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Delhi: बढ़ सकती हैं सूर्या विनायक इंडस्ट्रीज की मुश्किलें, 29 करोड़ के बैंक धोखाधड़ी मामले की जांच करेगी CBI

29 करोड़ रुपये की बैंक धोखाधड़ी के मामले में सूर्या विनायक इंडस्ट्रीज लिमिटेड और उसके निदेशकों के खिलाफ दर्ज दिल्ली पुलिस की एफआइआर को सीबीआइ ने अपने कब्जे में ले लिया है। अब सीबीआइ इस मामले की जांच करेगी। पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा में यह मामला दर्ज है। फर्म पर सिंगापुर स्थित एक फर्म के माध्यम से कृषि सामान खरीदने के बहाने सिंगापुर में पैसे भेजने का आरोप है।

By Rakesh Kumar SinghEdited By: Abhi MalviyaUpdated: Mon, 24 Jul 2023 12:50 AM (IST)
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29 करोड़ के बैंक धोखाधड़ी के मामले में CBI करेगी जांच

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। 29 करोड़ रुपये की बैंक धोखाधड़ी के मामले में सूर्या विनायक इंडस्ट्रीज लिमिटेड और उसके निदेशकों के खिलाफ दर्ज दिल्ली पुलिस की एफआईआर को सीबीआई ने अपने कब्जे में ले लिया है। अब सीबीआई इस मामले की जांच करेगी।

दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा में यह मामला दर्ज है। फर्म पर सिंगापुर स्थित एक फर्म के माध्यम से कृषि सामान खरीदने के बहाने सिंगापुर में पैसे भेजने का आरोप है। 2013 में इंडस इंड बैंक द्वारा सूर्या विनायक इंडस्ट्रीज लिमिटेड और उसके निदेशकों के खिलाफ 29.92 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी करने की शिकायत दर्ज कराई गई थी। एफआईआर 2016 में दर्ज की गई थी। बाद में फरवरी 2023 में वित्त मंत्रालय के वित्तीय सेवा विभाग ने सीबीआई को जांच संभालने का निर्देश दिया। 

वित्तीय अनुशासन बनाने में विफर रही कंपनी

एफआईआर में कहा गया है कि कंपनी को बैंकों द्वारा स्वीकृत कुल क्रेडिट सुविधाएं 1,400 करोड़ रुपये की थीं, जिसमें से आवेदक बैंक द्वारा क्रेडिट सीमा का हिस्सा 41.70 करोड़ रुपये था, लेकिन कंपनी वित्तीय अनुशासन बनाए रखने में विफल रही और मंजूरी की शर्तों और लोन दस्तावेजों का उल्लंघन किया।

कंपनी को बैंक द्वारा दी गई पैकिंग क्रेडिट विदेशी मुद्रा सुविधा के संबंध में कंपनी के निर्यात पैकिंग क्रेडिट खाते में 2012 में 40,14,614.34 अमेरिकी डॉलर की बकाया राशि थी।

उक्त बकाया राशि को कंपनी द्वारा निर्यात साख पत्र और निर्यात दस्तावेज़ प्रस्तुत करके समाप्त किया जाना था, लेकिन कंपनी जानबूझकर उक्त बकाया राशि को समाप्त करने में विफल रही। 25,19,93,895.84 रुपये के बराबर 40,14,614.34 अमेरिकी डॉलर का उक्त डेबिट शेष 2012 में क्रिस्टलीकृत किया गया था और इंडस इंड बैंक के साथ बनाए गए कंपनी के एक अलग कैश क्रेडिट खाते में डेबिट किया गया था। बैंक ने पाया कि कंपनी सिंगापुर स्थित फर्म लुइस ड्रेफस कमोडिटीज प्राइवेट लिमिटेड के साथ काम कर रही थी।