Delhi: वनवासियों की रक्षा के लिए आगे आएं शहरी क्षेत्र के लोग: विष्णु सदाशिव कोकजे
विशेष अतिथि के रूप में आए महामंडलेश्वर स्वामी अनुभूतानंद गिरि ने कहा कि वनांचल के लोग रोम जन्मभूमि आंदोलन से जुड़े रहे हैं।
By Mangal YadavEdited By: Updated: Mon, 24 Feb 2020 01:23 PM (IST)
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। वनवासी की रक्षा करना उसके संस्कार और संस्कृति की रक्षा करना है। शास्त्रों में भी वानप्रस्थ आश्रम का जिक्र किया गया है, जिससे वन और वनवासियों के महत्व के बारे में पता लगता है। वनों में रहने वाले लोग और जनजातियां पीढ़ियों से सामुदायिक कार्य प्रणाली चला रही हैं। वनों का प्रयोग शहरों के लिए किया गया। वनों पर शहर का कुप्रभाव पड़ा है, जिससे वनवासियों को कष्ट हुआ है।
अब शहर के लोगों को वनवासियों के लिए फिर से राम बनना होगा। ये बातें रविवार को इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम में आयोजित वनवासी रक्षा परिवार कुंभ के दौरान मुख्य अतिथि के रूप में विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु सदाशिव कोकजे ने कही। कार्यक्रम का आयोजन वनवासी रक्षा परिवार फाउंडेशन ने एकल अभियान के तहत किया।सुबह कुंभ में यज्ञ किया गया। वातावरण की शुद्धि के लिए किए गए यज्ञ के बाद फाउंडेशन की ओर से किए जा रहे कार्यो को प्रदर्शनी के माध्यम से रंगारंग कार्यक्रमों की प्रस्तुति के साथ प्रदर्शित किया गया। फाउंडेशन की ओर से प्रशिक्षित कथाकारों ने भजन प्रस्तुत किया। हिमाचल व असम सहित कई स्थानों के वनवासी कार्यकर्ताओं ने पारपंरिक वेषभूषा में स्थानीय लोकनृत्य की प्रस्तुति दी। नेपाल से आए कार्यकर्ताओं ने वाद्ययंत्रों के जरिये स्थानीय भाषा में देशभक्ति गीत प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में स्मारिका का भी विमोचन किया गया। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल हुए केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्यमंत्री अश्वनी कुमार चौबे ने कहा कि देश की संस्कृति को बचाने और अखंडित रखने का यह सराहनीय प्रयास है। 80 फीसद भारत गांवों में रहता है और सनातन भारत भी गांवों में ही बसता है। एकल विद्यालय से शिक्षा और सत्संग से संस्कारित करने का कार्य प्रशंसनीय है।
विशेष अतिथि के रूप में आए महामंडलेश्वर स्वामी अनुभूतानंद गिरि ने कहा कि वनांचल के लोग रोम जन्मभूमि आंदोलन से जुड़े रहे हैं। राम वनवासी बने थे तो उन्होंने गिरिवासियों को सद्भाव का वातावरण दिया। शहर के लोगों को उदार भावनाओं से वनवासियों से प्रेम करना होगा। वनवासियों को शहरी लोग साथ लेकर चलेंगे तो भारत विश्व गुरु बनेगा।गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज ने कहा कि राम वनवास इसलिए गए थे कि वे बताना चाहते थे कि मैं सिर्फ अयोध्या का नहीं, बल्कि केवट और शबरी का भी हूं। कृष्ण ने प्रारंभिक लीलाएं वन से शुरू की और वे राजमहल तक गए। आज राम और शबरी, कृष्ण और सुदामा के प्रेम की आवश्यकता है। कार्यक्रम का समापन ‘जागो हिंदुस्तान’ की प्रस्तुति के साथ हुआ। इस दौरान फाउंडेशन के अध्यक्ष मनोज अरोड़ा, संयोजक हेमंत बत्र, कार्यकारी संयोजक प्रवीण मित्तल, स्वागताध्यक्ष राजेंद्र चमड़िया, एकल अभियान के संस्थापक श्याम गुप्त, संगठन प्रभारी वीरेंद्र कुमार, रमेश जुनेजा, रमेश चंद अग्रवाल, महेश भागचंदा, बजरंग लाल बागड़ा, मनोहर लाल कुमार, भूषण लाल पराशर, कृष्ण कुमार ग्रोवर और धर्मपाल आर्य सहित बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे।
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