Delhi AIIMS में रैनसमवेयर अटैक के ढाई माह बाद भी पूरी तरह सामान्य नहीं हुई ऑनलाइन सेवाएं, जिम्मेदार हुए मौन
डिजिटल हेल्थ सेवा को बढ़ावा देने में जुटा एम्स रैनसमवेयर अटैक की घटना से करीब ढाई माह बाद भी उबर नहीं पाया है। इस वजह से संस्थान की ऑनलाइन सेवाएं अब तक पूरी तरह सामान्य नहीं हो पाई है।
By Ranbijay Kumar SinghEdited By: Abhi MalviyaUpdated: Tue, 14 Feb 2023 07:44 PM (IST)
नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो। डिजिटल हेल्थ सेवा को बढ़ावा देने में जुटा एम्स रैनसमवेयर अटैक की घटना से करीब ढाई माह बाद भी उबर नहीं पाया है। इस वजह से संस्थान की ऑनलाइन सेवाएं अब तक पूरी तरह सामान्य नहीं हो पाई है। स्थिति यह है कि मरीजों को ऑनलाइन रिपोर्ट मिलने में दिक्कत हो रही है। अभी कुछ दिनों से ऑनलाइन रिपोर्ट मिल भी नहीं रही है। इस वजह से मरीजों को जांच रिपोर्ट के लिए परेशान होना पड़ रहा है। इसके अलाव ई-हास्पिटल का सर्वर भी अक्सर चलते-चलते ठप हो जाता है। इस वजह से मरीजों को परेशान होना पड़ रहा है।
ऑनलाइन जनरेट होता है कोड
एम्स में ओपीडी पंजीकरण से लेकर मरीजों की जांच के लिए बार कोड भी ऑनलाइन जनरेट होता है। मरीज का सैंपल लेने से पहले बार कोड सैंपल कलेक्शन ट्यूब के ऊपर बार कोड लगाना होता है। इस बार कोड पर मरीज का विशेष पहचान नंबर लिखा होता है। लिहाजा इस बार कोड के जरिये ही यह पहचान होती है कि सैंपल किस मरीज का है।सर्वर दिन भर में कई बार बंद हो जाता है। करीब 10 से 15 मिनट सर्वर ठप रहता है। इस दौरान ओपीडी पंजीकरण और बार कोड जनरेट करने का काम प्रभावित होता है। इस वजह से मरीजों को देर तक लाइन में लगना पड़ता है। सर्वर दोबारा चालू होने पर पंजीकरण की प्रक्रिया पूरी होती है। समस्या यह है कि सर्वर ठप होने की समस्या एक-दो बार नहीं, बल्कि कई बार हर आधे-एक घंटे में होती है।
एक्सरे का समय लेने के लिए भी लग रही लंबी लाइन
सर्वर ठीक से काम नहीं करने के कारण मरीजों को एक्सरे जांच का समय लेने के लिए भी लंबी लाइन लग रही है। इस वजह से मरीजों को डेढ़ से दो घंटा लाइन में खड़ा रहना पड़ता है। इसके बाद ही एक्सरे जांच के लिए मरीजों को समय मिल पाता है। उल्लेखनीय है कि 23 नवंबर 2022 को एम्स के सर्वर पर रैनसमवेयर अटैक की घटना हुई थी। एम्स के ई-हॉस्पिटल का मुख्य सर्वर, एक बैकअप सर्वर, लैब इनफार्मेशन सिस्टम सहित पांच सर्वर हैक हो गए थे।
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