Purana Qila Excavation: 1954 और 1970 के खोदाई स्थल होंगे संरक्षित, पांडवों की इंद्रप्रस्थ खोजने का प्रयास
Purana Qila Excavation पांडवों की राजधानी इंद्रप्रस्थ को खोजने के लिए पुराने किले में 1954-55 और 1969 से 1973 तक हुई खोदाई के स्थलों को संरक्षित किया जाएगा। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने ये फैसला लिया है। इसके लिए जल्द सर्वे शुरू होने जा रहा है।
By V K ShuklaEdited By: GeetarjunUpdated: Wed, 18 Jan 2023 12:13 AM (IST)
नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो। पांडवों की राजधानी इंद्रप्रस्थ को खोजने के लिए पुराने किले में 1954-55 और 1969 से 1973 तक हुई खोदाई के स्थलों को संरक्षित किया जाएगा। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने ये फैसला लिया है। इसके लिए जल्द सर्वे शुरू होने जा रहा है। इसके बाद संरक्षण का काम शुरू होगा।
एएसआई के दिल्ली मंडल के अधीक्षण पुरातत्वविद प्रवीण सिंह ने कहा कि इसके लिए काम किया जा रहा है। अब इस योजना में थोड़ा बदलाव किया गया है। पहले इन दोनों खोदाई स्थलों को पूरी तरह से संरक्षित कर इन पर टीन शेड डालने की योजना थी। अब नई योजना में पूरे भाग की जगह, केवल एक भाग पर ही टीन शेड लगेगा।
खोदाई की तह तक जाकर निकलेगी मिट्टी
यहां पूर्व में हुई खोदाई की तह तक जाकर मिट्टी निकाली जाएगी। साथ ही खोदाई स्थल की सभी परतों को ऐसे चिह्नित किया जाएगा, जिससे उसकी प्रामाणिकता बची रहे। इससे यहां आने वाले पर्यटकों को खोदाई के संदर्भ में समझाया जा सकेगा। पुराना किला में खोदाई स्थलों के संरक्षण कार्य की योजना 2019 में बनाई गई थी।कोरोना की वजह से रुकी खोदाई
योजना पर काम शुरू हो पाता, इससे पहले ही मार्च 2020 में कोरोना महामारी फैलने से योजना रुक गई थी। योजना का मकसद खोदाई स्थलों को संरक्षित करना था। उस समय खोदाई स्थल के संरक्षण का कार्य नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन को दिया गया था। एनबीसीसी और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण मिल कर काम कर रहे थे।
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खोदाई के भाग को किया जाएगा सरंक्षित
वर्तमान में एएसआई नई निविदा जारी करेगा या एनबीसीसी को ही काम दिया जाए, इस पर विचार चल रहा है। खोदाई स्थल पर 150 मीटर लंबा और 50 मीटर चौड़ा भाग संरक्षित किया जाएगा। यहां टीन शेड ऐसा बनेगा, ताकि तेज आंधी या तूफान में भी इसे नुकसान नहीं पहुंचे। पर्यटकों के लिए यहां बेंच और सूचना बोर्ड भी लगेंगे।
सूचना बोर्ड पर 1954-55 और 1969 से 1972 में हुई खोदाई की पूरी जानकारी प्रदर्शित होगी। यह दोनों खोदाई एएसआइ के पूर्व महानिदेशक रहे पद्म विभूषण प्रो बीबी लाल द्वारा कराई गई थी। सूचना बोर्ड पर पुरातत्व के प्रति बीबी लाल के समर्पण की भी संक्षिप्त जानकारी होगी।
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