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Delhi Assembly Elections: दिल्ली चुनाव से पहले सियासत तेज, इस बार क्या होंगे चुनावी मुद्दे?

दिल्ली विधानसभा चुनाव में बिजली और पानी एक बार फिर बड़ा मुद्दा बनने जा रहा है। आम आदमी पार्टी ने अपने चुनावी वादे के मुताबिक 200 यूनिट तक मुफ्त बिजली और 2000 लीटर मुफ्त पानी देने का एलान किया था। लेकिन इस बार गर्मी के मौसम में दिल्ली में जल संकट होने से भाजपा को उसे घेरने का मौका मिल गया है।

By Santosh Kumar Singh Edited By: Abhishek Tiwari Updated: Sun, 10 Nov 2024 08:02 AM (IST)
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भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा और आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल। फाइल फोटो
संतोष कुमार सिंह, नई दिल्ली। दिल्ली में वर्षों से बिजली व पानी चुनावी मुद्दा बनता रहा है। निश्शुल्क बिजली-पानी को मुद्दा बनाकर आम आदमी पार्टी दिल्ली की सत्ता तक पहुंची है। अब विरोधी पार्टियां उसे बिजली-पानी के मुद्दे पर घेरने में जुट गई हैं। भाजपा इसे लेकर अधिक मुखर है। वह आप सरकार पर बिजली वितरण कंपनियों (डिस्काम) को लाभ पहुंचाने और शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने में विफल होने का आरोप लगा रही है।

दिल्ली में 200 यूनिट बिजली मिलती है मुफ्त

वर्ष 2015 में सत्ता में आने के बाद आप ने अपने चुनावी वादे को पूरा करते हुए प्रति माह 200 यूनिट तक निश्शुल्क बिजली और दो हजार लीटर निश्शुल्क पानी देने की घोषणा की थी। इसे वह अपनी सफलता बताते हुए दूसरे राज्यों में भी इसे प्रचारित करती है।

भाजपा ने पेयजल की समस्या को बनाया मुद्दा

उसका दावा है कि सिर्फ आम आदमी पार्टी की सरकार ही निश्शुल्क बिजली व पानी दे रही है। परंतु, इस बार गर्मी के मौसम में दिल्ली में जल संकट होने से भाजपा को उसे घेरने का मौका मिल गया है। लोकसभा चुनाव में भाजपा ने इसे बड़ा मुद्दा बनाया था। इस समय भी यमुना में अमोनिया की मात्रा बढ़ने से अक्सर दिल्ली में पेयजल की समस्या हो रही है।

केजरीवाल ने किया पानी का बिल माफ करने का वादा

पेयजल आपूर्ति व दूषित पेयजल की समस्या के साथ ही उपभोक्ता पानी का अधिक बिल भेजने की शिकायत कर रहे हैं। भाजपा इसे फिर से चुनावी मुद्दा बनाने में लगी हुई है। पार्टी के नेता बयानबाजी करने के साथ ही सोशल मीडिया पर इसे लेकर अभियान चला रहे हैं। इसकी गंभीरता को देखते हुए आप संयोजक अरविंद केजरीवाल अपनी पदयात्रा में लोगों से पानी का बढ़ा हुआ बिल जमा नहीं करने और दोबारा सत्ता में आने पर उसे माफ करने का वादा कर रहे हैं।

पानी के साथ ही बिजली पर भी खूब राजनीति हो रही है। भाजपा बिजली बिल पर पेंशन अधिभार, स्थायी शुल्क, बिजली खरीद समायोजन शुल्क लगाने का विरोध कर रही है। उसका आरोप है कि बिजली कंपनियों को लाभ पहुंचाने के लिए उपभोक्ताओं पर बोझ बढ़ा रही है।

सरकार को कठघरे में खड़ा कर रही भाजपा

अब डिस्काम की नियामक परिसंपत्ति 21 हजार करोड़ रुपये तक पहुंचने और बीएसईएस की दोनों कंपनियों पर दिल्ली सरकार के बिजली उत्पादन संयंत्रों का 26638 करोड़ से अधिक का बकाया होने को लेकर आप सरकार को कठघरे में खड़ा कर रही है।

भाजपा नेता इसमें भ्रष्टाचार का आरोप लगाकर कैग जांच की मांग कर रहे हैं। दिल्ली प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा का कहना है कि वह उपराज्यपाल से मिलकर डिस्काम के 10 वर्ष के खातों की जांच की मांग करेंगे।

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