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Rabindranath Tagore Jayanti 2020: रवींद्रनाथ टैगोर का दिल्ली से था खास लगाव

Rabindranath Tagoreसेंट स्टीफंस कॉलेज के उप प्रधानाचार्य चॉल्र्स एंड्रयूज ने तो शांति निकेतन में रहने के लिए कॉलेज तक छोड़ दिया था।

By JP YadavEdited By: Updated: Thu, 07 May 2020 11:08 AM (IST)
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Rabindranath Tagore Jayanti 2020: रवींद्रनाथ टैगोर का दिल्ली से था खास लगाव
नई दिल्ली [संजीव कुमार मिश्र]। Rabindranath Tagore: रवींद्रनाथ टैगोर 1913 में साहित्य के लिए नोबल पुरस्कार प्राप्त करने वाले पहले एशियाई थे। उनका जन्म 7 मई 1861 को कोलकाता में हुआ था। यह उनकी लोकप्रियता ही है कि दुनिया उन्हें विश्व कवि कहकर बुलाती है। रवींद्रनाथ टैगोर का दिल्ली से खासा लगाव था। सेंट स्टीफंस कॉलेज के उप प्रधानाचार्य चॉल्र्स एंड्रयूज ने तो शांति निकेतन में रहने के लिए कॉलेज तक छोड़ दिया था। रवींद्रनाथ अक्टूबर 1914 में कॉलेज आए थे। दो दिवसीय प्रवास के दौरान वे कॉलेज के छात्रों से भी मुखातिब हुए थे। ऐसा कहा जाता है कि उन्होंने अपनी विश्व प्रसिद्ध रचना गीतांजलि के अंग्रेजी अनुवाद को अंतिम रूप कश्मीरी गेट स्थित सेंट स्टीफंस कॉलेज के प्रिंसिपल सुशील कुमार रुद्र के आवास पर ही दिया था।

उपप्रधानाचार्य ने दिया इस्तीफा

सेंट स्टीफंस कालेज के दो एलुमिनाई अरविंद वेपा और सुजीत विश्वनाथ ने कॉलेज के इतिहास का दस्तावेज तैयार किया। इसमें वे बताते हैं कि 1886 में सुशील कुमार रुद्र कॉलेज के स्टाफ में शामिल हुए और 1906 से 1923 तक कालेज के प्रधानाचार्य रहे। वे इस कॉलेज के पहले भारतीय प्रधानाचार्य थे। सन् 1904 में चॉल्र्स एंड्रयूज कॉलेज स्टाफ में शामिल हुए। वे अंग्रेजी पढ़ाते थे एवं उपप्रधानाचार्य भी थे। सन् 1907 में एंड्रयूज ने कॉलेज पत्रिका की स्थापना की। वे कॉलेज के प्रधानाचार्य रुद्र के साथ महात्मा गांधी और रवींद्रनाथ ठाकुर टैगोर के करीबी दोस्त बन गए। एंड्रयूज ने सन् 1914 में कॉलेज से इस्तीफा दे दिया और वे शांति निकेतन से जुड़ गए। वे क्रमश: 1925 और 1927 में ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस के अध्यक्ष भी चुने गए थे।

जब कॉलेज आए विश्व कवि

रवींद्रनाथ टैगोर 3 अक्टूबर 1914 को कॉलेज आए थे। पहले दिन वे छात्रों से मुखातिब नहीं हुए। छात्र उनकी झलक पाने के लिए उत्सुक थे। बाद में छात्रों ने आपस में राय-मशविरा करके उनका एक लेक्चर तय करवाया। अगले दिन यानी 4 अक्टूबर की दोपहर में वे कालेज आए। कॉलेज का हॉल छात्रों से भरा था। हर तरफ उत्साह था। विश्व कवि के प्रवेश द्वार से मंच तक जाते समय छात्रों ने उन पर गुलाब बरसाए। गुलाब की पंखुड़ियों की मोटी परत बिछ गई थी। उन्होंने नेशनलिटी एंड वेस्टर्न डेवलपमेंट ऑफ सोशियल एक्जिस्टेंस पर बात की ओर भारत की एकता की राह में आ रही समस्याओं के समाधान का सुझाव भी दिया।

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