फिजियोथेरेपिस्ट: राहत देने वाला करियर, यहां लगातार बढ़ रहीं जाब की संभावनाएं
खेलों के साथ-साथ स्वस्थ जीवन जीने के लिए भी बड़ी संख्या में लोग फिजियोथेरेपी की मदद लेते हैं। यह एक ऐसी चिकित्सा विधि है जो किसी भी तरह के दर्द से राहत दिला सकती है। वर्ल्ड फिजियोथेरेपी डे (आठ सितंबर) पर विशेष...
डा. संतोष पांडेय। खेलों के साथ-साथ स्वस्थ जीवन जीने के लिए भी बड़ी संख्या में लोग फिजियोथेरेपी की मदद लेते हैं। यह एक ऐसी चिकित्सा विधि है, जो किसी भी तरह के दर्द से राहत दिला सकती है। वर्ल्ड फिजियोथेरेपी डे (आठ सितंबर) के अवसर पर जानें, फिजियोथेरेपी कोर्स करके कैसे इस दिशा में करियर को आगे बढ़ाया जा सकता है...
आज खेल हो या रोज की दिनचर्या, जब भी कोई घायल होता है या किसी पुराने दर्द से पीड़ित होता है, तो ऐसे समय में बचाव के लिए फिजियोथेरेपिस्ट की सेवाएं ही आजकल सबसे ज्यादा उपयुक्त मानी जाती हैं। यह भी देखा भी जा रहा है कि कामकाजी वजहों से या फिर बढ़ती उम्र के कारण आज हर कोई किसी न किसी तरह के दर्द से पीड़ित है और ऐसे में फिजियोथेरेपिस्ट बिना किसी दवा या सर्जरी के परेशानी से दर्द से राहत दिलाने में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।
फिजियोथेरेपी में लोगों की बढ़ती दिलचस्पी को देखते हुए बड़ी संख्या में उत्साही युवा यह कोर्स करने के लिए आगे आ रहे हैं। यह एक तरह से मेडिकल का ही वैकल्पिक फील्ड है। ऐसे में अगर आप मेडिकल की पढ़ाई करना चाहते थे और किसी कारणवश नीट क्लियर नहीं कर पाए या किसी और वजह से दाखिला नहीं ले सके, तो आपको निराश होने की जरूरत नहीं है। आप 12वीं के बाद बीपीटी (बैचलर आफ फिजियोथेरेपी) जैसे कोर्स के जरिये भी अपने इस सपने को पूरा कर सकते हैं। लोगों की बदलती जीवनशैली के कारण हर छोटे बड़े शहर में फिजियोथेरेपिस्ट की मांग आजकल काफी देखी जा रही है।
करियर के अनेक विकल्प : कोरोना काल के बाद स्वास्थ्य के प्रति लोगों की सजगता और ज्यादा बढ़ गई है, तब से एक कुशल फिजियोथेपिस्ट के लिए जाब की संभावनाएं और भी कई रूपों में बढ़ गई हैं, जैसे:
सरकारी क्षेत्र में: सरकारी अस्पतालों में फिजियोथेरेपिस्ट को ही भौतिक चिकित्सक भी कहते हैं। यह एक स्थायी पद होता है। इस पद के लिए चयन लिखित परीक्षा या इंटरव्यू के माध्यम से किया जाता है। भारत के एम्स, सफदरजंग अस्पताल, आरएमएल हास्पिटल, बीएचयू ट्रामा सेंटर वाराणसी जैसे जितने भी बड़े-बड़े संस्थान हैं या जो राज्य स्तरीय सरकारी अस्पताल हैं, उन सब जगहों पर इसके लिए अलग से भौतिक चिकित्सा विभाग बना हुआ है, जहां फिजियोथेरेपी स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान की जाती हैं।
निजी क्षेत्र में: सरकारी के साथ-साथ निजी अस्पतालों में भी इनदिनों ऐसे डिग्रीधारी (बीपीटी) प्रोफेशनल्स की काफी डिमांड है। फिजियोथेरेपी में डिग्री कोर्स करने वालों के लिए निजी क्षेत्र में सबसे अधिक नौकरी के मौके निजी हास्पिटल्स, पाली क्लिनिक या मल्टीस्पेशलिटी हास्पिटल्स जैसी जगहों पर हैं, जहां आप इस विधा में स्वास्थ्य सेवाएं दे सकते हैं।
