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Viral Fever: दिल्ली वालों को डरा रहा पोस्ट वायरल कफ और स्वाइन फ्लू, गंभीर मरीजों के फेफड़े में दिख रहे कोरोना जैसे पैचेज

मौसम भी बदल रहा है। अगले करीब एक माह तक स्वाइन फ्लू का संक्रमण होने का खतरा अधिक हो सकता है। फेफड़े में संक्रमण व निमोनिया के कारण कई मरीजों को आइसीयू में भी भर्ती करने की जरूरत पड़ रही है। सीटी स्कैन जांच में फेफड़े में कोरोना जैसे पैचेज दिखते हैं लेकिन कोरोना नहीं होता। जांच कराने पर ज्यादातर स्वाइन फ्लू से पीड़ित पाए जा रहे हैं।

By Ranbijay Kumar Singh Edited By: Abhishek Tiwari Updated: Wed, 21 Feb 2024 12:39 PM (IST)
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Viral Fever: दिल्ली वालों को डरा रहा पोस्ट वायरल कफ और स्वाइन फ्लू

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। दो सप्ताह से अधिक समय तक यदि खांसी रहे तो इसे टीबी के संदेह से देखा जाने लगता है, लेकिन इन दिनों दिल्ली में पोस्ट वायरल कफ व स्वाइन फ्लू का प्रकोप लोगों परेशान कर रहा है। इसमें वायरल बुखार ठीक होने के चार-पांच दिनों बाद लोगों में तेज खांसी व हल्का बुखार देखा जा रहा है और खांसी लंबे समय तक चल रही है।

डॉक्टर बताते हैं कि कई लोगों के फेफड़े में गंभीर संक्रमण भी देखा जा रहा है। डॉक्टरों का कहना है कि मौसम भी बदल रहा है। अगले करीब एक माह तक स्वाइन फ्लू का संक्रमण होने का खतरा अधिक हो सकता है। इसलिए लोगों को सतर्क रहना जरूरी है।

एक होने पर चपेट में आ रहे परिवार के सभी सदस्य

शालीमार बाग स्थित फोर्टिस अस्पताल के पल्मोनरी मेडिसिन के विशेषज्ञ डॉ. विकास मौर्या ने बताया कि इन दिनों बहुत लोग वायरल बुखार और खांसी से पीड़ित हो रहे हैं। जांच कराने पर बहुत लोग स्वाइन फ्लू से संक्रमित पाए जा रहे हैं। किसी एक को बुखार व खांसी होने पर परिवार परिवार के सभी सदस्य इसकी चपेट में आ रहे हैं।

ठीक होने के चार-पांच दिनों बाद दोबारा हल्का बुखार

यह देखा जा रहा है कि बुखार ठीक होने के चार-पांच दिनों बाद दोबारा हल्का बुखार और तेज सूखी खांसी हो रही है। इससे कई मरीज गंभीर रूप से भी बीमार हो रहे हैं। बुजुर्ग, अस्थमा, सीओपीडी (क्रोनिक आब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज) सहित विभिन्न पुराने रोगों से पीड़ित मरीजों में बीमारी अधिक गंभीर देखी जा रही है।

ज्यादातर स्वाइन फ्लू से पीड़ित

फेफड़े में संक्रमण व निमोनिया के कारण कई मरीजों को आइसीयू में भी भर्ती करने की जरूरत पड़ रही है। सीटी स्कैन जांच में फेफड़े में कोरोना जैसे पैचेज दिखते हैं, लेकिन कोरोना नहीं होता। जांच कराने पर ऐसे लोगों में ज्यादातर स्वाइन फ्लू से पीड़ित पाए जा रहे हैं।

स्वाइन फ्लू के इलाज के लिए कारगर एंटीवायरल दवा मौजूद होने से मरीज जल्दी ठीक भी हो रहे हैं। गंगाराम अस्पताल के चेस्ट मेडिसिन के विशेषज्ञ डॉ. बाबी भालोत्रा ने बताया कि पोस्ट वायरल कफ के कारण लोगों को लंबे समय तक दवा लेने की जरूरत पड़ रही है।

पोस्ट वायरल कफ और स्वाइन फ्लू के संक्रमण के मद्देनजर जरूरी है कि यदि किसी को खांसी हो परिवार के अन्य सदस्यों को उससे अलग रहना चाहिए। खासतौर पर यदि परिवार में बुजुर्ग व सांस के पुराने मरीज हों तो उनके पास खांसी करने वाले लोगों को नहीं जाना चाहिए।