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    Delhi: DU के 99वें दीक्षा समारोह में राष्ट्रपति ने लिया हिस्सा, बोलीं- नए भारत के लिए बड़े सपने देखें छात्र

    By Rahul ChauhanEdited By: Abhi Malviya
    Updated: Sat, 25 Feb 2023 11:39 PM (IST)

    राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने विद्यार्थियों से आह्वान किया कि वे नए भारत और नए विश्व के निर्माण के लिए बड़े सपने देखें। उन्होंने कहा कि जीवन में बड़ा बनना अच्छी बात है लेकिन अच्छा होना इससे भी बड़ी बात है।

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    DU के 99वें दीक्षा समारोह में राष्ट्रपति ने लिया हिस्सा

    नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने विद्यार्थियों से आह्वान किया कि वे नए भारत और नए विश्व के निर्माण के लिए बड़े सपने देखें। उन्होंने कहा कि जीवन में बड़ा बनना अच्छी बात है, लेकिन अच्छा होना इससे भी बड़ी बात है। राष्ट्रपति दिल्ली विश्वविद्यालय के 99वें दीक्षा समारोह को बतौर मुख्यातिथि संबोधित कर रहीं थीं।

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    राष्ट्रपति ने कहा कि विज्ञान के माध्यम से मंगल पर जीवन की खोज करना अच्छी बात है, लेकिन अच्छी सोच यानी विवेक के साथ जीवन में मंगल की खोज करना और भी बड़ी बात है। उन्होंने डिग्री और मेडल पाने वाले विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि आपके विचार का दायरा और जिम्मेवारी कहीं अधिक होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हम सभी भाषाओं और संस्कृतियों का आदर करें, लेकिन अपनी जड़ों से हमेशा जुड़े रहें। जड़ों से ही संजीवनी और सृजनशीलता मिलती है।

    दीक्षा समारोह का आयोजन शनिवार को डीयू के खेल परिसर स्थित बहुद्देशीय सभागार में किया गया था। समारोह के सम्मानित अतिथि के रूप में केंद्रीय शिक्षा एवं कौशल विकास व उद्यमिता मंत्री धर्मेंद्र प्रधान भी उपस्थित रहे। तबीयत खराब होने के चलते प्रधान ने समारोह को संबोधित नहीं किया। समारोह की अध्यक्षता डीयू के कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने की।

    राष्ट्रपति ने सुनाया संस्मरण

    इस अवसर पर अपने जीवन के संस्मरण ताजा करते हुए मुर्मु ने कहा कि मैं ओडिशा के अपने छोटे से गांव से शहर जाकर पढ़ने वाली अपने गांव की पहली लड़की थी। आप में से भी कई ऐसे विद्यार्थी होंगे जिनके परिवार या गांव से उनसे पहले किसी ने विश्वविद्यालय स्तर की शिक्षा प्राप्त नहीं की होगी। ऐसे विद्यार्थी बहुत प्रतिभावान और संघर्षशील होते हैं। ये बड़े उत्साह के साथ अपने सपनों को पूरा करने के लिए यहां आते हैं। उन्होंने कहा कि यह खुशी की बात है कि आज मुझसे पदक प्राप्त करने वाले छह विद्यार्थियों में से तीन विद्यार्थी दिव्यांग हैं। शैक्षणिक सत्र 2022-23 में स्नातक में दाखिला लेने वाले विद्यार्थियों में 52 प्रतिशत संख्या हमारी बेटियों की है। मुझे यह देखकर भी प्रसन्नता हुई है कि उपाधि और मेडल पाने वाले विद्यार्थियों में भी लड़कियों की संख्या लड़कों से अधिक है। इस बदलाव में हमें एक नये विकसित और समावेशी भारत की तस्वीर दिखाई देती है।

    एक क्लिक से एक लाख 54 हजार 750 विद्यार्थियों को मिली डिजिटल डिग्री

    डीयू के दीक्षा समारोह में कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने टैब पर क्लिक करके एक साथ एक लाख 54 हजार 750 विद्यार्थियों को डिजिटल डिग्री जारी की। उन्होंने बताया कि इस वर्ष स्नातक व स्नातकोत्तर विद्यार्थियों को कुल एक लाख 57 हजार 290 डिग्रियांं प्रदान की गई हैं, जिनमें 54.7 प्रतिशत महिला और 45.3 प्रतिशत पुरुष विद्यार्थी शामिल हैं।

    पीएचडी की डिग्रियों को लेकर बना रिकार्ड

    समारोह में 910 विद्यार्थियों को पीएचडी की डिग्री भी प्रदान की गई, जिनमें 512 महिला और 398 पुरुष विद्यार्थी हैं। पीएचडी डिग्रियों के आंकड़े को लेकर कुलपति ने बताया कि डीयू और भारत के इतिहास में एक साथ इतनी पीएचडी डिग्री दिया जाना यह अब तक की सर्वाधिक संख्या है। उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष विश्वविद्यालय ने 802 पीएचडी डिग्रियां देकर तब भी रिकार्ड बनाया था। समारोह के दौरान कुल 170 विद्यार्थियों को मेडल व पुरस्कार प्रदान किए गए जिनमें 51 पुरुष और 119 महिला विद्यार्थी शामिल हैं। चिकित्सा क्षेत्र में डीएम, एम.सीएच के 47 विद्यार्थियों को भी इस अवसर पर डिग्री प्रदान की गई।

    राष्ट्रपति ने इन विद्यार्थियों पहनाए पदक

    दीक्षा समारोह में राष्ट्रपति ने अपने हाथों से चार विद्यार्थियों को पदक पहनाए। इनमें मेधा चौहान को डा. शंकर दयाल शर्मा (भारत के पूर्व राष्ट्रपति) गोल्ड मेडल, एमएससी नर्सिंग के लिए आसवथी एमयू को राष्ट्रपति गोल्ड मेडल व पायल काजला को बीएससी (आनर्स) नर्सिंग में राष्ट्रपति सिल्वर मेडल तथा बीएससी (आनर्स) नर्सिंग के लिए श्रदा विश्वनाथन पुरस्कार प्रदान किया गया। तनिश सोनी को राष्ट्रपति के हाथों आर्ट्स स्ट्रीम में कुलपति गोल्ड मेडल प्रदान किया गया।

    डीयू का कुलगीत भी हुआ लांच

    दीक्षा समारोह के दौरान कुलपति प्रो. योगेश सिंह द्वारा दिल्ली विश्वविद्यालय के शताब्दी वर्ष में तैयार करवाया गया कुलगीत भी जारी किया गया। कुलगीत को कवि गजेंद्र सोलंकी द्वारा लिखा और स्वरबद्ध किया गया है। इस अवसर पर शताब्दी स्मारक लोगो वाल्यूम भी जारी किया गया।