दिल्ली में हार का ठीकरा AAP पर फोड़ने की तैयारी, मल्लिकार्जुन खरगे को फाइंडिंग समिति जल्द सौंपेगी रिपोर्ट
कांग्रेस के लोकसभा चुनाव के तीनों प्रत्याशियों ने समिति को ये भी बताया है कि चुनाव प्रचार के दौरान आप ने उनका समर्थन नहीं किया। हालांकि समिति ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा है कि तीनों ही उम्मीदवारों ने कांग्रेस कैडर के साथ अच्छा व्यवहार नहीं दिया। इस वजह से उम्मीदवारों को अपने ही कैडर की नाराजगी का भी सामना करना पड़ा।
संजीव गुप्ता, नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव के दौरान दिल्ली में कांग्रेस की हार का ठीकरा अब पार्टी आप के सिर फोड़ने की तैयारी कर रही है। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) द्वारा गठित दो सदस्यीय फैक्ट फाइंडिंग समिति ने आप से गठबंधन में अपने तीनों प्रत्याशियों और प्रदेश के कई वरिष्ठ नेताओं से मिले फीडबैक पर रिपोर्ट तैयार कर ली है। बहुत ही जल्द यह रिपोर्ट कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को सौंपी जाएगी। इस रिपोर्ट में मुख्य रूप से यही तथ्य सामने रखा गया है कि कांग्रेस को आप का वोट मिला ही नहीं।
सांसद रजनी पाटिल और पूर्व सांसद पीएल पूनिया की इस समिति के समक्ष लोकसभा चुनाव में पार्टी उम्मीदवार रहे उदित राज, जेपी अग्रवाल और कन्हैया कुमार ने आरोप लगाया है कि कांग्रेस को अपने वोट दिलवा पाने में आप विफल रही।
आप ने कांग्रेस प्रत्याशियों का समर्थन नहीं किया
तीनों नेताओं ने समिति को ये भी बताया है कि चुनाव प्रचार के दौरान आप ने उनका समर्थन नहीं किया। हालांकि समिति ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा है कि तीनों ही उम्मीदवारों ने कांग्रेस कैडर के साथ अच्छा व्यवहार नहीं दिया। इस वजह से उम्मीदवारों को अपने ही कैडर की नाराजगी का भी सामना करना पड़ा। तीनों इसी उम्मीद में रहे कि आप उनकी जीत सुनिश्चित कर देगी।
दिल्ली में पहली बार कांग्रेस ने गठबंधन में लड़ा चुनाव
गौरतलब है कि दिल्ली के इतिहास में पहली बार कांग्रेस ने गठबंधन में कोई चुनाव लड़ा था। चार सीटों पर आप जबकि तीन सीटों पर कांग्रेस ने अपने उम्मीदवार उतारे थे। लेकिन सभी सीटों पर पराजय का सामना करना पड़ा। इससे कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं में भी खासी नाराजगी है, जो संभवतया समिति सदस्यों के सामने दर्ज कराई गई है। पार्टी नेताओं के मुताबिक कांग्रेस की हार के और भी कई कारण रहे हैं।
कांग्रेस प्रदेश इकाई आप से गठबंधन के खिलाफ
मसलन, प्रदेश इकाई बिल्कुल भी इस पक्ष में नहीं थी कि आप से गठबंधन किया जाए। उम्मीदवारों के चयन में भी प्रदेश इकाई की सिफारिशों को अनदेखा कर दिया गया। तत्कालीन प्रदेशाध्यक्ष अरविंदर सिंह लवली एवं पूर्व मंत्री राजकुमार चौहान सहित कई अन्य नेताओं ने इसके विरोध में पार्टी छोड़ने का निर्णय लिया तो भी परवाह नहीं की गई।
इसी सबके चलते इस बार कांग्रेस के स्थानीय नेताओं-कार्यकर्ताओं ने दिल से चुनाव में काम किया ही नहीं तो तीनों ही सीटों पर भितरघात भी खूब देखने को मिली। पार्टी ने 40 स्टार प्रचारकों की सूची जारी की, लेकिन 10 प्रतिशत प्रचारकों ने भी गंभीरता से अपना काम नहीं किया।
हमने अपनी रिपोर्ट तैयार कर ली है, लेकिन अभी राष्ट्रीय अध्यक्ष को सौंपी नहीं हैै। उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश की रिपोर्ट के साथ जल्द ही उन्हें सौंप दी जाएगी। सभी से फीडबैक लेकर ही रिपोर्ट तैयार की गई है। - रजनी पाटिल, राज्यसभा सदस्य एवं सदस्य, फैक्ट फाइंडिंग समिति