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Farmer Protests: पंजाब के किसान आंदोलन के बीच गुरु के लंगर पर भी सियासी खेल

Farmer Protests दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (डीएसजीपीसी) पर अकाली दल का कब्जा है और वह हर सूरत में किसानों के साथ खड़ा दिखना चाहती है। इस कोशिश में धरनास्थलों पर कमेटी की ओर से लंगर लगाने के साथ ही स्वास्थ्य सुविधाएं भी उपलब्ध कराई जा रही हैं।

By JP YadavEdited By: Updated: Fri, 04 Dec 2020 10:46 AM (IST)
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किसानों का हितैषी साबित करने की कोशिश में सिख नेता एक-दूसरे को कठघरे में खड़ा कर रहे हैं।
नई दिल्ली [संतोष कुमार सिंह]। केंद्रीय कृषि कानूनों के विरोध में राजधानी दिल्ली में किसानों के आंदोलन से यहां की सिख सियासत में भी हलचल तेज हो गई है। अपने आप को किसानों का हितैषी साबित करने की कोशिश में सिख नेता एक-दूसरे को कठघरे में खड़ा कर रहे हैं। गुरु का लंगर भी उनकी सियासत से अछूता नहीं रह गया है। इसे लेकर भी जुबानी जंग हो रही है। कृषि कानूनों के विरोध में शिरोमणि अकाली दल (शिअद बादल) ने भाजपा से नाता तोड़ लिया था।

बता दें कि दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (डीएसजीपीसी) पर अकाली दल का कब्जा है और वह हर सूरत में किसानों के साथ खड़ा दिखना चाहती है। इस कोशिश में धरनास्थलों पर कमेटी की ओर से लंगर लगाने के साथ ही स्वास्थ्य सुविधाएं भी उपलब्ध कराई जा रही हैं। खास बात यह है कि कमेटी के अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा फेसबुक, वाट्सएप और ट्विटर के जरिये इसे प्रचारित भी खूब कर रहे हैं। खुद फेसबुक लाइव करके बता रहे हैं कि किस तरह से शिअद बादल व डीएसजीपीसी द्वारा आंदोलनकारी किसानों को मदद की जा रही है।

वहीं, मनजिंदर सिंह सिरसा के इस सियासी अंदाज का विरोध भी शुरू हो गया है। पिछले दिनों टीकरी बॉर्डर पर कुछ किसानों ने उनका विरोध करते हुए लंगर लेने से इनकार कर दिया था। उन्होंने आरोप लगाया था कि शिअद बादल लंगर के बहाने राजनीति कर रही है।

जग आसरा गुरु ओट (जागो) के अध्यक्ष मनजीत सिंह जीके ने डीएसजीपीसी अध्यक्ष पर गुरु के लंगर का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि लंगर के नाम पर इस तरह की सियासत गैर जरूरी है। यह गुरु का लंगर है न कि किसी की निजी संपत्ति।

उन्होंने कहा कि डीएसजीपीसी हमेशा से आंदोलन करने वालों व अन्य जरूरतमंदों को लंगर उपलब्ध कराती रही है, लेकिन कभी इसका प्रचार नहीं किया गया। कुछ वर्ष पहले उनके डीएसजीपीसी अध्यक्ष रहते हुए जंतर-मंतर पर भी किसानों का आंदोलन हुआ था। उस समय भी आंदोलनकारियों को लंगर उपलब्ध कराया गया था, लेकिन इस तरह से शोर नहीं मचाया गया था।

शिरोमणि अकाली दल दिल्ली (सरना) ने भी शिअद बादल पर गुरु के लंगर के नाम पर ओछी राजनीति करने का आरोप लगाया है। पार्टी के अध्यक्ष परमजीत सिंह सरना का कहना है कि किसानों ने पिछले दिनों कमेटी के अध्यक्ष को बैरंग लौटा दिया था। इससे पता चलता है कि किसान भी इस तरह की सियासत पसंद नहीं कर रहे हैं।

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