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Parliament Security Breach: नीलम के माओवादियों के साथ संबंध!, 18 साल पुरानी फाइल खंगाल रही हरियाणा पुलिस

पुलिस यह भी जांच कर रही है कि नीलम जिन दो लोगों के संपर्क व प्रभाव में रहने के बाद इतनी बड़ी घटना को अंजाम देने दिल्ली तक पहुंची तो क्या उक्त दोनों के किसी माओवादी संगठन से अभी भी संपर्क हैं? 2005 की घटना के बाद भी हिसार आर्मी कैंट से वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों सहित कई इंटेलिजेंस एजेंसियों ने यह जानकारी जुटाई थी।

By Jagran NewsEdited By: Narender SanwariyaUpdated: Thu, 14 Dec 2023 08:57 AM (IST)
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Parliament Security Breach: नीलम के माओवादियों के साथ संबंध!
बिजेंद्र बंसल, नई दिल्ली। संसद भवन की सुरक्षा में सेंध लगाने वाले दल में शामिल महिला नीलम के कहीं माओवादियों के साथ संबंध तो नहीं हैं, इसको लेकर पुलिस हरियाणा के जींद जिले के घासो खुर्द गांव में 18 साल पुरानी घटना की फाइल खंगालने में जुट गई है। इसके चलते घासो खुर्द गांव माओवादी संपर्क को लेकर 18 साल बाद एक बार फिर सुर्खियों में है।

माओवाद समर्थन में स्लोगन

21 सितंबर 2005 को क्रांतिकारी मजदूर किसान यूनियन और जागरूक छात्र मोर्चा ने घासो खुर्द से लगते घासो कलां गांव में कथित तौर पर सीपीआई (माओवादी) के गठन की पहली वर्षगांठ पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया। तब गांव की दीवारों पर माओवाद समर्थन में स्लोगन भी लिखे गए थे। कार्यक्रम के बाद एक मशाल जुलूस निकाला गया।

करीब 10 लोग घायल

जुलूस जब साथ लगते गांव घासो खुर्द पहुंचा तो अचानक कुछ लोगों ने इसका विरोध कर दिया। इस दौरान एक पक्ष की तरफ से हुई गोलीबारी में एक व्यक्ति रणधीर को गोली लगी थी और करीब 10 लोग घायल हो गए थे। घटना के बाद गांव के ही 11 लोगों पर देशद्रोह का मुकदमा दर्ज किया गया था। तब घासो खुर्द का नाम पहली बार माओवादियों के साथ जुड़ा था।

जांच में जुट गई पुलिस

हालांकि यह मामला जब ऊपरी अदालत में गया तो खारिज हो गया। पुलिस को मिली जानकारी के अनुसार नीलम इसी मुकदमे से बरी हो चुके दो लोगों के संपर्क व प्रभाव में रही है। अब संसद में हुए हमले में शामिल नीलम को लेकर हरियाणा पुलिस एक बार फिर इस जांच में जुट गई है कि कहीं घासो खुर्द में अभी भी माओवादियों की घुसपैठ तो नहीं है।

कई इंटेलिजेंस एजेंसियों ने यह जानकारी जुटाई

पुलिस यह भी जांच कर रही है कि नीलम जिन दो लोगों के संपर्क व प्रभाव में रहने के बाद इतनी बड़ी घटना को अंजाम देने दिल्ली तक पहुंची तो क्या उक्त दोनों के किसी माओवादी संगठन से अभी भी संपर्क हैं?

2005 की घटना के बाद भी हिसार आर्मी कैंट से वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों सहित कई इंटेलिजेंस एजेंसियों ने यह जानकारी जुटाई थी कि कहीं माओवादियों ने इस गांव में डेरा तो नहीं बना लिया है। सैन्य अधिकारियों ने तब कई दिनों तक जींद, नरवाना में कैंप किया था, लेकिन इसके बाद यह मामला शांत हो गया।

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