NCR से बाहर वालों के पास भी अधिकार, उन्हें भी प्रदूषण से मुक्त रहना है- सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि एनसीआर के अलावा देश के अन्य हिस्सों में रहने वाले नागरिकों को भी प्रदूषण मुक्त वातावरण में रहने का मौलिक अधिकार है जिसकी गारंटी संविधान के अनुच्छेद 21 में दी गई है। जस्टिस अभय एस. ओका और पंकज मित्तल की पीठ ने कहा कि राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (NGT) का यह कहना पूरी तरह से अनुचित है।
नई दिल्ली, आईएएनएस। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि एनसीआर के अलावा देश के अन्य हिस्सों में रहने वाले नागरिकों को भी प्रदूषण मुक्त वातावरण में रहने का मौलिक अधिकार है, जिसकी गारंटी संविधान के अनुच्छेद 21 में दी गई है। जस्टिस अभय एस. ओका और पंकज मित्तल की पीठ ने कहा कि राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (NGT) का यह कहना पूरी तरह से अनुचित है कि एनसीआर में प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए डीजल वाहनों को दिल्ली के आसपास किसी अन्य आईसीडी (इनलैंड कंटेनर डिपो) की तरफ मोड़ दिया जाए।
पीठ ने कहा कि एनसीआर के लोगों के मौलिक अधिकार की रक्षा करते हुए एनजीटी बाहर रहने वाले नागरिकों के उसी अधिकार के उल्लंघन की अनुमति नहीं दे सकता है। अपने आदेश में एनजीटी ने कहा था कि तुगलकाबाद डिपो में डीजल वाहनों के प्रवेश को प्रतिबंधित करने का एक विकल्प है।
इन वाहनों को दादरी, रेवाड़ी, बल्लभगढ़, खटुआवास या दिल्ली के आसपास किसी अन्य डिपो की तरफ मोड़ दिया जाए, ताकि एनसीआर में प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सके। इस पर शीर्ष अदालत ने कहा, एनजीटी की यह टिप्पणी इस तथ्य की पूरी तरह से अनदेखी है कि एनसीआर के अलावा देश के अन्य हिस्सों में रहने वाले नागरिकों को भी प्रदूषण मुक्त वातावरण का मौलिक अधिकार है, जैसा कि संविधान के अनुच्छेद 21 द्वारा गारंटी दी गई है।
ऐसा मौलिक अधिकार सभी के लिए समान रूप से लागू है और यह एनसीआर के लोगों तक ही सीमित नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को भी कई निर्देश जारी किए और सरकार से भारी शुल्क वाले डीजल वाहनों को चरणबद्ध तरीके से हटाने और उनकी जगह बीएस-6 वाहनों को लाने की नीति बनाने को कहा।
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