहा कि कारण बताओ नोटिस में कहा गया कि इसे 48 घंटों के भीतर बंद किया जाना चाहिए, फिर भी अधिकारी चुप क्यों बैठे थे? आरोपितों की ओर से पेश अधिवक्ता अमित चड्ढा अदालत को बताया कि निगम अधिकारी एक साल तक इंतजार करने के बजाय बेसमेंट को सील कर सकते थे।

17 अगस्त को होगी सुनवाई

कोर्ट में मामले की अगली सुनवाई 17 अगस्त को होगी। अधिवक्ता अमित चड्ढा ने दलील दी कि बीएनएस की धारा 105 (गैर इरादतन हत्या) लगाने के लिए जानकारी के साथ-साथ मौत का इरादा भी होना चाहिए। उपहार सिनेमा अग्निकांड के फैसले का जिक्र, जिसमें आरोपितों को सुप्रीम कोर्ट ने धारा 304ए ( लापरवाही से मौत का कारण) के तहत दोषी ठहराया था, करते हुए अधिवक्ता ने दलील दी कि सिनेमा हाल के मालिकों को जानकारी थी (लेकिन इरादा नहीं था)।

अधिवक्ता ने दलील दी कि अदालत को यह देखना होगा कि क्या ज्ञान था क्योंकि ज्ञान हर जगह है। यहां तक कि मामले की स्थिति रिपोर्ट भी कहती है कि कोई इरादा नहीं था। सह-मालिक तेजिंदर सिंह, परविंदर सिंह, हरविंदर सिंह और सरबजीत सिंह को 28 जुलाई को गिरफ्तार किया गया था।

मृतक छात्र नेविन दल्विन की ओर से पेश अधिवक्ता अभिजीत आनंद ने आरोपितों के अधिवक्ता की दलीलों का विरोध किया। आनंद ने दलील दी कि सह-मालिकों को जानकारी और इरादा दोनों था, उन्हें जलभराव के बारे में पता था और यह उनकी जानकारी में था कि बारिश के 10 मिनट के अंदर सड़क पर पानी भर जाता है।

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