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दिल्ली में बदलेगी पुलिस व्यवस्था, मुंबई की तर्ज पर शिफ्ट डयूटी लगेगी

दिल्ली पुलिस में इस व्यवस्था को लागू करने पर हर थाने में सात-सात इंस्पेक्टरों की तैनाती करनी होगी। वर्तमान में दिल्ली पुलिस में 1455 इंस्पेक्टरों के पद स्वीकृत हैं जिनमें 1430 की ही तैनाती है। यानी स्वीकृत पदों में से 25 इंस्पेक्टर कम ही हैं।

By Jp YadavEdited By: Updated: Thu, 26 Aug 2021 10:46 AM (IST)
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दिल्ली में बदलेगी पुलिस व्यवस्था, मुंबई की तर्ज पर शिफ्ट डयूटी लगेगी
नई दिल्ली [राकेश कुमार सिंह]। मुंबई पुलिस की तर्ज पर दिल्ली पुलिस में भी शिफ्ट डयूटी सिस्टम लागू करने करने की दिशा में कवायद शुरू कर दी गई है। मुंबई पुलिस में आठ-आठ घंटे की तीन शिफ्टों में डयूटी करने की व्यवस्था है। दिल्ली पुलिस में इस व्यवस्था को लागू करने पर हर थाने में सात-सात इंस्पेक्टरों की तैनाती करनी होगी, जो दिल्ली पुलिस के लिए आसान नहीं लग रहा है। वर्तमान में दिल्ली पुलिस में 1455 इंस्पेक्टरों के पद स्वीकृत हैं, जिनमें 1430 की ही तैनाती है। यानी स्वीकृत पदों में से 25 इंस्पेक्टर कम ही हैं।

शिफ्ट डयूटी सिस्टम लागू करने पर केवल 15 जिले के 178 थानों में सात-सात इंस्पेक्टरों की तैनाती के हिसाब से देखा जाए तो इनकी संख्या 1246 होती है। जिले के थानों के अलावा स्पेशल सेल, क्राइम ब्रांच, आर्थिक अपराध शाखा, विजिलेंस, पीसीआर के अलावा छह-सात अन्य यूनिट भी है जहां बड़ी संख्या में इंस्पेक्टरों की तैनाती होनी चाहिए। यानी सिस्टम लागू करने पर सबसे पहले इंस्पेक्टरों की बड़े पैमाने पर भर्ती करने की जरूरत पड़ेगी, तभी दिल्ली पुलिस में शिफ्ट डयूटी सिस्टम लागू हो पाएगा।

2016 में तत्कालीन पुलिस आयुक्त आलोक वर्मा ने भी दिल्ली पुलिस को बेहतर बनाने की दिशा में कई कदम उठाने की कोशिश की थी। उन्होंने डीसीपी राजीव रंजन को मुंबई भेजकर वहां की पुलिसिंग के बारे में पता कराया था। वे वहां चार दिन रहकर मुंबई पुलिस के बारे में जानकारी प्राप्त किए थे। वापस दिल्ली लौटकर उन्होंने कमेटी को रिपोर्ट बनाकर सौंप दिया था। रिपोर्ट में उन्होंने मुंबई पुलिस में आठ-आठ घंटे की तीन शिफ्टों में डयूटी होने। पीसीआर का जिला पुलिस के साथ मर्ज होने की बात बताई थी। उन्होंने यह भी बताया था कि वहां हर सब डिवीजन में एक-एक क्यूआरटी टीम भी रहती है। उनके पास बुलेटप्रूफ वाहन होते हैं। दिल्ली पुलिस में ऐसी सुविधा नहीं है। यहां कहने को हर थाने में क्यूआरटी टीम है तो लेकिन उनके पास खटारा जिप्सी है जो कहीं भी रुक सकती है। दिल्ली पुलिस की सभी जिप्सी ठेके पर चल रही हैं, जिनकी हालत बेहद खस्ता है।

