PM Narendra Modi: प्रधानमंत्री मोदी की एक अपील ने बदल दी स्वदेशी खिलौनों की मार्केट, दुकानदार बोले- बढ़ गया निर्यात
PM Narendra Modi जानकारों के मुताबिक विदेश में भी स्वदेशी खिलौनों की धूम है। पिछले तीन साल में स्वदेशी खिलौना बाजार में जबरदस्त तेजी आई है। पीएम मोदी ने बीते माह मन की बात में कहा था कि वोकल फोर लोकल की गूंज आज हर ओर सुनाई दे रही है।
By Vinay Kumar TiwariEdited By: Updated: Mon, 29 Aug 2022 10:24 AM (IST)
नई दिल्ली [आशीष सिंह]। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लोकल फार वोकल अभियान के आह्वान के बाद बाजारों में स्वदेशी खिलौनों की मांग बढ़ गई है। जहां पहले बाजारों में चीन के खिलौनों का बोल बाला होता था, अब उसकी जगह स्वदेशी खिलौनों ने ले ली है।
जानकारों के मुताबिक विदेश में भी स्वदेशी खिलौनों की धूम है। पिछले तीन साल में स्वदेशी खिलौना बाजार में जबरदस्त तेजी आई है। पीएम मोदी ने बीते माह मन की बात में कहा था कि ''वोकल फोर लोकल'' की गूंज आज हर ओर सुनाई दे रही है। जिसकी गवाही खिलौना उद्योग दे रहा है।
उनके आह्वान का असर खिलौने के लिए प्रसिद्ध झंडेवाला खिलौना मार्केट व सदर बाजार की अधिकतर दुकानों में देखने को मिल रहा है। दुकानदार खरीदारों को स्वदेशी खिलौनों के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। खरीदार भी इसे लेकर जागरूक हैं। दुकानदारों का कहना है कि पीएम मोदी के नेतृत्व के प्रयास से यह संभव हुआ है।
झंडेवाला साइकिल व टाय एसोसिएशन के सचिव आकाश छाबड़ा ने कहा कि उन्होंने खिलौना बाजार से जुड़े निर्माताओं और कारोबारियों को प्रोत्साहित किया है। इससे स्वदेशी खिलौनों का निर्यात बढ़ा तो वहीं विदेशी खिलौनों का आयात घट गया है। इससे देश में रोजगार के अवसर बढ़े हैं।
झंडेवाला मार्केट में बीते 30 वर्ष से खिलौनों की दुकान चला रहे सचिन ने बताया कि पिछले तीन वर्षों में खिलौना आयात में 70 प्रतिशत की कमी आई है। इसका स्थान स्वदेशी खिलौने ने लिया है। रोहिणी से अपनी बेटी के लिए खिलौने खरीदने आए रोहित ने कहा कि स्वेदशी खिलौने चीनी उत्पादों को टक्कर दे रहे हैं। एक तो यह सस्ते और टिकाऊ हैं।
खिलौनों में दिख रही है भारतीय संस्कृति
झंडेवाला साइकिल और टाय मार्केट में खिलौनों की 150 से अधिक दुकानें हैं। यहां के दुकानदारों के मुताबिक पहले इस बाजार की निर्भरता पूरी तरह से चीनी उत्पादों पर थी, पर जब से सरकार ने स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा देने पर जोर दिया है।
इस बाजार का मिजाज बदला गया है। पहले खिलौनों में पश्चिमी देशों के परिधान देखने को मिलते थे, लेकिन अब खिलौने भारतीय साड़ी जैसे परिधानों में दिख रहे हैं। भारतीय संस्कृति पर आधारित खिलौनों की डिजाइनिंग करने पर जोर दिया था।
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