पहलवान सुशील के साथ पुलिस की सेल्फी ने खड़े किए कई सवाल, परिवार के लोग बोले साफ दिख रहा अपराधी और खाकी का याराना
पहलवान सागर धनखड़ हत्या के मामले में पुलिसकर्मियों की सुशील कुमार के साथ सेल्फी ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। सागर के परिवार के सदस्य इस मामले में न्याय को लेकर संशकित हैं। पुलिस की सुशील के साथ नजदीकियां बता रही हैं कि वो सजा नहीं होने देना चाहते।
By Vinay Kumar TiwariEdited By: Updated: Mon, 28 Jun 2021 05:31 PM (IST)
नई दिल्ली, आनलाइन डेस्क। पहलवान सागर धनखड़ हत्या के मामले में पुलिसकर्मियों की सुशील कुमार के साथ सेल्फी ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। सागर के परिवार के सदस्य इस मामले में न्याय को लेकर संशकित हैं। उनका कहना है कि पुलिस की सुशील के साथ नजदीकियां बता रही हैं कि वो उसको गुनाह के हिसाब से सजा नहीं होने देना चाहते। इसी वजह से वो सुशील को रिमांड पर लेकर घूमते रहे मगर कोई सबूत जमा नहीं कर पाए। आज भी पुलिस के पास इस मामले में कोई पुख्ता सबूत नहीं है।
4-5 मई की रात में हत्याकांड को अंजाम देने के बाद सुशील अलग-अलग जनपदों में फरारी काटता रहा, 18 दिन बाद पुलिस की एक टीम सुशील को उसके साथी के साथ स्कूटी पर पकड़ पाई। उसके बाद उसे रिमांड पर लिया गया, पुलिस सुशील से हत्याकांड में इस्तेमाल किए गए सामान और कपड़ों की बरामदगी को लेकर उसे साथ लेकर घूमती रही मगर बरामद कुछ नहीं हुआ। पुलिस न ये बात खुद ही बताई, यदि बरामद हुआ होता तो उसे भी बताती। ऐसा मानना काफी अजीब है कि दिल्ली पुलिस ने किसी को रिमांड पर लिया हो और उससे कुछ भी बरामद न कर पाए, इससे उनकी और उस टीम की कार्यप्रणाली पर सवाल जरूर उठ रहा है।
कुछ दिन पहले सुशील को मंडोली से तिहाड़ जेल शिफ्ट करने के दौरान सेल्फी एक्सपर्ट टीम की जो तस्वीरें सामने आई उससे साफ जाहिर है कि पुलिस में सुशील के कितने खास और चाहने वाले हैं। उसके गैंगस्टरों से संबंध भी किसी से छिपे नहीं है औ खाकी वर्दी वालों से याराना तो तस्वीरों में दिख ही रहा है। मालूम हो कि सागर की बुआ की लड़की ने इंटरनेट मीडिया पर जस्टिसफारसागर के हैशटैग से एक कैंपेन भी चलाया था, उसके कुछ दिनों के बाद सुशील को गिरफ्तार दिखाया गया था।
मगर कानून और अपराध के जानकारों का कहना है कि ये गिरफ्तारी नहीं बल्कि सुशील का सरेंडर था। सुशील ने बहुत ही आराम से पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया था। परिवार के लोगों का आरोप है कि 18 दिन की फरारी काटने के दौरान सुशील ने सारे सबूत खत्म कर दिए। उसके बाद जब पुलिस ने उसे रिमांड पर लिया तो वो भी कुछ बरामद नहीं करवा पाई। ऐसे में ये ही कहा जाएगा कि पुलिस न सुशील को बचाने के लिए सारे इंतजाम कर दिए हैं। बहुत से ऐसे सवाल है जिसका जवाब पुलिस टीम को देना होगा।
नहीं बताए जा रहे इन सवालों के जवाब - 18 दिन फरारी के दौरान सुशील कहां-कहां छिपता रहा? पुलिस को इन सभी नेटवर्क से मजबूत सबूत मिल सकते हैं?
- 4-5 मई की रात को जो कपड़े पहने थे उसको कहां नष्ट किया? वो अभी तक पुलिस बरामद नहीं कर पाई।
- वीडियो में जो डंडा दिख रहा है वो कहां है? पुलिस ने हत्याकांड में इस्तेमाल चीजों को बरामद करने के लिए सुशील को रिमांड पर लिया था मगर कुछ भी बरामदगी नहीं हुई।
- हरिद्वार में एक आश्रम और एक बाबा से कनेक्शन जुड़ रहा था, उसके पीछे क्या सच्चाई है? बाबा का नाम अब तक पुलिस ने सार्वजनिक नहीं किया ना ही उससे कनेक्शन के बारे में कुछ जानकारी दी गई।
- जिन फोन नंबरों का इस्तेमाल किया वो कहां है? ये भी एक सबूत हो सकते हैं, मगर पुलिस ने इसके बारे में भी कोई सूचना सार्वजनिक नहीं की।
- सुशील कोई शातिर अपराधी नहीं है फिर वो इतने दिनों तक कैसे फरार रहा? दिल्ली पुलिस यदि मन से चाहती तो इतने दिनों तक कोई शातिर भी फरार नहीं रह पाता है। कुछ दिन पहले कुलदीप उर्फ फज्जा का एनकाउंटर इसका बड़ा उदाहरण है।
- पुलिस विभाग के किन अधिकारियों ने सुशील पर हल्का हाथ रखने की बात कही थी जिसकी वजह से उसे तलाशने का ड्रामा किया जाता रहा? यदि सुशील के काल डिटेल खंगाली जाएगी तो उसको मदद करने वालों के नाम सामने आ जाएंगे?- सेल्फी लेने वाली टीम में शामिल पुलिसवाले कितने समय से सुशील को जानते हैं? क्या फोटो लेते समय वो कानून की बातें भूल गए थे? इन पर सख्त एक्शन लेकर पुलिस महकमा एक उदाहरण प्रस्तुत कर सकता है जिससे भविष्य में किसी गंभीर मामले में आरोपित के साथ फोटो खिंचवाने से पहले हर कोई सोचेगा।
इसके अलावा और भी बहुत सी चीजें हैं जो इस मामले में बरती गई लापरवाहियों को साफ दिखा रही हैं। यदि पुलिस ने मजबूत सबूत कोर्ट में नहीं दिए तो पहलवान सुशील कुछ दिनों के बाद जेल से बाहर आ जाएगा। सागर धनखड़ के परिवार के सदस्य सिर्फ रोते रह जाएंगे और कानून को कोसते रहेंगे। अगर पुलिस इस हत्याकांड के मामले में सुशील को सजा दिलवाने में नाकाम रही तो ये पुलिस प्रशासन की नाक को नीचे करने वाला उदाहरण बन जाएगा। इस हाइप्रोफाइल केस में लचर जांच और गवाह सबूत कानून का माखौल उड़ाने के लिए हमेशा याद रखे जाएंगे।
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