ट्रेनों की कोच संख्या में समानता लाने के लिए रेलवे ने किया बड़ा बदलाव, जानिए पूरा मामला
ट्रेनों को समय पर चलाना रेल प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती है। अक्सर ट्रेनें लेट होने से यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। इस समस्या को देखते हुए नई पटरियां बिछाने और विद्युतीकरण के साथ पुरानी पटरियों के रखरखाव पर ध्यान दिया जा रहा है।
By Pradeep ChauhanEdited By: Updated: Thu, 13 Jan 2022 09:57 AM (IST)
नई दिल्ली [संतोष कुमार सिंह]। ट्रेनों को समय पर चलाना रेल प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती है। अक्सर ट्रेनें लेट होने से यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। इस समस्या को देखते हुए नई पटरियां बिछाने और विद्युतीकरण के साथ पुरानी पटरियों के रखरखाव पर ध्यान दिया जा रहा है। वहीं ट्रेनों की रेक की संरचना में समानता लाने का प्रयास किया जा रहा है। इसके लिए अलग-अलग श्रेणी के कोचों की संख्या बराबर रखी जाएगी। इससे जरूरत के अनुसार किसी भी ट्रेन में रेक का इस्तेमाल हो सकेगा।
वर्तमान व्यवस्था में प्रत्येक ट्रेन के लिए अलग-अलग रेक निर्धारित है। यदि किसी कारणवश कोई ट्रेन अपने गंतव्य पर पहुंचने में ज्यादा देरी कर रही है, तो वापसी की दिशा में रवाना होने में भी देरी होती है। दरअसल गंतव्य पर पहुंचने के बाद ट्रेन को वाशिंग लाइन में ले जाया जाता है। जहां साफ-सफाई और मरम्मत की जाती है। इसमें कम से कम पांच घंटे लगते हैं। इसके बाद उसे वापसी की दिशा में रवाना किया जाता है।
इन ट्रेनों के रेक की संरचना में लाई गई है समानता
आनंद विहार टर्मिनल-रक्सौल सद्भावना एक्सप्रेस (14008), आनंद विहार टर्मिनल-सुल्तानपुर सद्भावना एक्सप्रेस (14014), आनंद विहार टर्मिनल-रक्सौल सद्भावना एक्सप्रेस (14016), आनंद विहार टर्मिनल-रक्सौल सद्भावना एक्सप्रेस (14018), आनंद विहार टर्मिनल-सीतामढ़ी लिच्छवी एक्सप्रेस (14006), पुरानी दिल्ली-आजमगढ़ कैफियत एक्सप्रेस (12226) और पुरानी दिल्ली-श्री माता वैष्णो देवी कटड़ा जम्मू मेल (14033)।
दिल्ली मंडल ने अब तक सात टेनों में पूरा कर लिया है यह काम
अधिकारियों का कहना है कि अभी सभी ट्रेनों की कोच संख्या में अंतर है। इस वजह से ट्रेन में निर्धारित रेक का ही इस्तेमाल किया जाता है। यदि रेक एक समान होंगे, तो जरूरत के अनुसार किसी भी ट्रेन में इस्तेमाल किया जा सकता है। यदि कोई ट्रेन ज्यादा देरी से आती है, तो वापसी की दिशा में समय पर रवाना करने के लिए यार्ड में उपलब्ध रेक का इस्तेमाल किया जा सकता है। दिल्ली मंडल ने अबतक सात एक्सप्रेस ट्रेनों में यह काम पूरा कर लिया है। आने वाले दिनों में कुछ और ट्रेनों में यह बदलाव हो जाएगा।
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