दिल्ली में सियासत ने खड़ा कर दिया कूड़े का पहाड़
दिल्ली में कूड़े को लेकर राज्य सरकार और निगम के बीच सियासी खींचतान जारी है। इसका खामियाजा दिल्ली की आम जनता को उठाना पड़ रहा है।
By Amit Kumar SinghEdited By: Updated: Wed, 11 Jul 2018 11:39 AM (IST)
नई दिल्ली (जेएनएन)। दिल्ली में कूड़े के पहाड़ के लिए सरकार और नगर निगम में जारी सियासी टकराव ज्यादा जिम्मेदार है। निगम सरकार पर धन उपलब्ध नहीं कराने का आरोप लगा रही। वहीं दिल्ली सरकार निगम की खराब माली हालत के लिए भ्रष्टाचार को जिम्मेदार ठहरा रही है। इस खींचतान में दिल्ली की सफाई व्यवस्था पटरी से उतर चुकी है। सियासी खींचतान की वजह से आए दिन दिल्ली में सफाई कर्मचारियों हड़ताल कर रहे हैं।दिल्ली में पिछले दो-तीन वर्षो में सफाई को लेकर जितनी सियासत हुई है शायद ही इससे पहले दिल्ली के नागरिकों ने देखी हो।
लैंडफिल साइट को लेकर विवादसियासत की वजह से नई लैंडफिल साइट के लिए जमीन नहीं मिलती है। जमीन मिलती भी है तो आस-पास रहने वाले लोग विरोध करने लगते हैं। ताजा उदाहरण सोनिया विहार में प्रस्तावित लैंडफिल साइट है, जो लोगों और राजनेताओं के विरोध के चलते विवादों में आ गया है। वहीं पूर्वी दिल्ली की गाजीपुर लैंडफिल साइट क्षमता से अधिक ऊंची हो चुकी है। क्षमता से अधिक ऊंचा होने की वजह से गाजीपुर लैंडफिल साइट का एक हिस्सा कुछ दिनों पहले ढह गया था।
समय से मिलता पैसा तो अधिक कूड़े का हो चुका होता निस्तारणउत्तरी दिल्ली नगर निगम के महापौर आदेश गुप्ता का कहना है कि राज्य सरकार ने निगम को पंगु बना रखा है। सरकार चाहती तो राजनीति न कर समय से निगम का बकाया पैसा जारी करती, लेकिन कोर्ट के दखल के बाद निगम के कर्मचारियों को वेतन मिला। फंड न मिलने की वजह से निगम के पास संसाधनों का अभाव है। केजरीवाल सरकार समय से पैसा जारी करती तो हम घर-घर से कूड़ा उठाने का कार्य काफी पहले से शुरू कर देते। पैसे की कमी के कारण अब इसका टेंडर हो रहा है। इससे हम गीले व सूखे कूड़े को अलग- अलग कर पाएंगे, जिससे लैंडफिल साइट पर जाने वाले कूड़े की मात्र भी कम होगी और ज्यादा से ज्यादा बिजली भी बन पाएगी।
ऐसे हो रहा है कूड़े का निस्तारणगाजीपुर लैंडफिल साइट पर 2500 मीट्रिक टन कूड़ा रोज डाला जाता है। यहां 10 मेगावॉट के बिजली संयंत्र में 1200 मीट्रिक टन कूड़े का निस्तारण प्रतिदिन होता है। उत्तरी निगम इलाके के भलस्वा लैंडफिल साइट पर 1500 मीट्रिक टन कूड़ा प्रतिदिन डाला जाता है। नरेला-बवाना लैंडफिल साइट पर 2500 मीट्रिक टन कूड़ा डाला जाता है। इसमें से 2000 मीट्रिक टन कूड़े से रोजाना 24 मेगावॉट बिजली बनाई जाती है। शेष 500 मीट्रिक टन कूड़े से खाद बनती है। ओखला और तेहखंड की दो लैंडफिल साइट पर 3600 मीट्रिक टन कूड़ा प्रतिदिन डाला जाता है। इसमें से 1800 मीट्रिक टन कूड़े से ओखला लैंडफिल साइट पर 15 मेगावॉट बिजली बनाई जाती है। तेहखंड लैंडफिल साइट पर शेष कूड़ेे से 25 मेगावॉट बिजली बनाने के लिए संयंत्र लगाया जा रहा है।
यहां-यहां है दिल्ली में लैंडफिल साइटओखला, गाजीपुर, तेहखंड, भलस्वा, नरेला 1दिल्ली में रोजाना करीब 10100 मीटिक टन कूड़ा निकलता है।
कर्मचारियों ने सड़क पर जगह-जगह फेंका कूड़ादक्षिणी दिल्ली नगर निगम कर्मचारियों ने सड़क पर ही जगह-जगह कूड़ा फेंक दिया। इससे लोगों को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। सड़क पर पड़े कूड़े से होकर लोगों को गुजरना पड़ा। मंगलवार सुबह कुछ सफाई कर्मचारियों ने लाजपत नगर-2 के आई ब्लॉक में कूड़े से भरा ठेला सड़क पर पलट दिया। कर्मचारियों ने कूड़ा डालकर हड़ताल करने की चेतावनी दी।
यातायात पुलिस ने हटवाया कूड़ासड़क पर भारी मात्रा में कूड़ा फैलाए जाने से आसपास के लोगों को काफी परेशानी भी हुई। हालांकि लोगों के विरोध करने पर कर्मचारी वहां से चले गए। मथुरा रोड पर जामिया नगर व एनएफसी जाने वाले मार्ग पर भी सफाई कर्मचारियों ने कूड़ा फैलाया। इस कारण यातायात भी प्रभावित हुआ। यातायात पुलिसकर्मियों ने इन्हीं कर्मचारियों से सड़क से कूड़ा हटवाया।
दक्षिणी दिल्ली नगर निगम की हड़ताल स्थगित दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के नजफगढ़ के जोन उपायुक्त रहे विश्वेंद्र के तबादले के विरोध में इंजीनियर और अन्य कर्मियों की बुधवार से होने वाली हड़ताल अब नहीं होगी। दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के महापौर के आश्वासन पर इंजीनियर और अन्य कर्मियों ने हड़ताल का निर्णय वापस ले लिया है।
सेंट्रल जोन के उपायुक्त बन सकते हैं विश्वेंद्रशिक्षा निदेशक बने विश्वेंद्र अब सेंट्रल जोन के उपायुक्त बन सकते हैं। सेंट्रल जोन की उपायुक्त चंचल यादव का राजनिवास में तबादला हो गया है। इसके बाद संभावना जताई जा रही है कि अब विश्वेंद्र को सेंट्रल जोन का उपायुक्त बनाया जा सकता है।
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