पटाखों की आग में पुलिस की कार्रवाई 'फुस्स', दिल्ली-NCR में दिवाली बाद हर बार जहर बन जाती है हवा; पढ़ें इनसाइड स्टोरी
छह महीने और अधिकतम तीन साल की सजा का प्रविधान है प्रतिबंध के बावजूद पटाखे फोड़ने पर। रोक लगी होने के बाद भी पटाखों की बिक्री उन्हें जलाने और कार्रवाई के आंकड़ों पर गौर करेंगे तो पता लगेगा कि दोनों में काफी अंतर है। पटाखों की बड़ी खेप पकड़ी तो जाती है पर दीपावली की रात पटाखों का शोर सोने नहीं देता है।
By Jagran NewsEdited By: GeetarjunUpdated: Wed, 01 Nov 2023 06:05 PM (IST)
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। छह महीने और अधिकतम तीन साल की सजा का प्रविधान है प्रतिबंध के बावजूद पटाखे फोड़ने पर। रोक लगी होने के बाद भी पटाखों की बिक्री, उन्हें जलाने और कार्रवाई के आंकड़ों पर गौर करेंगे तो पता लगेगा कि दोनों में काफी अंतर है। पटाखों की बड़ी खेप पकड़ी तो जाती है, पर दीपावली की रात पटाखों का शोर सोने नहीं देता है। जिम्मेदार एजेंसियां नाम के लिए कुछ लोगों के विरुद्ध कार्रवाई करके अपनी जिम्मेदारी पूरी कर लेती हैं।
- गत वर्ष दिल्ली पुलिस ने एक अक्टूबर से 19 अक्टूबर तक पटाखों की बिक्री के उल्लंघन के 75 मामले दर्ज कर बिक्री के लिए जमा किए गए 13767.719 किलोग्राम पटाखे जब्त किए थे।
- मामले दर्ज कर 7518.5 किलोग्राम पटाखे बरामद किए एक सप्ताह में। अधिकतर मामलों में उत्तर प्रदेश व हरियाणा से दिल्ली में इनकी आपूर्ति की जा रही थी।
हाल में पकड़ी गई बड़ी खेप
26 अक्टूबर : उत्तर पूर्वी जिला पुलिस ने दो अलग-अलग मामलों में कार्रवाई करते हुए 800 किलो से अधिक पटाखे बरामद किए।21 अक्टूबर : क्राइम ब्रांच ने दो आरोपितों को गिरफ्तार कर 1104 किलोग्राम पटाखे बरामद किए।17 अक्टूबर : दक्षिणी जिला पुलिस ने तीन आरोपितों को गिरफ्तार कर 1300 किलो पटाखे बरामद किए।
कार्रवाई का प्रावधान
पटाखे बेचने, सप्लाई या भंडारण करने पर आइपीसी की धारा 286 (विस्फोटक पदार्थ को लेकर उपेक्षापूर्ण आचरण), धारा 188 (सरकारी आदेशों की अवहेलना करना) और एक्सप्लोसिव एक्ट 5/9 बी के तहत केस दर्ज किया जाता है। धारा 286: छह माह की सजा या जुर्माना या दोनों भी।धारा 188 : दोषी पाए जाने पर एक माह की सजा या 200 रुपये जुर्माना या दोनों।क्या है ग्रीन पटाखा
- सामान्य पटाखों से इतर ग्रीन पटाखों का केमिकल फार्मूला ऐसा होता है कि इनसे पानी की बूंदें निकलती हैं।
- प्रदूषण कम होता है और धूलकणों को भी पानी की बूंदें दबा देती हैं।
- प्रदूषक तत्व नाइट्रस आक्साइड और सल्फर आक्साइड 30 से 35% तक कम होते हैं।
- यह पटाखे लाइट एंड साउंड शो के जैसे हैं, इन्हें जलाने पर खुशबू भी आती है।
- सामान्य पटाखों की तुलना में इन पटाखों में 50 से 60 प्रतिशत तक कम एल्युमीनियम का इस्तेमाल किया जाता है।
- ग्रीन पटाखों पर हरे रंग का स्टीकर और बारकोड लगे होते हैं । हरे रंग वाले स्टिकर इस बात की पुष्टि करने के लिए हैं कि ये ग्रीन पटाखे हैं। इसके अतिरिक्त जानकारी लेने के लिए पटाखे पर लगे बारकोड को स्कैन कर सकते हैं।
गुरुग्राम में नियम
- ग्रीन पटाखे भी केवल दीपावली के दिन रात आठ बजे से रात 10 बजे तक ही जला सकते हैं। इसके बाद कार्रवाई करने का नियम है।
- क्रिसमस व नववर्ष के अवसर पर रात 11 बजकर 55 मिनट से लेकर रात वि 12 बजकर 30 मिनट तक चलाने की अनुमति होगी।
- एक नवंबर से 31 जनवरी 2024 तक जिलाधिकारी के आदेश प्रभावी रहेंगे। उल्लंघन पर कार्रवाई की जाएगी।