नजरअंदाज न करें पल्मोनरी एंबोलिज्म के लक्षणों को, डॉक्टर से जानें लक्षण और उपचार
नई दिल्ली के इंद्रप्रस्थ अपोलो हास्पिटल के सीनियर वैस्कुलर एंड कार्डियो थोरेसिक सर्जन डा. के. के. पांडेय ने बताया कि फेफड़ों की रक्त नलिकाओं के अवरुद्ध होने पर बनती है पल्मोनरी एंबोलिज्म की स्थिति। इसलिए लक्षणों की न करें अनदेखी और समय पर कराएं उपचार...
नई दिल्ली, जेएनएन। अस्पताल में भर्ती मरीज की सेहत में सुधार हो रहा था, लेकिन अचानक हालत बिगड़ी और मौत हो गई। टांगों में दो-तीन दिन सूजन व दर्द की परेशानी रही और व्यक्ति की मौत हो गई या शिशु को जन्म देने के बाद प्रसूता स्वस्थ थी, लेकिन घबराहट हुई और मौत हो गई। ऐसे मामले अक्सर सुनने में आते हैं।
प्रारंभिक कारणों की बात की जाए तो यही पता चलता है कि सब कुछ ठीक था, बस तेजी से सांस उखड़ी और कुछ मिनटों में जान चली गई। यह सच है कि जब धड़कनें थमेंगी मौत तभी होगी, लेकिन इनके थमने का कारण क्या रहा? इसका वास्तविक कारण था, ‘पल्मोनरी एंबोलिज्म’, जो कि एक मेडिकल स्टेज है। पल्मोनरी एंबोलिज्म का मतलब है, फेफड़ों की रक्त नलिकाओं का अवरुद्ध हो जाना।
किन लोगों को है खतरा: कुछ लोगों के रक्त में जन्म से ही प्रोटीन ‘सी,’ व ‘एस,’ ‘एंटी थ्रोंबिन 3’ और फैक्टर वी लीडेन की मात्रा कम होती है। ये रक्त को गाढ़ा नहीं होने देते हैं। इनके अभाव में रक्त जल्दी गाढ़ा होकर थक्का बनाता है। इससे पल्मोनरी एंबोलिज्म के खतरे की आशंका बनी रहती है। इसके अतिरिक्त निम्न लोगों में भी इसका खतरा बना रहता है:
- कैंसर रोगी
- अधिक मोटे लोग जो बहुत कम पैदल चलते हैं
- शल्य चिकित्सा या जिन लोगों को गंभीर चोट लग चुकी हो
- गर्भ निरोधक दवाओं का सेवन करने वाली महिलाएं
- प्रसव से तीन-चार सप्ताह पहले या बाद का समय बिता रहीं महिलाएं
- अधिक समय तक आइसीयू में रहे मरीज
इसे जरूर करें
- वजन नियंत्रित रखें
- मादक पदार्थों के सेवन से बचें
- योग व मेडीटेशन अवश्य करें
- मार्निंग वाक करें
- अधिक मसालेदार व तैलीय भोजन न करें
- कोलेस्ट्राल की जांच करवाते रहें
- कामकाजी लोग एक घंटे से अधिक एक जगह पर न बैठें
उपचार: अधिसंख्य मामलों में पल्मोनरी एंबोलिज्म का शिकार होने से पहले इसका पता नहीं चल पाता है, लेकिन अगर लक्षणों को गंभीरता से लिया जाए तो इसके खतरे को टाला जा सकता है। यदि पैरों में अचानक सूजन आए और सांस लेने में तकलीफ हो तो तत्काल चिकित्सक से संपर्क करें। इसके अलावा यदि कैंसर रोगी, मोटापे से ग्रसित व्यक्ति और प्रसूता को अचनाक सांस की तकलीफ होती है तो पूरी संभावना है कि यह पल्मोनरी एंबोलिज्म है। चिकित्सक इसमें रक्त को पतला करने व फेफड़ों को मजबूती प्रदान करने वाली दवाओं का प्रयोग करते हैं। इसके जटिल मामलों में सर्जरी करके फेफड़ों को रक्त पहुंचाने वाली नलिकाओं में आए अवरोध को ठीक किया जाता है।