Delhi Riots Case: दिल्ली के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन को SC से झटका, आपराधिक कार्यवाही पर रोक लगाने से इनकार
Delhi Riots Case सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को वर्ष 2020 में पूर्वोत्तर दिल्ली में हुए दंगे के मामले में आम आदमी पार्टी (आप) के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है।
By AgencyEdited By: Abhishek TiwariUpdated: Mon, 14 Nov 2022 12:52 PM (IST)
नई दिल्ली, जागरण डिजिटल डेस्क। फरवरी, 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों के आरोपित पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने आज यानी सोमवार को सुनवाई के दौरान आम आदमी पार्टी (आप) के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद ताहिर हुसैन की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं।
50 से ज्यादा लोगों की गई थी जान
गौरतलब है कि उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों के दौरान सैकड़ों की संख्या में लोग घायल हुए थे और 50 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी। इसके अलावा सैकड़ों करोड़ की संपत्तियों का नुकसान हुआ था। दंगों के दौरान उन्मादी भीड़ ने स्कूल-कॉलेज, पेट्रोल पंप और ट्रक में आग लगा दी थी। भीड़ ने 2 सरकारी कर्मचारियों को भी मार डाला था।Delhi Excise Policy Scam: CBI और ED पर गोपनीय जानकारी लीक करने का आरोप, दिल्ली HC ने मांगा जवाब
आगजनी के आरोप से मिली थी राहत
इससे पहले 19 अक्टूबर को 2020 में उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुए दंगे के एक मामले में कड़कड़डूमा के सेशन कोर्ट ने मुख्य आरोपित और आम आदमी पार्टी के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन समेत दस लोगों को अचल संपत्ति में आगजनी के आरोप से मुक्त कर दिया था।इस फैसले के बाद अदालत ने दंगा समेत बाकी आरोपों पर विचार के लिए मामले को अधीनस्थ मजिस्ट्रेट कोर्ट भेजा था। इस मामले में दिल्ली पुलिस ने एक सामान्य प्राथमिकी पंजीकृत कर आरोप लगाया था कि ताहिर हुसैन के घर की छत से दंगाइयों ने पथराव के साथ पेट्रोल बम फेंके थे। इसके सबूत भी सामने आए थे। यहां तक कहा गया था कि छत पर कई दिनों से ईंट और पत्थर इकट्ठा किए जा रहे थे।सुनवाई के दौरान पूर्वी दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट की अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पुलस्त्य प्रमाचल के कोर्ट ने पाया कि अचल संपत्ति में आग नहीं लगी थी, ऐसे में भारतीय दंड संहिता की धारा 436 के तहत लगाया गया आगजनी का आरोप नहीं बनता है। इसे लेकर कोर्ट ने अचल संपत्ति में आगजनी के आरोप से मुक्त कर दिया था।
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