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चिराग पासवान की सांसदी को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती, HC ने कहा- आपको..., यौन उत्पीड़न से जुड़ा है मामला

Chirag Paswan News याचिकाकर्ता ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर कर आरोप लगाया कि चिराग पासवान ने लोकसभा चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करते समय इस आपराधिक पृष्ठभूमि का खुलासा नहीं किया था। वहीं दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि इस हाईकोर्ट में यह कैसे स्वीकार्य है? निर्वाचन क्षेत्र बिहार राज्य में है। साथ ही कोर्ट ने याचिकाकर्ता के वकील को सलाह दी।

By Jagran News Edited By: Geetarjun Published: Tue, 02 Jul 2024 06:05 PM (IST)Updated: Tue, 02 Jul 2024 06:05 PM (IST)
दिल्ली हाईकोर्ट में चिराग पासवान के लोकसभा सांसद के रूप में निर्वाचन को चुनौती देने वाली याचिका।

पीटीआई, नई दिल्ली। बिहार के हाजीपुर लोकसभा सीट (Hajirpur Lok Sabha Seat) से सांसद और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान की सांसदी को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी गई। इस दौरान हाईकोर्ट ने कहा कि आपको यह याचिका पटना हाईकोर्ट में दायर की जानी चाहिए। अब इस चुनाव याचिका पर सुनवाई 28 अगस्त को होगी।

न्यायमूर्ति विकास महाजन ने याचिकाकर्ता के वकील से कहा कि इस हाईकोर्ट में यह कैसे स्वीकार्य है? निर्वाचन क्षेत्र बिहार राज्य में है। बेहतर होगा कि आप याचिका वापस ले लें और अधिकार क्षेत्र वाले उच्च न्यायालय में जाएं। न्यायाधीश ने सुनवाई के दौरान मौखिक रूप से कहा कि इस न्यायालय के पास अधिकार क्षेत्र नहीं होगा।

यौन उत्पीड़न का है मामला

याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में दावा किया कि प्रिंस राज, उसके सहयोगियों ने उसका यौन उत्पीड़न किया गया, जिसमें चिराग पासवान भी शामिल थे। उन्होंने लोकसभा चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करते समय इस "आपराधिक पृष्ठभूमि" का खुलासा नहीं किया था। बता दें कि प्रिंस राज चिराग पासवान का चचेरा भाई है।

2021 में दर्ज कराई प्राथमिकी

याचिका में कहा है कि कथित यौन उत्पीड़न के संबंध में 2021 में ही दिल्ली में एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी। याचिका में कहा गया है कि आपराधिक मामलों के संबंध में झूठा हलफनामा दाखिल करना या हलफनामे में कोई भी जानकारी छिपाना जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 125ए का उल्लंघन है और इसके लिए छह महीने की सजा हो सकती है।

याचिकाकर्ता नहीं दे सकता चुनौती

चुनाव आयोग के वकील सिद्धांत कुमार ने कहा कि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत चुनाव याचिका यहां विचारणीय नहीं है, क्योंकि चुनाव बिहार में हुए थे। केंद्र की ओर से मामले में पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा ने आगे तर्क दिया कि कानून के तहत, केवल निर्वाचन क्षेत्र का मतदाता या उम्मीदवार ही चुनाव को चुनौती देने के लिए चुनाव याचिका दायर कर सकता है और याचिकाकर्ता दोनों में से किसी भी श्रेणी में नहीं आता है।

उन्होंने कहा, अधिनियम स्पष्ट है। उसका अधिकार क्षेत्र सवालों के घेरे में है। आपको निर्वाचन क्षेत्र का मतदाता होना चाहिए या आपको उम्मीदवार होना चाहिए। योग्यता बाद में आएगी, पहले याचिकाकर्ता को बाधा पार करनी होगी।

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याचिकाकर्ता के वकील ने अगली सुनवाई पर याचिका पर विचार करने के लिए हाईकोर्ट के अधिकार क्षेत्र के मुद्दे पर आगे चर्चा करने के लिए से समय मांगा।


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