दिल्ली पुलिस की पीसीआर यूनिट को खत्म कर जिला पुलिस के साथ मर्ज कर दिया जाएगा

दिल्ली पुलिस की पीसीआर यूनिट को खत्म कर जिला पुलिस के साथ मर्ज कर दिया जाएगा। मुंबई में इस तरह की व्यवस्था है। मुंबई में पीसीआर जिला पुलिस के अधीन ही काम करती है। दिल्ली में भी इस तरह की व्यवस्था बनाने पर तेजी से काम चल रहा है। चर्चा है कि आगामी एक सितंबर से दिल्ली में ऐसी व्यवस्था लागू कर दी जाएगी। अभी पायलट प्रोजेक्ट के तहत कुछ जिलों में ऐसी व्यवस्था लागू की जाएगी अथवा सभी 15 जिले में एक साथ इसको लेकर अंतिम निर्णय नहीं किया जा सका है।

पुलिस आयुक्त राकेश अस्थाना के इस निर्णय को बेहतर माना जा रहा है। कानून व्यवस्था बेहतर बनाने की दिशा में इससे बहुत फायदा मिलेगा। इसके बेहतर परिणाम सामने आएंगे। पीसीआर यूनिट जिले के डीसीपी के अधीन न होने के कारण दोनों यूनिटों के बीच अक्सर तालमेल का अभाव रहता था। जिले के डीसीपी समेत अन्य अधिकारियों को यह जानकारी नहीं होती थी कि पीसीआर उनके इलाके में कहां गश्त कर रही है अथवा किस प्वाइंट पर खड़ी है।

दिल्ली के हैदरपुर में दिल्ली पुलिस का आपरेशन कम्यूनिकेशन यूनिट है, जो पीसीआर का मुख्यालय है। इसी में मुख्य कंट्रोल रूम (नियंत्रण कक्ष) है। यहां पीसीआर के सभी वरिष्ठ अधिकारी बैठते हैं। पीसीआर में सिपाही से एसीपी तक करीब 7800 कर्मचारी तैनात हैं। दिल्ली पुलिस के पास पीसीआर वैन की संख्या 814 है, जो जरूरत के हिसाब से काफी कम है। वसंत विहार सामूहिक दुष्कर्म की घटना के बाद जो आंकलन किया गया था उस हिसाब से इसकी संख्या कम से कम 1300 होनी चाहिए। एक जिले में करीब 35-40 पीसीआर वैन की तैनाती रहती है। थाना स्तर पर देखें तो एक थानाक्षेत्र में 2-3 पीसीआर वैन गश्त अथवा अपराध प्रभावित निर्धारित प्वाइंट पर खड़ी रहती हैं। ताकि काल मिलने पर 6 मिनट के अंदर पीसीआर मौके पर पहुंच सके। दिल्ली पुलिस में पीसीआर अकेली ऐसी यूनिट है जिसमें तैनात पुलिसकर्मी आठ-आठ घंटे यानी तीन शिफ्ट में काम करते हैं।

दिल्ली में कहीं से भी पुलिस सहायता के लिए काल किए जाने पर काल पहले पीसीआर के हैदरपुर स्थित मुख्यालय में कमांड रूम को जाती है। वहां से काल को संबंधित जिले के डीसीपी कार्यालय में स्थित कंट्रोल रूम को ट्रांसफर किया जाता है। फिर उस काल को जिले व संबंधित थाने में फ्लैश किया जाता है। नई व्यवस्था के तहत भी पहले मुख्यालय को ही काल जाएगी और वहां से संबंधित जिले को काल ट्रांसफर किया जाएगा।

नई व्यवस्था का फायदा होगा कि जिले के डीसीपी का पीसीआर पर पूरी तरह नियंत्रण रहेगा। वे और प्रभावी तरीके से पीसीआर कर्मियों से काम ले सकेंगे। इससे सब डिवीजन व थाना पुलिस की क्षमता में भी बढ़ोतरी होगी। डिवीजन आफिसर पीसीआर कर्मियों के साथ तालमेल बैठाकर काम कर सकेंगे। पेट्रोलिंग और तेज हो सकेगी।

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