फार्मा इंडस्ट्री: संभावनाओं संग सफर, रोजगार के नये-नये अवसर आएंगे सामने
इस तीन दिवसीय एक्सपो के बाद माना जा रहा है कि आने वाले समय में सरकार के साथ-साथ फार्मा कंपनियों द्वारा भी आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम बढ़ाये जाने से फार्मा इंडस्ट्री से संबंधित विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार के नये-नये अवसर सामने आएंगे।
By Vinay Kumar TiwariEdited By: Updated: Tue, 30 Nov 2021 03:33 PM (IST)
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। हाल ही में ग्रेटर नोएडा (उत्तर प्रदेश) स्थित इंडिया एक्सपो मार्ट में आयोजित दक्षिण एशिया के सबसे बड़े इवेंट (सीपीएचआइ एंड पी-एमईसी इंडिया एक्सपो) के बाद फार्मा इंडस्ट्री नयी संभावनाओं को लेकर फिर चर्चा में है। इस तीन दिवसीय एक्सपो के बाद माना जा रहा है कि आने वाले समय में सरकार के साथ-साथ फार्मा कंपनियों द्वारा भी आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम बढ़ाये जाने से फार्मा इंडस्ट्री से संबंधित विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार के नये-नये अवसर सामने आएंगे। आइये जानें, फार्मेसी में कुशल युवाओं के लिए इस सदाबहार और तेजी से आगे बढ़ती इंडस्ट्री में किस-किस तरह के करियर के मौके उपलब्ध हैं…
कोरोना महामारी के बाद केंद्र सरकार के साथ-साथ राज्य सरकारें भी स्वास्थ्य के विभिन्न क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता लाने के लिए तेजी से कदम बढ़ा रही हैं। हाल में संपन्न फार्मा एक्सपो भी इसी दिशा में एक प्रयास है ताकि फार्मा इंडस्ट्री के भावी अवसरों पर फोकस किया जा सके। वैसे अगर देखें, तो भारत का फार्मा सेक्टर लगातार तरक्की कर रहा है। अकेले पिछले एक साल में जेनेरिक दवाओं ने भारत में 15 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी दर्ज की है।
भारत आज विश्व के 206 देशों में विभिन्न तरह की दवाएं और टीके निर्यात करता है। पूरे विश्व में जेनेरिक दवाओं में 40 फीसद हिस्सा भारत का है। बीते दिनों आए रिजर्व बैंक की एक आकलन रिपोर्ट की मानें, तो 2030 तक देश का फार्मा कारोबार तीन गुना से भी ज्यादा हो जाएगा। अभी मात्रा के हिसाब से भारत विश्व का तीसरा सबसे बड़ा औषधि उत्पादक देश है। दवाओं का बढ़ते निर्यात को देखते हुए यह सदाबहार क्षेत्र युवाओं को लगातार अपनी ओर आकर्षित कर रहा है। यही कारण है कि इससे जुड़े विभिन्न क्षेत्रों में बड़ी संख्या में युवा करियर बनाने के लिए आगे आ रहे हैं।
