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Delhi Air Pollution: लॉकडाउन में प्रदूषण घटा, मगर एक्यूआइ सामान्य से ज्यादा रहा

Delhi Air Pollution टेरी संस्था की ओर से मंगलवार के रोज एक वेबिनार के दौरान ‘असेसमेंट ऑफ एयर क्वालिटी ड्यूरिंग लॉकडाउन इन दिल्ली’ रिपोर्ट जारी की गई। यह रिपोर्ट ब्लूमबर्ग फिलॉन्थ्रीपीज के सहयोग से तैयार की गई है।

By Edited By: Updated: Wed, 03 Feb 2021 11:31 AM (IST)
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क्षेत्रीय स्तर के प्रदूषण ने भी पीएम 2.5 के स्तर को बढ़ाने में मुख्य योगदान दिया।

नई दिल्ली। लॉकडाउन के दौरान दिल्ली में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के 32 मॉनीटरिंग स्टेशनों का सांख्यिकीय विश्लेषण बताता है कि वर्ष 2020 में 2019 के मुकाबले पीएम 2.5 में 43 जबकि नाइट्रोजन ऑक्साइड में 61 फीसद की कमी दर्ज हुई है। ये गिरावट दिल्ली के वायुमंडल में हवा की रफ्तार कम होने के बावजूद दर्ज की गई। हालांकि द एनर्जी एंड रिसोर्स इंस्टीटयूट (टेरी) की ओर से 45 दिनों की निगरानी अवधि के दौरान दिल्ली में लोधी रोड, पटेल नगर और लक्ष्मी नगर में अपने तीन मॉनीटरिंग स्टेशनों में किए गए अध्ययन में पता चला कि पीएम 2.5 और नाइट्रोजन ऑक्साइड के स्तर में उल्लेखनीय कमी आई है, लेकिन वायुमंडल में पीएम 2.5 की मात्र इन तीनों स्टेशनों में अपने सामान्य स्तर 31-60 फीसद को पार करती रही।

टेरी की ओर से मंगलवार को एक वेबिनार के दौरान ‘असेसमेंट ऑफ एयर क्वालिटी ड्यूरिंग लॉकडाउन इन दिल्ली’ रिपोर्ट जारी की गई। यह रिपोर्ट ब्लूमबर्ग फिलॉन्थ्रीपीज के सहयोग से तैयार की गई है। रिपोर्ट के मुताबिक पीएम 2.5 के सामान्य स्तर से अधिक रहने की मुख्य वजह बायोमास को जलाना बताया गया है। दिल्ली में लॉकडाउन के दौरान उद्योगों से होने वाले क्षेत्रीय स्तर के प्रदूषण ने भी पीएम 2.5 के स्तर को बढ़ाने में मुख्य योगदान दिया। इसलिए वायु प्रदूषण की समस्या के हल के लिए एयरशेड आधारित दृष्टिकोण को अपनाने की आवश्यकता है।

इस मौके पर टेरी के महानिदेशक डॉ. अजय माथुर ने कहा, जब तक क्षेत्रीय स्नोतों के प्रदूषण को नहीं खत्म करेंगे तब तक दिल्ली में वायु गुणवत्ता के मानकों को प्राप्त नहीं किया जा सकता है। अर्थ साइंस एंड क्लाइमेट चेंज डिवीजन के निदेशक डॉ. सुमित शर्मा ने कहा कि लाकडाउन और गर्मियों में हानिकारक प्रदूषकों के वायुमंडल में दूर-दूर फैले होने के बावजूद अधिकांश दिनों में प्रदूषण का स्तर निर्धारित मानक से कहीं अधिक था। इसलिए केवल शहर की योजनाओं पर ध्यान केंद्रित करना पर्याप्त नहीं होगा, हमें देश में क्षेत्रीय स्तर की वायु गुणवत्ता प्रबंधन योजनाओं की तैयारी और क्रियान्वयन भी शुरू करना होगा।

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