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Delhi: 300 से अधिक अस्पतालों में क्यूआर कोड आधारित ओपीडी पंजीकरण लागू, लंबी लाइन से मिलेगी निजात

यह पहल पिछले साल अक्टूबर में दिल्ली के लेडी हार्डिंग मेडिकल कालेज (एलएचएमसी) और सुचेता कृपलानी अस्पताल (एसएसकेएच) के नए ओपीडी ब्लॉक में ओपीडी ओपीडी पंजीकरण के लिए एक पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू की गई थी।

By Rahul ChauhanEdited By: Abhishek TiwariUpdated: Tue, 14 Feb 2023 07:41 AM (IST)
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Delhi: 300 से अधिक अस्पतालों में क्यूआर कोड आधारित ओपीडी पंजीकरण लागू
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन के तहत राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (एनएचए) ने तीन सौ से ज्यादा सरकारी अस्पतालों में क्यूआर कोड आधारित रैपिड ओपीडी पंजीकरण शुरू कर दिया है। इससे प्रतीक्षा का समय पचास मिनट से घटकर चार मिनट हो गया है।

एनएचए के अतिरिक्त सीईओ डा. बसंत गर्ग ने सोमवार को अपोलो अस्पताल के वार्षिक सम्मेलन अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य संवाद में यह बात कही। डा. गर्ग ने कहा कि हमने एक सिस्टम शुरू किया है, जिसमें हमने बड़े सरकारी अस्पतालों में ओपीडी पंजीकरण की प्रक्रिया को आसान बनाने की कोशिश की है। अब तक 347 अस्पतालों में करीब में चार लाख छह हजार लोगों ने इस सुविधा का लाभ उठाया है।

डा. गर्ग ने कहा कि दिल्ली एम्स और चंडीगढ़ पीजीआईएमईआर जैसे बड़े सरकारी अस्पतालों में ओपीडी पंजीकरण एक बड़ी समस्या है, क्योंकि मरीजों को डॉक्टर को दिखाने से पहले अपना पंजीकरण कराने के लिए घंटों कतार में खड़ा रहना पड़ता है।

उन्होंने बताया कि इस क्यूआर कोड से हम औसत प्रतीक्षा समय को पचास मिनट से घटाकर चार मिनट तक करने में सक्षम हुए हैं। इससे गर्भवती महिला, बुजुर्गों और रोगियों को सुविधा मिलेगी। एक घंटे कतार में खड़े होना भी एक तकलीफ है। मरीजों को पंजीकरण वाली खिड़की खुलने से दो घंटे पहले अस्पताल में आना पड़ता है।

बता दें कि यह पहल पिछले साल अक्टूबर में दिल्ली के लेडी हार्डिंग मेडिकल कालेज (एलएचएमसी) और सुचेता कृपलानी अस्पताल (एसएसकेएच) के नए ओपीडी ब्लॉक में ओपीडी ओपीडी पंजीकरण के लिए एक पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू की गई थी। अब इसे 347 अस्पतालों तक बढ़ा दिया गया है।

इस तरह होता है क्यूआर कोड से पंजीकरण

क्यूआर कोड-आधारित ओपीडी पंजीकरण सेवा मरीजों को अपने मोबाइल फोन के स्कैनर, आरोग्य सेतु एप या किसी अन्य सक्षम ऐप का उपयोग करके अस्पताल के क्यूआर कोड को स्कैन करने की सुविधा के साथ अपने प्रोफाइल डिटेल शेयर करने की अनुमति देती है। एक बार प्रोफाइल शेयर होने के बाद अस्पताल एक टोकन नंबर प्रदान करता है।

टोकन को रोगी के चयनित ऐप पर एक अधिसूचना के रूप में भेजा जाता है। साथ ही मरीजों की आसानी के लिए ओपीडी पंजीकरण काउंटर पर रखी गई स्क्रीन पर भी प्रदर्शित किया जाता है। अपने टोकन नंबर के अनुसार मरीज पंजीकरण काउंटर पर जा सकते हैं और सीधे डाक्टर के परामर्श के लिए अपनी ओपीडी पर्ची ले सकते हैं क्योंकि उनका विवरण पहले से ही पंजीकरण काउंटर पर मौजूद है।

बसंत गर्ग ने कहा कि हमने इसी तरह की बाधाओं की पहचान की है। जब कोई मरीज लैब की सर्विस के लिए जाता है और उसे वहां कतार में लगना पड़ता है। यहां तक कि सबसे अच्छे निजी अस्पतालों में छुट्टी में भी बहुत समय लगता है। हम इन पहलुओं पर काम कर रहे हैं। उन्होंने आगे बताया कि आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन के तहत 22 करोड़ से ज्यादा स्वास्थ्य रिकार्ड को आयुष्मान भारत स्वास्थ्य खातों (एबीएचए) से डिजिटल रूप से जोड़ा गया है।

स्वास्थ्य संवाद में मौजूद नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) परमेश्वरन अय्यर ने कहा कि कृत्रिम बुद्धिमता (आर्टीफिशियल इंटेलीजेंस) तकनीक व डिजिटल हेल्थ तकनीक से स्वास्थ्य सेवाओं में निरंतर सुधार हो रहा है। इसके साथ ही देश की स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए तकनीक व नवाचार भी अहम भूमिका निभा रहे हैं। आज डिजिटल हेल्थ की मदद से देश के दूरदराज इलाकों तक स्वास्थ्य सुविधाओं को पहुंचाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि देश में स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए सरकारी और निजी संस्थाओं को मिलकर काम करना होगा।

स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता के साथ डिजिटल हेल्थ को बढ़ावा दिया जा रहा है। टेलीमेडिसिन के साथ इलेक्ट्रॉनिक हेल्थ रिकॉर्ड से सुविधाओं को बेहतर किया जा सकता है। सरकार वन इंडिया और वन हेल्थ की दिशा में काम कर रही है। इस सम्मेलन में 30 देशों से दो हजार से अधिक लोगों ने भाग लिया।

सम्मेलन में एम्स, आइआइटी, आइएमए, विश्व स्वास्थ्य संगठन, जेसीआइ सहित 200 से अधिक वक्ताओं ने डिजिटल हेल्थ पर अपनी बात रखी। कार्यक्रम में अपोलो के समूह निदेशक डा. प्रताप सी रेड्डी ने कहा कि स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार के लिए आधुनिक तकनीकों के साथ कृत्रिम बुद्धिमता का उपयोग करने का प्रयास कर रहे हैं। कोरोना महामारी में डिजिटल हेल्थ के तकनीक से टेलीमेडिसिन द्वारा बहुत से मरीजों का इलाज करने में मदद मिली है।

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