रोजगार का सदाबहार सेक्टर दवाओं की बढ़ती उपयोगिता को देखकर तमाम विशेषज्ञ भी करियर के लिहाज से फार्मेसी को अच्छा प्रोफेशन मानते हैं। दरअसल, यह एक ऐसा फील्ड है जिसमें रोजगार के अनेक बेहतर विकल्प मिल सकते हैं। ऐसा इसलिए कि आज औषधि उत्पादन में भारत की विश्व में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है। अगर कहा जाए कि विश्व की फार्मेसी का सेंटर इंडिया है, तो यह गलत नहीं होगा। क्योंकि यहां बड़ी संख्या में फार्मा मैन्युफैक्चिरिंग कंपनियां हैं।
वहीं, बीफार्मा एक ऐसा कोर्स है, जिसे करके अनेक रूपों में करियर बना सकते हैं, जैसे-यह कोर्स करके आप अपनी केमिसट की शाप खोल सकते हैं। किसी के साथ काम कर सकते हैं। आप इंडस्ट्री चला सकते हैं। इंडस्ट्री में काम कर सकते हैं। ड्रग इंस्पेक्टर बन सकते हैं। अगर एमफार्म कर लेते हैं, तो प्रोफेसर बन सकते हैं। पीएचडी कर लेने के बाद आप रिसर्च कर सकते हैं, नये मालिक्यूल निकाल सकते हैं। यानी एक बीफार्मा करके आप कम से कम 10 एरिया में जा सकते हैं। इसके अलावा, एंटरप्रेन्योर, रिसर्चर, टीचर या प्रैक्टिसिंग फार्मासिस्ट बनकर आप बाहर के देशों में भी जाकर नौकरी कर सकते हैं।
इनोवेशन और रिसर्च पर फोकसआज की तारीख में फार्मा एक ऐसा इमर्जिंग फील्ड है, जिसकी डिमांड कभी भी कम होने वाली नहीं है। क्योंकि जब तक मानवता रहेगी, बीमारियां रहेंगी, तब तक हेल्थकेयर और दवाइयां भी रहेंगी। आजकल तो कोरोना के रूप में बहुत सी नयी-नयी चीजें आ रही हैं। नयी-नयी बीमारियां आ रही हैं, इसलिए फार्मा में इनोवेशन और रिसर्च की डिमांड भी तेजी बढ़ रही है। ऐसा इसलिए कि पिछले 30-40 साल में बहुत ज्यादा नये एंटीबायोटिक नहीं आए हैं।
पेंसिलीन का ही उदाहरण ले लीजिए। यह लगभग सौ साल पहले आया था, लेकिन इसके टक्कर का अभी तक कोई एंटीबायोटिक नहीं आया है। इसलिए इस सेक्टर में रिसर्च का स्कोप बहुत है। यह एक ग्लोबल स्कोप है। तमाम कालेजों और विश्वविद्यालयों से हर साल बहुत से स्टूडेंट बीफार्मा कोर्स करके अमेरिका जाते हैं, कनाडा जाते हैं, वहां जाकर वे क्वालिफाइड फार्मासिस्ट बन जाते हैं। ऐसे स्टूडेंट के लिए बाहर के और भी देशों में बहुत से स्कोप हैं। इस फील्ड की सबसे बड़ी खूबी यह है कि यहां बहुत सारे डाइवर्स एरियाज हैं। क्योंकि सामान्यता होता यह है कि जब हम कोई फील्ड चुनते हैं, तो उसका दायरा बहुत सीमित हो जाता है। जैसे आप एक एमबीबीएस डाक्टर बने, तो आप एक डाक्टर ही रह गये। लेकिन यहां ऐसा नहीं है। एक बीफार्मा करके आप बहुत से एरिया में जा सकते हैं।
तेजी से बढ़ रही संभावनाएं कोरोना के बाद फार्मेसी पर ज्यादा जोर दिया जा रहा है। क्योंकि महामारी ने पूरे विश्व में औषधि और खाद्य जैसे महत्वपूर्ण उद्योगों से पर्दा हटा दिया है। जाहिर है इसका प्रभाव अब दवाओं के इनोवेशन और प्रोडक्शन पर भी पड़ेगा। वैसे भी, कोरोना से हमने बहुत कुछ सीखा है। इसलिए आने वाले समय में बहुत सारी चीजें बदलने वाली हैं। पहले हम एमिशन (उत्सर्जन) कंट्रोल, पेसेंट सेफ्टी, इम्युनिटी जैसी चीजों के बारे सोचते नहीं थे या इसे लेकर हमारा रवैया ढुलमुल रहता था।
