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मानवीय सेवा और आध्यात्मिकता के संगम है राहुल वर्मा, नीम करौली बाबा के अनुयायी और संदेशों के प्रणेता

राहुल वर्मा बताते हैं कि श्री नीम करौली बाबा को भगवान हनुमान का अवतार माना जाता है और उनकी शिक्षाएं भक्तों को सरलता और निस्वार्थ सेवा की ओर प्रेरित करती हैं। इस केंद्र के माध्यम से भक्तों को प्रेम और भक्ति की एक नई धुन सुनने को मिलेगी जो उनके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाएगी। उनका विश्वास और समर्पण निश्चित रूप से प्रेरणादायक है।

By Jagran News Edited By: Anurag Mishra Updated: Thu, 10 Oct 2024 08:43 PM (IST)
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केंद्र का उद्देश्य साधकों को नीम करौली बाबा की शिक्षाओं से के माध्यम से आत्मिक वृद्धि प्रदान कराना है।

 कभी-कभी जब हम किसी गंभीर समस्या का सामना कर रहे होते हैं, तो हम देखते हैं कि बाकी दुनिया खुश-खुश घूम रही है। ऐसा लगता है कि हम ही इस मुश्किल स्थिति में हैं। ऐसे क्षणों में हम सोचते हैं कि क्या हम अकेले हैं। लेकिन यह सच नहीं है। जीवन में उतार-चढ़ाव आते हैं, और हमें यह समझना होता है कि हम अकेले नहीं हैं। इसी सोच ने राहुल वर्मा को उनके जीवन के कई संघर्षों में संबल दिया।

अर्जुनुदय का जन्म

राहुल वर्मा का जीवन एक नई चुनौती के साथ शुरू हुआ जब उनके बेटे अर्जुनुदय का जन्म हुआ। यह एक सामान्य गर्भावस्था थी, लेकिन जैसे ही अर्जुनुदय का जन्म हुआ, डॉक्टरों ने कई जन्मजात दोष पाए। इसने राहुल और उनकी पत्नी तूलिका को पूरी तरह से तोड़ दिया। उन्हें यह समझ नहीं आ रहा था कि क्यों उन्हें इस तरह की स्थिति का सामना करना पड़ रहा है ? कई बार यह लगता था कि यह उनके जीवन का एक दंड है। जब अर्जुनुदय केवल एक घंटे का था, तब उसकी जिंदगी पर एक कीमत रखी गई। अगर राहुल और उनकी पत्नी तूलिका कीमत चुकाते हैं, तो वे अपने बेटे को रख सकते हैं, वरना उसे वापस उसी जगह जाना होगा जहां से वह आया था।

उदय फाउंडेशन की स्थापना

इस स्थिति में, राहुल ने हार नहीं मानी। उन्होंने अपने बेटे की देखभाल करते हुए यह देखा कि कितने अन्य लोग भी अस्पतालों में उपचार के लिए संघर्ष कर रहे थे। गरीबी के कारण बहुत से लोग अपने बच्चों का उचित इलाज नहीं करवा पा रहे थे। यह देखकर राहुल और तूलिका ने 2007 में 'उदय फाउंडेशन' की स्थापना की। यह एक गैर-सरकारी संस्था है जो न केवल जरूरतमंदों का इलाज करती है, बल्कि हजारों गरीब मरीजों को अस्पताल के बाहर मुफ्त भोजन भी उपलब्ध कराती है। राहुल का मानना है कि सेवा करना ही सच्चा धर्म है, और यही उनके जीवन का उद्देश्य बन गया।

आध्यात्मिक खोज

राहुल वर्मा बताते हैं कि अपने बेटे के साथ दूसरों की मदद करने में उन्हें संतोष तो मिलता था, लेकिन उनका मन हमेशा विचलित रहता था। अर्जुनुदय के जन्म के दिन से ही, राहुल ने मन की शांति के लिए बहुत कोशिश की। उन्होंने कई साल ऋषिकेश में बिताए, जहां उन्होंने ध्यान और साधना की। 2013 के आसपास, जब वे ऋषिकेश के एक आश्रम में साधना कर रहे थे, उनकी मुलाकात नीम करौली बाबा के एक भक्त से हुई। उस भक्त ने राहुल को नीम करौली बाबा की शिक्षाओं से परिचित कराया।

