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थोड़ा सुधार, अभी बहुत की दरकार! पिछले 10 सालों में दिल्ली की हवा हुई साफ, प्रदूषण स्तर में 25 फीसदी की गिरावट

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा संसद में पेश की गई एक रिपोर्ट के मुताबिक 10 सालों में दिल्ली की वायु गुणवत्ता में हुआ 25 प्रतिशत से अधिक सुधार हुआ है। विशेषज्ञों का मानना है कि नियम और योजनाएं तो बहुत हैं लेकिन जमीनी स्तर पर क्रियान्वयन बहुत कम है।

By sanjeev GuptaEdited By: Aditi ChoudharyUpdated: Thu, 03 Nov 2022 02:51 PM (IST)
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Delhi Air Pollution: पिछले 10 सालों में दिल्ली की हवा हुई साफ, प्रदूषण स्तर में 25 फीसदी की गिरावट

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। दिल्ली में फिलहाल भले ही दमघोंटू हवा चल रही हो, लेकिन आंकड़े बताते हैं कि पिछले एक दशक के दौरान किए विभिन्न प्रयासों से इसमें 25 प्रतिशत तक की कमी आई है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़े और पर्यावरण पर काम करने वाली एजेंसियों के विश्लेषण बताते हैं कि साल दर साल दिल्ली की हवा में सुधार हो रहा है।

कुछ समय पूर्व सीपीसीबी द्वारा 38 मानिटरिंग स्टेशनों के आंकड़ों के आधार पर संसद में पेश की गई एक रिपोर्ट में बताया गया था कि 2012 से 2014 के बीच पीएम 2.5 का स्तर 154 था, जो 2016 से 2018 के बीच में घटकर 115 रह गया। यानी पीएम 2.5 के स्तर में 25 प्रतिशत की कमी आई है। इसी तरह से 2011 से 2014 के बीच हर साल करीब 40 दिन प्रदूषण के लिहाज से सबसे खतरनाक श्रेणी में होते थे, जो अब घटकर 15 से भी कम रह गए हैं।

कोरोना के बाद प्रदूषण में कमी

हाल ही में जारी सेंटर फार साइंस एंड एन्वायरमेंट (सीएसई) के एक विश्लेषण से सामने आया कि दिल्ली में सर्दी के दौरान औसत पीएम (Particulate Matter) 2.5 प्रदूषण महामारी से पहले के मुकाबले 20 प्रतिशत घट गया है। विश्लेषण के दौरान दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में एक जनवरी 2015 से लगातार सर्दी के सात मौसमों और सर्दी पूर्व के रुझानों को शामिल किया गया।

कई शोध में प्रदूषण के कणों में कमी की पुष्टि

81 मानिटरिंग स्टेशनों से उपलब्ध ‘रियल टाइम डाटा’ पर आधारित इस रिपोर्ट के मुताबिक महामारी से पहले सर्दी (एक अक्टूबर से 28 फरवरी) के दौरान पीएम 2.5 सांद्रता प्रति घन मीटर 180-190 माइक्रोग्राम तक बढ़ जाती थी। अब घटकर प्रति घन मीटर 150 से 160 माइक्रोग्राम तक रह गई है। काउंसिल आन एनर्जी, एन्वायरनमेंट एंड वाटर (सीईईडब्ल्यू) के एक अध्ययन ‘इंप्रूविंग एयर क्वालिटी मैनेजमेंट थ्रू फॉरकास्ट्स: अ केस स्टडी आफ दिल्लीज एयर पाल्यूशन आफ विंटर 2021’ में भी इसकी पुष्टि हुई है।

इस रिपोर्ट के अनुसार, पूर्वानुमान प्रणालियों ने दिल्ली में अत्यधिक गंभीर वायु प्रदूषण वाले दिनों को रोकने में मदद की। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि इन पूर्वानुमानों के आधार पर बिजली संयंत्रों के संचालन, निर्माण गतिविधियों व ट्रकों की आवाजाही पर रोक लगाने जैसे अल्पकालिक आपातकालीन उपायों को अपनाया गया।

स्माग टावर से भी मिला फायदा

दिल्ली सरकार द्वारा कनाट प्लेस के बाबा खडग सिंह मार्ग पर लगाया गया स्माग टावर भी हवा को थोड़ा बहुत साफ करने में मदद कर रहा है। 50 मीटर के दायरे में यह 70 से 80 प्रतिशत तक प्रदूषण कम कर रहा है जबकि 300 मीटर के दायरे में इसका प्रभाव 15 से 20 प्रतिशत तक है। सीपीसीबी द्वारा आनंद विहार में लगाया गया स्माग टावर हवा को 17 प्रतिशत तक साफ कर रहा है।

पर्यावरण मंत्री ने भी किया दावा

दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि पहले की तुलना में स्थिति में लगातार सुधार हुआ है। 10 साल पहले दिल्ली में पीएम 10 का सालाना स्तर 365 था जबकि अब यह 40 प्रतिशत घटकर 221 रह गया है। दिल्ली का ओवर आल प्रदूषण भी 25 प्रतिशत तक कम हुआ है। दिल्ली सरकार स्थानीय प्रदूषण की रोकथाम को लेकर लगातार कदम उठा रही है। आइआइटी कानपुर के साथ प्रदूषण के रियल टाइम स्त्रोतों की जानकारी पता लगाने के लिए एक अनुबंध किया गया है। जल्द ही इसकी रिपोर्ट भी मिली शुरू हो जाएगी। ग्रेप के नियमों से भी फायदा मिला है।

जमीनी स्तर पर योजनाओं के क्रियान्वयन की जरूरत

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पूर्व अपर सचिव दीपांकर साहा ने बताया कि इसमें कोई संदेह नहीं कि समन्वित प्रयासों के कारण पिछले एक दशक में स्थिति सुधरी है। लेकिन अभी लंबा सफर तय करना शेष है। समस्या यह है कि नियम और योजनाएं तो बहुत हैं, जबकि जमीनी स्तर पर क्रियान्वयन कम नजर आता है। प्रदूषण से जंग जनांदोलन भी नहीं बन पा रही है। इस जंग में सभी का सहयोग अपेक्षित है।

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