स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने वाली तमाम चीजों को कम करने पर ध्यान नहीं देते थे, लेकिन आने वाले समय में अब इस पर ज्यादा फोकस होगा। बहुत सारी चीजें जिससे हमारे शरीर की शक्ति बढ़ती है, इंडस्ट्री में उसकी डिमांड बढ़ेगी। खासतौर से आने वाले समय में आर्गेनिक और हर्बल जैसी चीजों की मांग ज्यादा बढ़ेगी और इससे इंडस्ट्री का स्कोप भी और बढ़ेगा।पढ़ाई के साथ बढ़ाते रहें स्किल
जो युवा फार्मेसी की पढ़ाई कर रहे हैं या कर चुके हैं, उन्हें भी ध्यान देने की जरूरत है। लगातार बदलते इस सेक्टर में आगे बढ़ने के लिए और पढ़ें। जो लोग बीफार्मा हैं, वे एमफार्मा करें। अगर एमफार्मा हैं, तो पीएचडी करें। इस तरह पढ़ाई करके खुद को और बढ़ाएं। क्योंकि स्कोप दो ही चीजों से बढ़ते हैं। यह या तो पढ़ाई से बढ़ता है या फिर स्किल से बढ़ता है। चूंकि स्किल भी पढ़ाई के साथ ही आती है। आगे की पढ़ाई करने से आप एक स्पेशलिस्ट बन जाते हैं और तब करियर के दूसरे कई द्वार भी खुल जाते हैं।
शैक्षिक योग्यताएंबारहवीं के बाद फार्मेसी में बीफार्मा या डीफार्मा कोर्स किया जा सकता है। डिप्लोमा कोर्स के लिए फिजिक्स, केमिस्ट्री, बायोलॉजी या मैथ्स के साथ बारहवीं होना चाहिए। यह दो वर्ष का होता है। वहीं, बीफार्मा (बैचलर इन फार्मेसी) कोर्स चार वर्ष का अवधि है। यह कोर्स मैथ्स के अलावा, कंप्यूटर साइंस, बायोटेक्नोलाजी व बायोलाजी से बारहवीं करने वाले भी कर सकते हैं। फार्मा कोर्स में दाखिले प्रवेश परीक्षा के आधार पर होते हैं। देश के विभिन्न संस्थानों द्वारा ये कोर्स आफर किये जा रहे हैं।प्रमुख संस्थानदिल्ली इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मास्यूटिकल साइंसेज ऐंड रिसर्च, दिल्लीwww.dipsar.ac.inएनआइईटी, ग्रेटर नोएडाhttps://www.niet.co.inजामिया हमदर्द, नई दिल्लीhttp://jamiahamdard.eduआइपी यूनिवर्सिटी, दिल्लीhttp://www.ipu.ac.inरुचि व स्किल से बढ़ें आगे: एनआइईटी, ग्रेटर नोएडा के कार्यकारी उपाध्यक्ष रमन बत्रा ने बताया कि ड्रग मैन्युफैक्चरिंग के क्षेत्र में आज भारत की स्थिति बहुत अच्छी है। हम दुनिया भर को दवाओं का निर्यात करते हैं। हमारी फार्मा कंपनियां सारी दुनिया में दवाइयां भेज रही हैं। यह एक ऐसा फील्ड है, जिसमें स्कोप बहुत है। फार्मा फैक्ट्रियों से लेकर सरकारी और निजी अस्पताल, नर्सिंग होम्स आदि जगहों पर नौकरी की कोई कमी नहीं है। प्रतिष्ठित-प्रामाणिक संस्थान से फार्मेसी कोर्स कर लेने के बाद फार्मा रिसर्च, एनालिटिक्स, मार्केटिंग आदि में भी आकर्षक अवसर हैं। यदि आपकी रुचि इस क्षेत्र में है, तो अपनी स्किल बढ़ाकर और अपडेट रहते हुए खुद को तेजी से आगे बढ़ा सकते हैं।
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