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Rahat Indori Death: राहत इंदौरी का दिल्ली से था दिल का नाता, सब काम छोड़कर आते थे मुशायरे में

Rahat Indori Death News शकील ने बताया कि राहत साहब बड़े जिंदादिल इनसान थे। वह कभी भी यात्रा के दौरान अपने से छोटे दोस्तों को खर्च नहीं करने देते थे।

By Mangal YadavEdited By: Updated: Tue, 11 Aug 2020 06:58 PM (IST)
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Rahat Indori Death: राहत इंदौरी का दिल्ली से था दिल का नाता, सब काम छोड़कर आते थे मुशायरे में
नई दिल्ली [संजीव मिश्र]। Rahat Indori Death News: महशूर शायर राहत इंदौरी के निधन से साहित्य जगत में शोक की लहर है। राहत इंदौरी को याद करते हुए शायर शकील जमाली ने कहा कि मुशायरे की दुनिया के बड़े नामों में राहत साहब का सर्वोच्च स्थान है। इनका निधन मुशायरे की दुनिया की बड़ी क्षति है। राहत इंदौरी के साथ बिताए समय को याद करते हुए शकील जमाली ने बताया कि लॉकडाउन से पहले फरवरी में उन्होंने राहत भाई के घर पर खाना खाया था।

इंदौर में एक मुशायरे के दौरान उन्होंने मुझे अपने घर ले गए और कहा कि रात में साथ बैठकर खाना खाएंगे। वह इंदौर से जब दिल्ली आने लगे तो ट्रेन तक उन्होंने छोड़वाया। यही समय राहत इंदौरी के साथ आखिरी रहा।

दिल्ली से था बहुत लगाव

शकील ने बताया कि राहत साहब बड़े जिंदादिल इनसान थे। वह कभी भी यात्रा के दौरान अपने से छोटे दोस्तों को खर्च नहीं करने देते थे। यह उनकी सबसे बड़ी क्वालिटी थी। वह कहते थे सबसे बड़े हैं इसलिए वही खर्च करेंगे। राहत इंदौरी के मन में कभी भी किसी के लिए मैल नहीं था। वह कभी भी किसी का अहित नहीं चाहते थे। शायर शकील ने बताया कि दिल्ली में जब भी राहत इंदौरी को बुलाया जाता था वह सारे काम छोड़कर आ जाते थे। वह दिल्ली के लोगों से बहुत प्यार करते थे। मार्च में राहत जी का फोन आया अगर कोई बात हो गई तो मुझे माफ कर देना। तो मैने कहा कि आप ऐसी बातें क्यों कर रहे हैं राहत भाई। वह अपनी गलती को तुरंत मान लेते थे।

मुंह पर ही हकीकत बोलने वाले थे इनसान थे राहत इंदौरी

वहीं, उर्दू अकादमी के वाइस चैयरमैन डॉ शाहवर शहपर रसूल ने राहत इंदौरी से जुड़ा एक किस्सा बताया। उन्होंने कहा कि सेंट्रल पार्क में उर्दू अकैडमी का मुशायरा था। एक शायर शायरी पढ़ रहे थे। कुछ दर्शकों ने ताली बजा दी। एक अन्य शायर आये तो दर्शकों को कहा कि शायरी अच्छी लगे तो सीटी भी बजा सकते हैं। राहत साहब तुरंत खड़े हो गए। वह इसका विरोध करते हुए बोले, मुशायरे की मान रखनी जरूरी है। वो एक दम साफ दिल के थे। जो अच्छा या खराब लगे मुह पर बोलने वाले।

राहत साहब का जाना उर्दू के लिए बड़ी क्षति

डॉ शाहवर शहपर कहा कि राहत इंदौरी का जाना हम सब के लिए बहुत बड़ी क्षति है। वह बहुत अच्छे इनसान थे। उर्दू के साथ हिंदी में भी उनकी पकड़ थी। वहीं,  रेख्ता फाउंडेशन के संस्थापक संजीव सराफ ने भी  राहत इंदौरी के निधन पर गहरा शोक जताया है। उन्होंने कहा कि राहत साहब का निधन उर्दू भाषा और राष्ट्र के लिए एक अपूरणीय क्षति है। उनकी कविता अनमोल शैली से सजी थी।

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