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Raghav Parineeti Engagement: पंजाब सरकार की प्रॉपर्टी पर होगी राघव-परिणीति की सगाई, देखें अंदर की तस्वीरें

कपूरथला हाउस पंजाब सरकार की प्रॉपर्टी है और यहां पहले भी कई वैवाहिक समारोह हो चुके हैं। कपूरथला हाउस सजने के बाद बेहद सुंदर लगता है। ऐसे में जब बॉलीवुड थीम की सजावट होने के बाद यहां राघव-परिणीति की सगाई होगी तो उसमें चार चांद लग जाएंगे।

By Jagran NewsEdited By: Pooja TripathiUpdated: Sat, 13 May 2023 04:46 PM (IST)
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कपूरथला हाउस जहां होगी राघव परिणीति की सगाई।
नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। दिल्ली के कपूरथला हाउस (Kapurthala House) में आज शाम 5 बजे से आप सांसद राघव चड्ढा और अभिनेत्री परिणीति चोपड़ा की सगाई होगी। यही वह जगह है जहां शहर का सबसे चर्चित जोड़ा एक-दूसरे को अंगूठी पहनाकर मंगनी करेंगे।

कपूरथला हाउस पंजाब सरकार की प्रॉपर्टी है और यहां पहले भी कई वैवाहिक समारोह हो चुके हैं। कपूरथला हाउस सजने के बाद बेहद सुंदर लगता है। ऐसे में जब बॉलीवुड थीम की सजावट होने के बाद यहां राघव-परिणीति की जब सगाई होगी तो उसमें चार चांद लग जाएंगे।

हमें कपूरथला हाउस के कुछ पुराने फोटो सोशल मीडिया पर मिले हैं जिसमें इस वेन्यू की भव्यता देखी जा सकती है।

2019 से पहले विवाद में था कपूरथला हाउस

पंजाब सरकार को 59 साल बाद दिल्ली स्थित कपूरथला हाउस पर कब्जे का अधिकार मिला। यह ऐतिहासिक भवन मौजूदा समय में पंजाब के मुख्यमंत्री की रिहायश है। भारत सरकार की मांग के बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने कपूरथला के दिवंगत महाराजा की इस आलीशान जायदाद को बेचने के अधिकार को खारिज कर दिया था।

हाईकोर्ट के जस्टिस एस. मुरलीधर व जस्टिस तलवंत सिंह की बेंच ने फैसला दिया कि मानसिंह रोड पर नंबर-3 की जायदाद को बेचा नहीं जा सकता, क्योंकि महाराजा ने इस प्रॉपर्टी को बेचने का अधिकार गंवा दिया है।

इस केस में मुख्य पक्ष भारत सरकार थी। इसने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि उसने पंजाब को इस प्रॉपर्टी का सही हकदार समझते हुए इसका कब्जा पंजाब को दे दिया। एडवोकेट जनरल अतुल नंदा ने बताया कि पैप्सू (पटियाला एंड ईस्ट पंजाब स्टेट यूनियन) में शामिल होने से पहले और इसके बाद पैप्सू के भारत सरकार में शामिल होने से पहले कपूरथला रियासत थी।

1950 में 1.5 लाख रुपये में खरीदा था

इस प्रॉपर्टी की रिक्वीजीशन दिल्ली प्रीमाइसिस (रिक्वीजीशन एंड एक्वीजीशन) एक्ट-1947 की धारा 3 के अंतर्गत 17 जून, 1950 को पास हुए एक आदेश में की गई। 4 दिसंबर, 1950 को भारत सरकार की ओर से स्वर्गीय राधेश्याम मखनीलाल सेकसरिया से इस प्रॉपर्टी का कब्जा लिया गया। उन्होंने इसको कपूरथला रियासत के पूर्व शासक स्वर्गीय महाराजा परमजीत सिंह से 10 जनवरी, 1950 को 1.5 लाख रुपये की रजिस्टर्ड सेल डीड से खरीदा था।

यह है विवाद

विवाद तब पैदा हुआ जब सेकसरिया ने 1960 में जिला अदालत, दिल्ली में अपनी जायदाद के हक के लिए मुकदमा दर्ज किया था। जो 1967 में दिल्ली हाईकोर्ट में भेज दिया गया। मुकदमे के दौरान सेकसरिया का देहांत हो गया और उसके चार बच्चों को उसके कानूनी प्रतिनिधि के तौर पर उनकी योग्यता के अनुसार वादी पक्ष के तौर पर नामजद किया गया।

1989 में मुद्दई के हक में फैसला

साल 1989 में हाईकोर्ट के एक जज ने मुद्दई के हक में इस आधार पर फैसला किया कि 1952 के एक्ट के अंतर्गत 17 साल बीत जाने पर 1987 में भारत सरकार की ओर से हक छोड़ दिया गया। इसके तुरंत बाद पंजाब सरकार ने अपील की और हाईकोर्ट के एक डिवीजन बेंच ने कहा कि मुद्दई का जायदाद पर कोई अधिकार नहीं है।

हाईकोर्ट ने रद किया जायदाद पर अधिकार

बेंच ने याचिकाकर्ता के जायदाद पर अधिकार को इस आधार पर रद कर दिया कि इसकी मांग के बाद महाराजा कपूरथला का इस जायदाद पर कोई हक नहीं रहा। इसलिए वह याचिकाकर्ताओं के पुरखों को जायदाद का हक नहीं दे सकता। अदालत ने फैसला दिया कि याचिकाकर्ताओं के संपत्ति पर हक की कमी स्पष्ट तौर पर पहले की रजिस्ट्री से संबंधित होगा। इसके अंतर्गत उक्त दावा किया जा रहा है।

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