ऑनलाइन गेमिंग से जुड़े IT एक्ट की संवैधानिक और विधायी वैधता को दी गई चुनौती, 13 जुलाई को होगी सुनवाई
ऑनलाइन गेमिंग को विनियमित करने से जुड़े सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) संशोधन नियम-2023 की संवैधानिक और विधायी वैधता को नोएडा के गैर सराकरी संगठन ने दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी है। मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति संजीव नरूला की पीठ ने मामले को 13 जुलाई को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने का आदेश दिया।
By Jagran NewsEdited By: GeetarjunUpdated: Fri, 07 Jul 2023 11:54 PM (IST)
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। ऑनलाइन गेमिंग को विनियमित करने से जुड़े सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) संशोधन नियम-2023 की संवैधानिक और विधायी वैधता को नोएडा के गैर सराकरी संगठन ने दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी है। मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति संजीव नरूला की पीठ ने मामले को 13 जुलाई को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने का आदेश दिया।
साथ ही एडिशनल सालिसिटर जनरल चेतन शर्मा को मामले में अदालत की सहायता करने को कहा। एनजीओ सोशल आर्गनाइजेशन फार क्रिएटिंग ह्यूमेनिटी ने अधिवक्ता साक्षी टिकमनी के माध्यम से याचिका दायर की है।याचिका में कहा कि विवादित नियम केंद्र सरकार की विधायी क्षमता से परे हैं क्योंकि भारत के संविधान की सातवीं अनुसूची की सूची-II की प्रविष्टि-34 राज्य सरकारों को जुआ और सट्टेबाजी के मुद्दे पर कानून बनाने की विशेष शक्तियां देती हैं।
यह भी कहा कि केंद्र सरकार के नियमों को लागू करने से भ्रम के साथ ही ऑनलाइन गेमिंग से संबंधित कानूनों का दोहरा सेट तैयार हो गया है। जिसमें कहा गया है कि वर्तमान में इस बात पर कोई स्पष्टता नहीं है कि ऑनलाइन गेमिंग के संबंध में केंद्रीय या राज्य कानूनों का पालन किया जाना चाहिए या नहीं।
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