स्वरोजगार के रूप में: फिजियोथेरेपी में स्वरोजगार के भी काफी अवसर हैं। कोरोनाकाल के बाद इस तरह की सेवाएं अब लोग अपने घरों पर भी लेने लगे हैं। इस तरह की होम विजिट के लिए लोग खुशी-खुशी फिजियोरेपिस्ट को तय शुल्क का भुगतान भी करने को तैयार होते हैं। मोबाइल यूनिट भी इसी का एक रूप है, जिसके माध्यम से
आजकल घर-घर फिजियोथेरेपी सेवाएं दी जा रही हैं। इसके अलावा, एक फिजियोथेरेपिस्ट के रूप में अपना खुद का सेंटर खोलकर भी फिजियोथेरेपी सेवाएं दे सकते हैं। सबसे अच्छी बात है कि अगर ऐसे प्रोफेशनल अपना खुद का सेंटर या मोबाइल यूनिट शुरू करना चाहते हैं, तो उन्हें सरकार की ओर से व्यावसायिक लोन भी प्रदान किया जा रहा है।
रिसर्च के क्षेत्र में: फिजियोथेरेपी के क्षेत्र में रिसर्च की असीम संभावनाएं हैं। इसके लिए आइसीएमआर, डीबीटी, डीआरडीओ, आइएनएसए, सीएसआइआर जैसे राष्ट्रीय संस्थान अनुदान भी देते हैं। राज्य सरकारों ने भी प्रविधान बना रखे हैं। रिसर्च के बाद आप एक रिसर्च एसोसिएट के रूप में या प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर के रूप में अपनी सेवाएं दे सकते हैं।
प्रमुख कोर्स : एक आंकड़े के अनुसार, देश में हर साल औसतन पांच हजार से अधिक छात्र फिजियोथेरेपी कोर्स में अपना नामांकन करा रहे हैं। यही वजह है कि कई मान्यताप्राप्त संस्थानों द्वारा इनदिनों इसके लिए डिग्री या पीजी कोर्स के रूप में कई तरह के कोर्स संचालित किये जा रहे हैं। दूसरे भी कई मान्यताप्राप्त संस्थान इस तरह का कोर्स कराने के लिए आगे आ रहे हैं। अभी देश में बीपीटी के करीब 350 तथा एमपीटी के करीब 200 संस्थाएं हैं।बीपीटी में एडमिशन लेने के लिए फिजिक्स, केमिस्ट्री एवं बायोलाजी के साथ 12वीं में न्यूनतम 50 प्रतिशत अंक होने चाहिए। यह कोर्स साढ़े वर्ष की अवधि का है।
सोच-समझ कर ही करें संस्थान का चयन : फिजियोथेरेपी में आनलाइन एवं डिस्टेंस माध्यम से भी इनदिनों बहुत से कोर्स कराए जा रहे हैं, लेकिन इस तरह के डिस्टेंस और आनलाइन कोर्स की देश में मान्यता नहीं है। इसलिए अगर कोई संस्था इस तरह की डिग्री प्रदान कर रही है और वह विश्वविद्यालय अनुदान आयोग से प्रमाणित नहीं है, तो वहां से बिल्कुल भी कोर्स न करें। ऐसी संस्थाएं गैरकानूनी मानी जाती हैं। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने भी यह कहते हुए एक नोटिफिकेशन जारी कर रखा है कि भौतिक चिकित्सा एक चिकित्सीय
विधा है। इसमें प्रैक्टिकल की बहुत जरूरत होती है। यह मानव स्वास्थ्य सेवा से जुड़ा हुआ है। इसलिए इस क्षेत्र में आनलाइन या डिस्टेंस मोड के कोर्स को मान्यता प्रदान नहीं की जा सकती है। इसलिए जिस भी संस्थान में यह कोर्स करने जाएं, सबसे पहले उसकी मान्यता की जांच-पड़ताल अवश्य कर लें। देखें कि वह किस विश्वविद्यालय से संबद्ध है और उस विश्वविद्यालय की यूजीसी से मान्यता है भी या नहीं। यह जानकारी आप यूजीसी की वेबसाइट पर जाकर भी प्राप्त कर सकते हैं।
डा. संतोष पांडेय (पीटी)
प्रेसिडेंट, इंडियन एसोसिएशन आफ फिजियोथेरेपिस्ट्स, प्रयागराज
प्रमुख संस्थान
स्वामी विवेकानंद नेशनल इंस्टीट्यूट आफ रिहैबिलिटेशन ट्रेनिंग ऐंड रिसर्च,
कटक, ओडिशा
www.svnirtar.nic.in
बीएचयू, वाराणसी
https://new.bhu.ac.in
पीजीआइ, चंडीगढ़
https://pgimer.edu.in
पीजीआइ, लखनऊ
https://sgpgims.org.in
आइएसआइसी इंस्टीट्यूट आफ रीहैबिलिटेशन साइंसेज, नई दिल्ली
www.isiconline.org/research-education/