नीम करौली बाबा का दिव्य अनुभव

राहुल बताते हैं, "जब मैंने बाबा के जीवन के बारे में जाना, तो मेरी आंखों में आंसू आ गए। मुझे उनके साथ एक दिव्य संबंध महसूस हुआ, जो मेरे जीवन की दिशा को बदलने वाला था।" उन्होंने अपने मन की शांति के लिए निरंतर साधना करने का निर्णय लिया। इसके बाद, राहुल ने अपने घर में बाबा का एक छोटा सा मंदिर बना लिया और नियमित रूप से बाबा का ध्यान करने लगे। उनके जीवन में चमत्कार होने लगे।

अर्जुनुदय, जो पहले स्कूल नहीं जा पाता था, अब रोज़ स्कूल जाने लगा। यह उनके लिए एक बड़ा मोड़ था, जिसने उन्हें और भी प्रेरित किया। राहुल ने नीम करौली बाबा का प्रचार करना शुरू कर दिया, और उन्होंने कई नेताओं, अभिनेताओं, और क्रिकेटरों को बाबा से जोड़ा। उनके प्रयासों ने समाज में बाबा के प्रति जागरूकता बढ़ाई।

नीम करौली बाबा के दिव्य ध्यान केंद्र

कोविड-19 के बाद, राहुल कुछ समय के लिए अपने परिवार के पास यूनाइटेड किंगडम चले गए। वहां बिताए समय के दौरान भी, उनकी आत्मा में नीम करौली बाबा का प्रेम जीवित रहा। दिसंबर 2023 में, नीम करौली बाबा उनके सपने में आए और उन्होंने राहुल से कहा, "भारत वापस आओ, लोगों को तुम्हारी जरूरत है और सभी को अपने साथ ध्यान में जोड़ो।"

इस दिव्य अनुभव के बाद, राहुल ने अगले ही दिन भारत लौटने का फैसला किया। उनके लौटने के बाद, एक मित्र ने उन्हें दिल्ली के ग्रेटर कैलाश में एक सुंदर जगह दान में दी। इस जगह पर उन्होंने नीम करौली बाबा के आदेशानुसार एक बहुत ही सुंदर "NKB Divine Meditation Centre" स्थापित किया। यह केंद्र आंतरिक शांति और आध्यात्मिक संबंध की खोज के लिए एक पवित्र स्थान है।

केंद्र का उद्देश्य साधकों को श्री नीम करौली बाबा की शिक्षाओं से प्रेरित होकर ध्यान के माध्यम से आत्मिक वृद्धि प्रदान करना है। राहुल वर्मा ने बताया कि यहाँ ध्यान से मन को शांत करने और आत्मा को जागृत करने का अवसर मिलेगा। "ध्यान की गहराई में जाकर, साधक दिव्य के साथ गहरा संबंध स्थापित कर सकते हैं।"

राहुल वर्मा बताते हैं कि श्री नीम करौली बाबा को भगवान हनुमान का अवतार माना जाता है और उनकी शिक्षाएं भक्तों को सरलता और निस्वार्थ सेवा की ओर प्रेरित करती हैं। इस केंद्र के माध्यम से भक्तों को प्रेम और भक्ति की एक नई धुन सुनने को मिलेगी, जो उनके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाएगी।

नीम करौली बाबा के साथ बाकी जीवन

राहुल वर्मा अब अपने बाकी जीवन को नीम करौली बाबा की साधना में बिताना चाहते हैं। उन्होंने अपने नए ध्यान केंद्र में बाबा के प्रति अपनी भक्ति को और भी मजबूत किया है। वे ऋषिकेश के आश्रम में रहने का भी इरादा रखते हैं, जहां उनका कमरा आज भी है। वहां रहकर, वे अपनी साधना को समर्पित करने का सपना देखते हैं, ताकि वे अपनी आंतरिक शांति को प्राप्त कर सकें।

राहुल की यात्रा केवल एक व्यक्तिगत अनुभव नहीं है; यह एक सच्चे भक्त की कहानी है जो अपने जीवन के हर पहलू में नीम करौली बाबा की शिक्षाओं को समाहित करने की कोशिश कर रहा है। उनका जीवन हमें यह सिखाता है कि मुश्किल समय में भी हम कैसे आगे बढ़ सकते हैं, और दूसरों की मदद करके अपने जीवन को सार्थक बना सकते हैं। उनका विश्वास और समर्पण निश्चित रूप से प्रेरणादायक है, और उनका उद्देश्य इस दुनिया में प्रेम और सेवा का संचार करना है।

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