Delhi: छावला सामूहिक दुष्कर्म-हत्या मामले में अभियुक्त राहुल की गिरफ्तारी पर उठे सवाल, जाने क्या है पूरा मामला
Chhawla Case गुरुग्राम से लौट रही उत्तराखंड की युवती का घर से कुछ दूरी पर अपहरण कर लिया गया था। अपहरण के 3 दिन बाद रेवाड़ी के एक खेत में युवती का क्षत-विक्षत शव मिला था। कोर्ट ने इस मामले में मौत की सजा पाए तीन लोगों को बरी कर दिया।
By Vineet TripathiEdited By: Abhishek TiwariUpdated: Tue, 08 Nov 2022 10:17 AM (IST)
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के नजफगढ़ के छावला क्षेत्र में 19 वर्षीय युवती से दुष्कर्म व हत्या के मामले (Chhawla Case) में मौत के सजायाफ्ता तीन लोगों को सोमवार को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया। साथ ही शीर्ष अदालत ने फैसले में कहा कि अगर इन लोगों के खिलाफ कोई अन्य केस नहीं है तो इन्हें तत्काल रिहा कर दिया जाए।
इंडिका कार में लड़की के अपहरण की सूचना
सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष का दूसरा अहम तथ्य 13 फरवरी 2012 को लाल रंग की इंडिका कार के साथ आरोपित राहुल की गिरफ्तारी है। अभियोजन पक्ष के अनुसार नौ फरवरी 2012 को राहत नौ बजकर 18 मिनट पर थाना छावला पुलिस को सूचना मिली थी कि हनुमान चौक कुतुब विहार के पास लाल रंग की टाटा इंडिका कार में एक लड़की का अपहरण कर लिया गया है।
सूचना पर मौके पर पहुंचे सिपाही राकेश ने शिकायतकर्ता सरस्वती के बयान के आधार प्राथमिकी की। 13 फरवरी को द्वारका सेक्टर-23 से एएसआइ राजिंद्र सिंह ने राहुल को पेश किया और बताया कि उसने राहुल को द्वारका सेक्टर-नौ मेट्रो स्टेशन के पास लाल रंग की टाटा इंडिका कार के पास टहलते हुए पकड़ा था। हालांकि, अदालत में अपने बयान में रजिंदर सिंह ने कहा था कि उसने कार चलाते हुए राहुल को देखा था, जोकि थोड़ा परेशान दिख रहा था।
नहीं हुई थी इंडिका कार की पहचान
जब उन्होंने कार के दस्तावेज मांगे तो वह दस्तावेज नहीं दिखा सका और उन्होंने उसे पकड़कर छावला थाना पुलिस को सौंप दिया। हालांकि, अभियोजन पक्ष द्वारा पेश किए गए गवाहों में से किसी ने भी घटना में इस्तेमाल की गई इंडिका कार की पहचान नहीं की थी। वहीं, शिकायतकर्ता सरस्वती ने भी अपनी जिरह में स्वीकार किया था कि वह निश्चित रूप से यह नहीं कह सकती थी कि यह वही कार थी, जिसमें पीड़िता का अपहरण किया गया था। यहां तक की किसी भी गवाह ने अपहरण में हस्तेमाल की गई कार कार नंबर नहीं देखा था।
अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष ने दलील दी कि अभियुक्त राहुल के बयान पर बीट सिपाही ने अन्य अभियुक्त विनोद व रवि को पकड़ा था और थाने लेकर आया था।हालांकि, उक्त बीट कांस्टेबल को निचली अदालत में अभियोजन द्वारा जांच नहीं किया गया।
पूरी कहानी संदेह के घेरे में
बीट कांस्टेबल की जांच न होने से आरोपितों की गिरफ्तारी की कहानी पर संदेह के बादल मंडराने लगे हैं क्योंकि सीआरपीसी की धारा-313 के तहत दर्ज आगे के बयानों में आरोपित राहुल ने कहा था कि रवि को उसके घर से उठाया गया था और जब रवि के बारे में पूछताछ के लिए राहुल पुलिस स्टेशन पहुंचा तो उसे भी गिरफ्तार कर लिया गया और कार को जब्त कर लिया गया। आरोपित विनोद और रवि ने भी कहा है कि उन्हें उनके घर से उठाया गया है। ऐसे में अभियुक्तों की गिरफ्तारी से लेकर कार को जब्त करने की पूरी कहानी संदेह के घेरे में है।
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