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कवि कुमार विश्वास ने कुछ इस अंदाज में किया राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर को उनकी जयंती पर याद

कवि कुमार विश्वास ने भी कविता के माध्यम से उनको याद किया। अपने ट्विटर हैंडल से उन्होंने दिनकर जी को याद किया इसी के साथ फेसबुक पेज भी शेयर किया इस पेज पर उन्होंने राष्ट्रकवि के बारे में कुछ अनोखी जानकारियां भी शेयर की।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Updated: Thu, 23 Sep 2021 03:55 PM (IST)
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इस पेज पर उन्होंने राष्ट्रकवि के बारे में कुछ अनोखी जानकारियां भी शेयर की।
नई दिल्ली, आनलाइन डेस्क। आज राष्ट्रकवि रामधानी सिंह दिनकर का जन्मदिवस है। आज ही के दिन 24 सितंबर 1908 को बिहार के बेगूसराय जिले के सिमरिया गाँव में उनका जन्म हुआ था। अपनी लेखनी के माध्यम से वह सदा अमर रहेंगे। देश के जाने-माने नेताओं और कवियों ने उनको जन्मदिवस के मौके पर याद किया और श्रद्धासुमन अर्पित किए। कवि कुमार विश्वास ने भी कविता के माध्यम से उनको याद किया। अपने ट्विटर हैंडल से उन्होंने दिनकर जी को याद किया, इसी के साथ फेसबुक पेज भी शेयर किया, इस पेज पर उन्होंने राष्ट्रकवि के बारे में कुछ अनोखी जानकारियां भी शेयर की।
पढ़ाई लिखाई
उन्होंने पटना विश्वविद्यालय से इतिहास राजनीति विज्ञान में बीए किया। उन्होंने संस्कृत, बांग्ला, अंग्रेजी और उर्दू का गहन अध्ययन किया था। बी. ए. की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद वे एक विद्यालय में अध्यापक हो गये। 1934 से 1947 तक बिहार सरकार की सेवा में सब-रजिस्टार और प्रचार विभाग के उपनिदेशक पदों पर कार्य किया। 1950 से 1952 तक मुजफ्फरपुर कालेज में हिन्दी के विभागाध्यक्ष रहे, भागलपुर विश्वविद्यालय के उपकुलपति के पद पर कार्य किया और उसके बाद भारत सरकार के हिन्दी सलाहकार बने। उन्हें पद्म विभूषण की उपाधि से भी अलंकृत किया गया। उनकी पुस्तक संस्कृति के चार अध्याय साहित्य अकादमी पुरस्कार तथा उर्वशी के लिये भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रदान किया गया।

कुलपति भी रहे

रामधारी सिंह दिनकर तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय (टीएमबीयू) के छठे कुलपति भी हुए। वे 10 जनवरी 1964 से तीन मई 1965 तक टीएमबीयू में कुलपति के पद पर रहे थे। छोटे कार्यकाल के बाद भी राष्ट्रकवि का भागलपुर से गहरा लगाव था। वे गोलाघाट स्थित छावनी कोठी में रहते थे। अब भी उनकी कई यादें वहां हैं। कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता ने दिनकर परिसर स्थित उनकी आदमकद प्रतिमा का जीर्णोद्धार कराया। प्रतिमा स्थल को 'दिनकर वाटिका' के रूप में विकसित कराया। जहां कई पेड़-पौंधों के अलावा फूल लगाए गए हैं। उनकी प्रतिमा परीक्षा भवन की तरफ मुड़ी हुई थी। जिसे ठीक कराया गया। अब यह प्रतिमा और उसका परिसर 19 साल बाद सही दशा में है।

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